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बिहार में पंचायत चुनाव की गर्मी से यूपी का कालीन उत्पादन हुआ ठंडा - Bhadohi carpet

बिहार में पंचायत चुनाव और त्योहारी सीजन में बुनकरों की घर वापसी के कारण यूपी के कालीन व्यवसाय पर संकट गहरा गया है. कालीन व्यवसायियों के मुताबिक, लगभग 65-70 प्रतिशत बुनकर अपने-अपने घर पलायन कर चुके हैं.

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बुनकरों की घर वापसी के कारण यूपी के कालीन व्यवसाय पर संकट गहरा गया है.
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Published : Oct 22, 2021, 9:21 PM IST

भदोही: कोरोना काल के बाद पटरी पर आया यूपी का कालीन उत्पादन फिर ठप हो गया है. दीपावली, छठ और धनतेरस के मद्देनजर बुनकरों की घर वापसी के बाद कालीन कारखानों में सन्नाटा पसर गया है. बिहार में पंचायत चुनाव के मद्देनजर बड़ी संख्या में बुनकर पहले ही घर लौट गए हैं. वहीं पश्चिम बंगाल व अन्य प्रांतों के बुनकर पर्व मनाने के लिए अपने-अपने प्रदेश के लिए रवाना होने लगे हैं. इसके कारण जहां उत्पादन प्रभावित हो रहा है. कालीन व्यवसायियों के मुताबिक, लगभग 65-70 प्रतिशत बुनकर अपने-अपने घर पलायन कर चुके हैं.

खास बात है कि डोमोटेक्स में भागीदारी करने वाले निर्यातकों की चिंताएं बढ़ गई हैं. ऐसे में सैंपल तैयार कराने में जुटे निर्यातकों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है. उधर, उत्पादन ठप होने से ऑर्डर वाला माल भेजना भी मुश्किल हो गया है. निर्यातकों का कहना है कि पर्व को देखते हुए बुनकरों पर रुकने के लिए दबाव भी नहीं बनाया जा सकता. कालीन उद्योग में बुनकरों का अभाव पहले से ही है. वहीं कोरोना काल तक कामकाज प्रभावित रहने के कारण बड़ी संख्या में बुनकर दूसरे कामों में लग गए. ऐसे में दूसरी लहर के बाद महज 60 फीसदी बुनकर ही लौटे थे.

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बुनकरों की घर वापसी के कारण यूपी के कालीन व्यवसाय पर संकट गहरा गया है.

पहले कोरोना ने रुलाया, अब बिहार में चुनाव और त्योहार से गहराया संकट


कालीन व्यवसायियों के अनुसार, व्यवसाय अब धीरे-धीरे पटरी आने लगा था, लेकिन बुनकरों की घर वापसी से फिर संकट बढ़ गया है. औराई में कालीन बुनाई कराने वाली पियुष बरनवाल के कारखानों में वर्तमान समय में महज 10 बुनकर रह गए हैं, जबकि 35 बुनकर काम करते थे. उनका कहना है कि बिहार में पंचायत चुनाव चल रहा है, इसके कारण काफी बुनकर पहले ही घर लौट गए थे. इस बीच शेष बुनकर दीपावली, छठ और व धनतेरस मनाने के लिए रवाना होने लगे हैं. पियुष बरनवाल ने कहा कि ऐसे में उत्पादन 80 फीसदी कम हो गया है. इसी तरह अन्य कारखाना संचालक बुनकरों के जाने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठने को विवश हैं.

विश्व में प्रसिद्ध हैं भदोही का कालीन

बता दें, भदोही जिला उत्कृष्ट डिजाइनों के कालीनों के निर्माण और निर्यात के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. जानकारी के अनुसरा, यहां इस कार्य से लगभग 63000 कारीगर जुड़े हैं. भदोही जनपद में कुल लूमों की संख्या 1 लाख से अधिक है तथा 500 से अधिक निर्यात इकाइयां कार्यरत हैं. यहां के हस्तनिर्मित कालीन अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में बहुत लोकप्रिय हैं.

भदोही: कोरोना काल के बाद पटरी पर आया यूपी का कालीन उत्पादन फिर ठप हो गया है. दीपावली, छठ और धनतेरस के मद्देनजर बुनकरों की घर वापसी के बाद कालीन कारखानों में सन्नाटा पसर गया है. बिहार में पंचायत चुनाव के मद्देनजर बड़ी संख्या में बुनकर पहले ही घर लौट गए हैं. वहीं पश्चिम बंगाल व अन्य प्रांतों के बुनकर पर्व मनाने के लिए अपने-अपने प्रदेश के लिए रवाना होने लगे हैं. इसके कारण जहां उत्पादन प्रभावित हो रहा है. कालीन व्यवसायियों के मुताबिक, लगभग 65-70 प्रतिशत बुनकर अपने-अपने घर पलायन कर चुके हैं.

खास बात है कि डोमोटेक्स में भागीदारी करने वाले निर्यातकों की चिंताएं बढ़ गई हैं. ऐसे में सैंपल तैयार कराने में जुटे निर्यातकों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है. उधर, उत्पादन ठप होने से ऑर्डर वाला माल भेजना भी मुश्किल हो गया है. निर्यातकों का कहना है कि पर्व को देखते हुए बुनकरों पर रुकने के लिए दबाव भी नहीं बनाया जा सकता. कालीन उद्योग में बुनकरों का अभाव पहले से ही है. वहीं कोरोना काल तक कामकाज प्रभावित रहने के कारण बड़ी संख्या में बुनकर दूसरे कामों में लग गए. ऐसे में दूसरी लहर के बाद महज 60 फीसदी बुनकर ही लौटे थे.

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बुनकरों की घर वापसी के कारण यूपी के कालीन व्यवसाय पर संकट गहरा गया है.

पहले कोरोना ने रुलाया, अब बिहार में चुनाव और त्योहार से गहराया संकट


कालीन व्यवसायियों के अनुसार, व्यवसाय अब धीरे-धीरे पटरी आने लगा था, लेकिन बुनकरों की घर वापसी से फिर संकट बढ़ गया है. औराई में कालीन बुनाई कराने वाली पियुष बरनवाल के कारखानों में वर्तमान समय में महज 10 बुनकर रह गए हैं, जबकि 35 बुनकर काम करते थे. उनका कहना है कि बिहार में पंचायत चुनाव चल रहा है, इसके कारण काफी बुनकर पहले ही घर लौट गए थे. इस बीच शेष बुनकर दीपावली, छठ और व धनतेरस मनाने के लिए रवाना होने लगे हैं. पियुष बरनवाल ने कहा कि ऐसे में उत्पादन 80 फीसदी कम हो गया है. इसी तरह अन्य कारखाना संचालक बुनकरों के जाने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठने को विवश हैं.

विश्व में प्रसिद्ध हैं भदोही का कालीन

बता दें, भदोही जिला उत्कृष्ट डिजाइनों के कालीनों के निर्माण और निर्यात के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. जानकारी के अनुसरा, यहां इस कार्य से लगभग 63000 कारीगर जुड़े हैं. भदोही जनपद में कुल लूमों की संख्या 1 लाख से अधिक है तथा 500 से अधिक निर्यात इकाइयां कार्यरत हैं. यहां के हस्तनिर्मित कालीन अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में बहुत लोकप्रिय हैं.

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