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200 साल पहले वेस्टइंडीज गए थे पूर्वज, कनाडा से भदोही लौटी नई पीढ़ी

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Published : Feb 3, 2020, 11:03 AM IST

उत्तर प्रदेश के भदोही में 200 साल बाद बंधु गुप्ता परिवार की वर्तमान पीढ़ी कनाडा से भारत लौटी है. इनके पूर्वज वेस्टइंडीज होते हुए कनाडा पहुंचे थे. अब वे और उनका परिवार यहीं रहेंगे. इस पीढ़ी के विदेश राम प्रसाद का कहना है कि वह जिले के लोगों को स्वच्छ पानी देना चाहते हैं.

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छठी पीढ़ी वेस्टइंडीज से लौटी अपने वतन.

भदोहीः जिले के सुरियावा क्षेत्र में अजीब वाकया सामने आया है. दरअसल जिले का रहने वाला बंधु गुप्ता परिवार 200 साल पहले वेस्टइंडीज चला गया था. वहां से कनाडा, लेकिन अब परिवार की वर्तमान पीढ़ी फिर से अपने वतन वापस लौट आई है. बंधु गुप्ता परिवार के विदेश राम प्रसाद गुप्ता कनाडा से अपनी मातृभूमि तलाशते हुए भारत आ पहुंचे हैं.

वेस्टइंडीज के नेशनल रजिस्टर में मिला पूर्वजों के घर का पता
वेस्टइंडीज से 200 साल बाद लौटी छठी पीढ़ी के विदेश राम प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने जब अपने अंदर भारतीयता वाले गुण और अपनी कार्यशैली पर ध्यान दिया तो उन्हें लगा कि वह हिंदू धर्म से आते हैं. वेस्टइंडीज में पैदा हुए विदेश को इन बातों पर काफी आश्चर्य हुआ था. भारतीयों की तरह क्यों हैं यह जानने के लिए कि वह वेस्टइंडीज के आर्काइव में रखा नेशनल रजिस्टर देखने गए. वहां उन्हें पता चला कि वह भारत के उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर क्षेत्र से है. मातृभूमि को देखने के लिए वह अपने पूरे परिवार के साथ भारत चले आए. फिलहाल वह कुछ समय के लिए अपने गांव आए हुए हैं.

छठी पीढ़ी वेस्टइंडीज से लौटी अपने वतन.

मजदूरी कराने वेस्टइंडीज ले गए थे अंग्रेज
विदेश बताते हैं कि अंग्रेज 18वीं शताब्दी में बंधु गुप्ता को मजदूरी करवाने के लिए भदोही से लेकर गए थे. उस समय अंग्रेज देशों के मजदूरों को काम कराने के लिए दूसरी जगहों पर ले जाते थे. ऐसे ही बंधु गुप्ता को मजदूरी के लिए अंग्रेजों ने वेस्टइंडीज के गुयाना में भेज दिया था. गुयाना जाने के बाद बंधु गुप्ता वहीं बस गए थे.

वेस्टइंडीज से कनाडा शिफ्ट
साथ ही विदेश ने बताया कि उनका पूरा परिवार अब वेस्टइंडीज से कनाडा शिफ्ट हो गया है, लेकिन अब विदेश अपने परिवार के साथ भारत में ही रहना चाहते हैं. विदेश की बड़ी बेटी निर्मला 'नीला दुपट्टा' नाम का एक एनजीओ चलाती हैं, जिसके तहत वह सुरियावा के ही एक मुसहर बस्ती में स्वच्छ पानी के लिए बोरवेल करा रहे हैं. विदेश ने कहा कि वह यहां के लोगों को स्वच्छ पानी देना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें- मुजफ्फरनगर: युवा पीढ़ी को नशे का आदी बनाने वाले दो अभियुक्त गिरफ्तार

भदोहीः जिले के सुरियावा क्षेत्र में अजीब वाकया सामने आया है. दरअसल जिले का रहने वाला बंधु गुप्ता परिवार 200 साल पहले वेस्टइंडीज चला गया था. वहां से कनाडा, लेकिन अब परिवार की वर्तमान पीढ़ी फिर से अपने वतन वापस लौट आई है. बंधु गुप्ता परिवार के विदेश राम प्रसाद गुप्ता कनाडा से अपनी मातृभूमि तलाशते हुए भारत आ पहुंचे हैं.

वेस्टइंडीज के नेशनल रजिस्टर में मिला पूर्वजों के घर का पता
वेस्टइंडीज से 200 साल बाद लौटी छठी पीढ़ी के विदेश राम प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने जब अपने अंदर भारतीयता वाले गुण और अपनी कार्यशैली पर ध्यान दिया तो उन्हें लगा कि वह हिंदू धर्म से आते हैं. वेस्टइंडीज में पैदा हुए विदेश को इन बातों पर काफी आश्चर्य हुआ था. भारतीयों की तरह क्यों हैं यह जानने के लिए कि वह वेस्टइंडीज के आर्काइव में रखा नेशनल रजिस्टर देखने गए. वहां उन्हें पता चला कि वह भारत के उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर क्षेत्र से है. मातृभूमि को देखने के लिए वह अपने पूरे परिवार के साथ भारत चले आए. फिलहाल वह कुछ समय के लिए अपने गांव आए हुए हैं.

