ETV Bharat / state

संकट में मगहर का गांधी आश्रम, भुखमरी की कगार पर कर्मचारी

संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर में आजादी के तत्काल बाद स्थापित श्री गांधी आश्रम में संचालित खादी उद्योग संकट में है. कभी यहां छड़ी, चरखा, सूत बुनने के यंत्र, पटरी, साबुन व अगरबत्ती बनाने का कारोबार बड़े पैमाने पर होता था, जो अब बंद हो चुका है, जिससे यहां काम करने वाले लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं.

संकट में मगहर का गांधी आश्रम
संकट में मगहर का गांधी आश्रम
author img

By

Published : Mar 20, 2021, 2:41 PM IST

संत कबीर नगर: 'खादी वस्त्र नहीं विचार है 'शायद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इसी सपने को साकार करने के लिए आजाद भारत में खादी वस्त्रों के निर्माण के लिए गांधी आश्रमों की स्थापना की गई थी, जिसके चलते एक तरफ जहां राष्ट्रपिता गांधी के सपने सच होते तो दूसरी तरफ सैकड़ों बेरोजगारों को रोजगार भी मिलता था. इन्हीं में से एक है संत कबीर नगर जिले में स्थित मगहर का गांधी आश्रम.

संकट में मगहर का गांधी आश्रम

गांधी का स्वावलंबन और स्वदेशी का सपना

गांधी के स्वावलंबन और स्वदेशी के सपने को साकार करने और हुनर मंद हाथों को काम देने के मकसद से साठ के दशक में स्थापित यह गांधी आश्रम लोगों की रोजी रोटी का साधन रहा. ये सोच भी सही दिशा में जा रही थी और अस्सी के दशक तक खादी आश्रमों की रौनक देखने लायक थी, लेकिन बाद में सरकारों की अदूरदर्शिता और उदासीनता के चलते आज गांधी जी के यही आश्रम अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. यहां पर काम रहे सैकड़ों कर्मचारियों और बुनकरों की जिंदगी बेनूर और बेजार है. गांधी आश्रम की बदहाली और बंदी से कर्मचारी भुखमरी के शिकार हैं. वर्षों से वेतन न मिलने से कर्मचारी सहित उनका पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर है.

sant kabir nagar news
गांधी के स्वावलंबन और स्वदेशी के सपने को साकार करने और हुनर मंद हाथों को काम देने के मकसद से साठ के दशक में स्थापित यह गांधी आश्रम लोगों की रोजी रोटी का साधन रहा.
पूर्वांचल का सबसे बड़ा गांधी आश्रम

संत कबीर नगर जिले के मगहर कस्बे में स्थित पूर्वांचल का सबसे बड़ा गांधी आश्रम मगहर था. इस आश्रम का दर्जा देश के गिने चुने गांधी आश्रमों में था, जिसका विस्तार लखनऊ से लेकर पूरे पूर्वांचल तक था. यहां पर कर्मचारियों और बुनकरों को मिलाकर तकरीबन पंद्रह सौ लोग काम किया करते थे. उस समय खादी ग्रामोद्योग भारत सरकार की तरफ से ऐसे तमाम केन्द्रों के विकास के लिए ग्रांट भी मिलता था, जिसके सहारे कच्चे माल की खरीदारी आदि का कार्य किया जाता था. लेकिन बाद की सरकारों ने इस पर ध्यान देना बंद कर दिया, जिसका नतीजा यह निकला की यह गांधी आश्रम दिये की लौ के सामान धीरे धीरे बुझने की कगार पर पहुंच चुका है. मगहर के इस खादी गांधी आश्रम में एक वक्त जहां पंद्रह सौ कर्मचारी काम किया करते थे वहां अब महज 70 कर्मचारी ही बचे हैं, जिनका कई साल से वेतन बकाया है. इसके साथ ही साथ रिटायर्ड कर्मियों के पीएफ का भुगतान न होने के कारण उनका परिवार भुखमरी की कगार पर है.

sant kabir nagar news
संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर में आजादी के तत्काल बाद स्थापित श्री गांधी आश्रम में संचालित खादी उद्योग संकट में है.
सरकारी उदासीनता के चलते बेहालगांधी आश्रम में बनने वाले उत्पादों की खपत पूरे देश में होती थी, जिन्होंने कभी वो दौर देखा था जब यही आश्रम हजारों लोगों के घरो में दो वक्त का चूल्हा जलाता था, लेकिन आज की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है. कल तक जिस आश्रम के अंदर खादी वस्त्रों के अलावा साबुन,अगरबत्ती, छपाई आदि के उद्योग फल फूल रहे थे, लेकिन आज सरकारी उदासीनता के चलते यहां पर पड़ी तमाम मशीने जंग खा रही है . गांधी आश्रम में काम करने वाले बुनकर आज बदहाली की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं.
sant kabir nagar
बदहाल पड़ा मगहर का गांधी आश्रम

