भदोही: लॉकडाउन से प्रभावित भारत के कालीन उद्योग ने पहली बार इंडिया कारपेट एक्सपो वर्चुअल 2020 के नाम से आगामी 21 अगस्त से 25 अगस्त तक वर्चुअल फेयर लगाने का प्रस्ताव भेजा है. यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के कपड़ा और वाणिज्य मंत्रालय के सहयोग से लगाने के लिए भेजा है, जिसकी मंजूरी अभी नहीं मिली है. साल में दो बार कपड़ा मंत्रालय के अंतर्गत लगने वाले इस कारपेट मेले का आयोजन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद् करता है. परिषद् के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि मार्च से लेकर देश में कालीन निर्माण और निर्यात को एक बड़ा झटका लगा. अब तक तीन हजार करोड़ का माल डंप पड़ा है. वहीं तीन हजार करोड़ का पेमेंट विदेशों में फंसा है.
40 प्रतिशत कम होने की दशा में आ चुका है निर्यात
पिछले साल जनवरी 2019 से जून तक 5951 करोड़ का निर्यात हुआ, जबकि इस साल यह आधे से भी कम हुआ है. पिछले वित्तीय वर्ष में देश से कुल 12 हजार करोड़ का कालीन निर्यात हुआ जो इस वित्तीय वर्ष में 40 प्रतिशत कम होने की दशा में आ चुका है. वर्चुअल कारपेट फेयर में एक विशेष प्रकार का ऐप तैयार किया जा रहा है, जिससे भारत के निर्यातक अपने उत्पादों को विशेष प्रकार से विदेशी आयातक को दिखा कर उनसे व्यापार करने में सक्षम होंगे.
विदेशों से भी मिलने लगे आर्डर
लॉकडाउन के बाद मिली छूट के बाद अब व्यापार धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है. विदेशों से भी थोड़े बहुत आर्डर मिलने लगे हैं. इस लॉकडाउन में कालीन बुनकरों के वापस अपने प्रांतों को लौट जाने से एक नई समस्या खड़ी हो गई है. इस वर्चुअल फेयर को लेकर निर्यातकों में हैकिंग कर डिजाइन की कॉपी करके और रेट सहित कई आशंका को लेकर कहा कि यह पूरी तरह सुरक्षित है. मगर डाटा लीक होने या हैक करके कोई भी देशी-विदेशी इसका गलत इस्तेमाल कर सकता है. आज टेक्नॉलोजी के बदलते दौर में कुछ भी संभव है.
युवा कालीन निर्यातक केरमान इंटरनेशनल के शफकत इमाम ने बताया कि चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी सहित कई देशों में भारत के समय और उन देशों के समय में काफी अंतर होने से इसे किस तरह निपटा जाए, इसका खुलासा होना जरूरी है. भारत में कालीन मेला के संस्थापक ताज महल आर्ट्स एंड पाइल के हाजी जलील अहमद अंसारी का मानना है इस तरह के वर्चुअल कालीन मेला सिर्फ एक तजुर्बा दे सकता है. मगर यह सफल होगा इसमें संदेह है क्योंकि कालीन में इस्तेमाल होने वाले रॉ मटेरियल सिर्फ हाथ से पकड़ कर और डिजाइनों को पास से देखकर विदेशी बायर आर्डर देते हैं. वर्चुअल में फोटो देखने से सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है.
भारत के कालीन उद्योग की साख पर भी असर होगा
देश-विदेश में कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पुरस्कृत हाजी जलील अहमद अंसारी ने बताया कि कालीन एक ऐसी चीज है, जिसमें रॉ मटेरियल की बहुत अहमियत है. हाथ से पकड़ने पर ही उसके बारे में जाना जाता है. बहुत सारे लोग ऐसा न कर सकें तो विदेशों में भुगतान रुकने के साथ-साथ भारत के कालीन उद्योग की साख पर भी असर होगा. ज्यादातर निर्माता और निर्यातक इस ऐप के जरिए होने वाला भुगतान अधिक होने से इसमें सहभागिता नहीं करने की सोच रहे हैं. अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के उपाध्यक्ष अब्दुल हादी ने बताया कि यह अच्छी शुरुआत है, मगर जिस ऐप से इस मेले का आयोजन होगा, वह विश्व स्तरीय सुरक्षित हो तभी अधिक से अधिक निर्माता और निर्यातक इस वर्चुअल मेले में जुड़ेंगे.
अमेरिका-भारत से कालीन निर्यात का 70 % अकेले खरीद सकता है
यूपी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन विनय कपूर ने कहा कि लॉकडाउन से कालीन उद्योग को एक बड़ा फायदा भी हुआ है. प्रदेश सरकार ग्राम समाज की जमीन पर कारपेट बेल्ट में 50 वीविंग शेड बनाने जा रही है. इसमें प्रवासी और स्थानीय लोगों को लूम देकर कालीन बुनाई करने का मौका देकर उन्हें रोजगार मुहैया कराएगी. उन बुनकरों को कालीन निर्माता कच्चा माल देकर अपना माल तैयार करा सकते हैं और बदले में उन्हें मजदूरी मिलेगी.
बाद में इस वीविंग शेड की संख्या 100 तक बढ़ाने का प्लान है. यह शेड सभी सुविधा से लैस होकर भदोही, मिर्जापुर और सोनभद्र में चिन्हित स्थान पर बहुत जल्द बनेंगे. उन्होंने कहा कि हमारा सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका है जो भारत से कुल कालीन निर्यात का 70 प्रतिशत अकेले खरीद सकता है. देश में लगभग दो हजार कारपेट फर्मों को व्यक्तिगत मेल करके कपड़ा मंत्रालय इस वर्चुअल फेयर के बारे राय ले. इससे कितने लोग सहभागिता करेंगे उसकी सही स्थिति सामने आ जाएगी. निर्यातकों को इस वर्चुअल मेले में भाग लेने का भुगतान भी करना होगा.
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद्, अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ, यूपी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पदाधिकारियों ने केंद्र और प्रदेश सरकार से बुनकरों, कालीन निर्माता और निर्यातकों के हित में बैंक की तरफ लिए जाने वाले ऋण पर ब्याज माफी की मांग की है. केंद्र सरकार से निर्यात पर पहले की तरह मिलने वाली पंद्रह से बीस प्रतिशत तक कैश इंसेंटिव की रकम कम से कम दो साल तक के लिए देने की मांग की है. ताकि निर्यात को बढ़ावा देने के साथ कर्ज में डूबी कारपेट फर्मे फिर से खड़ी हो जाएं.