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जनवरी की बारिश से सोना उगलते हैं खेत, जानिए वजह - भदोही में बारिश की बहार

जनवरी की बरसात से रबी की फसलों की पैदावार के साथ-साथ खेतों की उर्वरता में भी काफी वृद्धि होती है.

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जनवरी महीने की बारिश से किसानों के चेहरों पर आई खुशी.
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Published : Jan 4, 2020, 12:46 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST

भदोही: जनवरी में जिले में हो रही हल्की बूंदाबांदी ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है. पिछले साल लगातार बारिश से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन इस बार जनवरी के पहले सप्ताह में बारिश होने से रबी की फसलों की पैदावार काफी बढ़ गई है. बारिश से फसल की पैदावार के साथ-साथ खेतों की उर्वरता में भी वृद्धि होगी.

जनवरी की बारिश से रबी की फसलों की पैदावार बढ़ने के साथ खेत की उर्वरता भी बढ़ती है.


पारंपरिक कृषि में जनवरी की बरसात को स्वर्णिम बरसात कहा जाता है. इसका साइंटिफिक रीजन पहले लोगों को नहीं पता था, लेकिन अब पता चल गया है. जनवरी की बरसात से खेतों में राइजोपस नामक बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है. ये बैक्टीरिया वातावरण से नाइट्रोजन खींचकर फसलों की जड़ों को प्रदान करते हैं, जिससे पैदावार ही नहीं बल्कि खेत की उर्वरता भी काफी बढ़ जाती है.

इसे भी पढ़ें- भदोही: एक ही बाड़े के 20 भेड़ों की अचानक मौत, 10 बीमार

जिले में 54 हजार हेक्टेयर पर रबी की फसल उगाई जाती है, जो कि सरकारी टारगेट से काफी आगे है. बरसात की वजह से रबी की फसलों को तो फायदा हुआ ही है, उसके साथ दलहनी फसलों की पैदावार में भी इजाफा हुआ है.
- अशोक कुमार प्रजापति, जिला कृषि अधिकारी

भदोही: जनवरी में जिले में हो रही हल्की बूंदाबांदी ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है. पिछले साल लगातार बारिश से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन इस बार जनवरी के पहले सप्ताह में बारिश होने से रबी की फसलों की पैदावार काफी बढ़ गई है. बारिश से फसल की पैदावार के साथ-साथ खेतों की उर्वरता में भी वृद्धि होगी.

जनवरी की बारिश से रबी की फसलों की पैदावार बढ़ने के साथ खेत की उर्वरता भी बढ़ती है.


पारंपरिक कृषि में जनवरी की बरसात को स्वर्णिम बरसात कहा जाता है. इसका साइंटिफिक रीजन पहले लोगों को नहीं पता था, लेकिन अब पता चल गया है. जनवरी की बरसात से खेतों में राइजोपस नामक बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है. ये बैक्टीरिया वातावरण से नाइट्रोजन खींचकर फसलों की जड़ों को प्रदान करते हैं, जिससे पैदावार ही नहीं बल्कि खेत की उर्वरता भी काफी बढ़ जाती है.

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जिले में 54 हजार हेक्टेयर पर रबी की फसल उगाई जाती है, जो कि सरकारी टारगेट से काफी आगे है. बरसात की वजह से रबी की फसलों को तो फायदा हुआ ही है, उसके साथ दलहनी फसलों की पैदावार में भी इजाफा हुआ है.
- अशोक कुमार प्रजापति, जिला कृषि अधिकारी

Intro:पिछली रात से हो रही हल्की बूंदाबांदी किसानों के लिए खुशहाली लेकर आई है जहां पिछली बार किसान लगातार हुई बारिश की वजह से उनको भारी नुकसान उठाना पड़ा है वहीं इस बार जनवरी महीने के पहले सप्ताह में बारिश होने से उनकी आस अपनी रवि की फसलों को लेकर काफी बढ़ गई है यह बारिश उनकी पैदावार तो बढ़ाएगी ही साथ-साथ उनके खेत की उर्वरता के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगी


Body:पारंपरिक कृषि ने जनवरी महीने की बरसात को स्वर्णिम बरसात कहा जाता है इसका साइंटिफिक रीजन हालांकि लोगों को उस समय पता नहीं था लेकिन अगर जनवरी के महीने में बरसात होती है उससे राइजोपस नामक बैक्टीरिया खेत में अधिक से अधिक आ जाते हैं जिसकी वजह से वह वातावरण से नाइट्रोजन खींचकर फसलों की जड़ों को प्रदान करते हैं जिससे पैदावार ही नहीं बढ़ती बल्कि खेत की उर्वरता भी काफी बढ़ जाती है इसी कारण से जनवरी की बरसात को किसान स्वर्णिम बरसात के रूप में देखते हैं


Conclusion:जिले में 54000 हेक्टेयर पर रवि की फसल उगाई जाती है जो कि सरकारी टारगेट से काफी आगे है बरसात की वजह से रवि की फसलों को तो फायदा हुआ है या दलहनी फसलों के लिए भैया रामबाण साबित होगा जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि पिछली बार हुई बरसात की वजह से जिन किसानों की खेत बर्बाद हो गए थे उनको यह बरसात काफी राहत का साथ देगी और इससे किसान अपनी पिछली नुकसान का भी भर पाया कर सकेंगे हालांकि अभी और बरसात की जरूरत है जिससे फसल और अच्छी हो सकती है
बाइट - अशोक कुमार प्रजापति जिला कृषि अधिकारी
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST
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