संत कबीर नगर: 'खादी वस्त्र नहीं विचार है 'शायद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इसी सपने को साकार करने के लिए आजाद भारत में खादी वस्त्रों के निर्माण के लिए गांधी आश्रमों की स्थापना की गई थी, जिसके चलते एक तरफ जहां राष्ट्रपिता गांधी के सपने सच होते तो दूसरी तरफ सैकड़ों बेरोजगारों को रोजगार भी मिलता था. इन्हीं में से एक है संत कबीर नगर जिले में स्थित मगहर का गांधी आश्रम.

संकट में मगहर का गांधी आश्रम

गांधी का स्वावलंबन और स्वदेशी का सपना

गांधी के स्वावलंबन और स्वदेशी के सपने को साकार करने और हुनर मंद हाथों को काम देने के मकसद से साठ के दशक में स्थापित यह गांधी आश्रम लोगों की रोजी रोटी का साधन रहा. ये सोच भी सही दिशा में जा रही थी और अस्सी के दशक तक खादी आश्रमों की रौनक देखने लायक थी, लेकिन बाद में सरकारों की अदूरदर्शिता और उदासीनता के चलते आज गांधी जी के यही आश्रम अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. यहां पर काम रहे सैकड़ों कर्मचारियों और बुनकरों की जिंदगी बेनूर और बेजार है. गांधी आश्रम की बदहाली और बंदी से कर्मचारी भुखमरी के शिकार हैं. वर्षों से वेतन न मिलने से कर्मचारी सहित उनका पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर है.

sant kabir nagar news
गांधी के स्वावलंबन और स्वदेशी के सपने को साकार करने और हुनर मंद हाथों को काम देने के मकसद से साठ के दशक में स्थापित यह गांधी आश्रम लोगों की रोजी रोटी का साधन रहा.
पूर्वांचल का सबसे बड़ा गांधी आश्रम

संत कबीर नगर जिले के मगहर कस्बे में स्थित पूर्वांचल का सबसे बड़ा गांधी आश्रम मगहर था. इस आश्रम का दर्जा देश के गिने चुने गांधी आश्रमों में था, जिसका विस्तार लखनऊ से लेकर पूरे पूर्वांचल तक था. यहां पर कर्मचारियों और बुनकरों को मिलाकर तकरीबन पंद्रह सौ लोग काम किया करते थे. उस समय खादी ग्रामोद्योग भारत सरकार की तरफ से ऐसे तमाम केन्द्रों के विकास के लिए ग्रांट भी मिलता था, जिसके सहारे कच्चे माल की खरीदारी आदि का कार्य किया जाता था. लेकिन बाद की सरकारों ने इस पर ध्यान देना बंद कर दिया, जिसका नतीजा यह निकला की यह गांधी आश्रम दिये की लौ के सामान धीरे धीरे बुझने की कगार पर पहुंच चुका है. मगहर के इस खादी गांधी आश्रम में एक वक्त जहां पंद्रह सौ कर्मचारी काम किया करते थे वहां अब महज 70 कर्मचारी ही बचे हैं, जिनका कई साल से वेतन बकाया है. इसके साथ ही साथ रिटायर्ड कर्मियों के पीएफ का भुगतान न होने के कारण उनका परिवार भुखमरी की कगार पर है.

sant kabir nagar news
संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर में आजादी के तत्काल बाद स्थापित श्री गांधी आश्रम में संचालित खादी उद्योग संकट में है.
सरकारी उदासीनता के चलते बेहालगांधी आश्रम में बनने वाले उत्पादों की खपत पूरे देश में होती थी, जिन्होंने कभी वो दौर देखा था जब यही आश्रम हजारों लोगों के घरो में दो वक्त का चूल्हा जलाता था, लेकिन आज की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है. कल तक जिस आश्रम के अंदर खादी वस्त्रों के अलावा साबुन,अगरबत्ती, छपाई आदि के उद्योग फल फूल रहे थे, लेकिन आज सरकारी उदासीनता के चलते यहां पर पड़ी तमाम मशीने जंग खा रही है . गांधी आश्रम में काम करने वाले बुनकर आज बदहाली की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं.
sant kabir nagar
बदहाल पड़ा मगहर का गांधी आश्रम
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.