छठी पीढ़ी वेस्टइंडीज से लौटी अपने वतन.

मजदूरी कराने वेस्टइंडीज ले गए थे अंग्रेज
विदेश बताते हैं कि अंग्रेज 18वीं शताब्दी में बंधु गुप्ता को मजदूरी करवाने के लिए भदोही से लेकर गए थे. उस समय अंग्रेज देशों के मजदूरों को काम कराने के लिए दूसरी जगहों पर ले जाते थे. ऐसे ही बंधु गुप्ता को मजदूरी के लिए अंग्रेजों ने वेस्टइंडीज के गुयाना में भेज दिया था. गुयाना जाने के बाद बंधु गुप्ता वहीं बस गए थे.

वेस्टइंडीज से कनाडा शिफ्ट
साथ ही विदेश ने बताया कि उनका पूरा परिवार अब वेस्टइंडीज से कनाडा शिफ्ट हो गया है, लेकिन अब विदेश अपने परिवार के साथ भारत में ही रहना चाहते हैं. विदेश की बड़ी बेटी निर्मला 'नीला दुपट्टा' नाम का एक एनजीओ चलाती हैं, जिसके तहत वह सुरियावा के ही एक मुसहर बस्ती में स्वच्छ पानी के लिए बोरवेल करा रहे हैं. विदेश ने कहा कि वह यहां के लोगों को स्वच्छ पानी देना चाहते हैं.

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Intro:भदोही जिले के सुरियावा क्षेत्र में एक अजीब वाकया सामने आया इसे सुन लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं वाकया दरअसल यह है कि 200 साल पहले वेस्टइंडीज चले गए बंधु गुप्ता के परिवार की छठवीं पीढ़ी फिर से अपना जड़ तलाशते हुए भदोही आ पहुंची है यह वाक्य काफी दिलचस्प है और उतनी ही मजेदार बंधु गुप्ता के छठी पीढ़ी का भारत वापस आना है बंधु गुप्ता के छठी पीढ़ी में पैदा हुए विदेश गुप्ता कनाडा से अपनी मातृभूमि तलाशते हुए भारत पहुंचे वह सुरियावा के रविदास पुर गांव के रहने वाले हैं


Body: विदेश गुप्ता मैं अपने अंदर जब भारतीयता वाले गुण देखें और जब अपनी कार्यशैली पर उन्होंने ध्यान दिया तो उन्हें लगा कि वह हिंदू धर्म से आते हैं वेस्टइंडीज में पैदा हुए विदेश को इन बातों पर काफी आश्चर्य हुआ और कुतूहल वश यह जानने के लिए कि वह भारतीय नागरिकों की तरह क्यों है वह वेस्टइंडीज के आर्काइव मैं रखी नेशनल रजिस्टर देखने गए तो उन्हें वहां से पता चला कि वह भारत के उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर क्षेत्र से है उनके मन में अपने वतन वापस आने की चाहत कुछ साल पहले ही जगी अपनी मातृभूमि देखने के लिए वह अपने पूरे परिवार के साथ भारत चले आए वह अपने गांव में इस समय कुछ दिनों के लिए आए हुए हैं


Conclusion:विदेश बताते हैं कि उनके छठी पीढ़ी में बंधु गुप्ता को अंग्रेजों ने 18 वीं शताब्दी में मजदूरी करवाने के लिए भदोही से लेकर चले गए थे उस समय अंग्रेज अपने अधीन देशों के मजदूरों को काम कराने के लिए दूसरे जगहों पर ले जाते थे ताकि सस्ती मजदूरी में काम कराया जा सके ऐसे ही बंधु गुप्ता को मजदूरी के लिए अंग्रेजों ने वेस्टइंडीज के गुयाना में भेज दिया था गुयाना जाने के बाद बंधु गुप्ता वहीं बस गए और 200 साल बाद उनकी छठी पीढ़ी अपनी मातृभूमि को तलाशती हुई फिर से सुरियावा पहुंच गई गांव के लोग बताते हैं की बंधु गुप्ता के आटे की चक्की हुआ करती थी ग्रामीण बंधु गुप्ता की छठी पीढ़ी को देखकर काफी खुश है
विदेश और उनका पूरा परिवार अब वेस्टइंडीज से कनाडा शिफ्ट हो गया है लेकिन विदेश चाहते हैं कि वह फिर से अपने परिवार के साथ भारत आए और यहां आकर अपने लोगों की सेवा करें उन्होंने बेल्जियम की रहने वाली केरेन से शादी की है उनकी दो बेटियां निर्मला और सुनीता भी उनके साथ भारत आई हुई है उनकी बड़ी बेटी निर्मला नीला दुपट्टा नाम का एक एनजीओ चलाती है जिसके तहत वाह सुरियावा के ही एक मुसहर बस्ती में स्वच्छ पानी के लिए बोरवेल करा रहे हैं विदेश अपने देश में आकर काफी खुश है और वह निकट भविष्य में ही भारत लौटने की योजना बना रहे है


विदेश गुप्ता की बाइट
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