संतकबीरनगर: निकाल फेंकती है दहलीज के बाहर, बढ़ती उम्र किसी की सगी नहीं होती...!! यह लाइन उन प्रताड़ित बुजुर्गों पर सटीक बैठती है जिन्होंने बड़े प्यार और दुलार से अपने बच्चों को पाला, लेकिन बुढ़ापे में इन बच्चों ने उनका सहारा बनने की बजाय, उन्हें घर से निकाल दिया. विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस के मौके पर ईटीवी भारत की टीम ने जिले के एक वृद्ध आश्रम में जाकर वहां रह रहे बुजुर्गों से बात की. बातचीत में बुजुर्गों का दर्द छलक उठा. बुजुर्गों ने कहा कि वह खुशी से नहीं बल्कि घरवालों की प्रताड़ना से आजिज होने के बाद वृद्धाश्रम पहुंचे हैं. यहां कम से कम उनको दो वक्त की रोटी तो सुकून से नसीब होती है.
तीन साल में 300 से ज्यादा बुजुर्ग आए वृद्धाश्रम
जिले के इस वृद्धाश्रम का संचालन किसान सेवा संस्थान वनकटी एनजीओ करती है. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग से भी इसे कुछ आर्थिक मदद मिलती है. वृद्धाश्रम के मैनेजर और सोशल एक्टिविस्ट शैलेश कुमार यादव ने बताया कि 3 साल से इस आश्रम का संचालन किया जा रहा है. तीन सालों से अब तक इस वृद्धाश्रम में 300 से ज्यादा बुजुर्ग आ चुके हैं. वर्तमान में यहां 50 बुजुर्ग रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां वही लोग आते हैं जो प्रताड़ना के शिकार होते हैं. इसकी रोकने के लिए लोगों को अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए. उनसे अच्छे से बातचीत करना चाहिए. समय समय पर घर के कामों में उसने सलाह लेनी चाहिए, जिससे उनके अंदर हीन भावना नहीं आती.
प्रभावती ने बयां किया अपना दर्द
इस आश्रम में कुछ बुजुर्ग कई साल से रह रहे हैं. आश्रम में रहने वाली प्रभावती ने बताया कि उनकी बहू उन्हें प्रताड़ित करती थी. आए दिन उनके साथ मार-पीट और गाली-गलौच करती थी. उनके तीन बेटों में दो बेटे मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं और तीसरे की मौत हो चुकी है. उनका कहना है कि उनकी बाकी बची उमर यहीं कट जाएगी.
बुजुर्गों का हाल नहीं पूछते परिवार के लोग
बुजुर्ग महिला मनभावती ने बताया कि घर में भी रहकर क्या करें, जब घरवालों का प्यार नहीं मिलता. घरवाले न खाना-पानी देते और न ही सीधे मुंह बात करते हैं. उनका कहना था कि आज के समय में बुजुर्गों को कौन पूछता है. अब हम किसी काम के तो रह नहीं गए. मनभावती दो साल से वृद्ध आश्रम में रहती हैं. इस दौरान कोई उनसे मिलने तक नहीं आता.
वृद्धाश्रम आने का मुख्य कारण प्रताड़ना
कहते हैं जवानी जाकर आती नहीं और बुढ़ापा आकर जाता नहीं. आज के समय में बुजुर्गों के साथ आए दिन दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं. इन बुजुर्गों ने बताया कि वृद्धाश्रम में उनके आने का मुख्य कारण प्रताड़ना है. किसी का बेटा प्रताड़ित करता है तो किसी की बहू प्रताड़ित करती है. परिवार से जो प्यार मिलना चाहिए. वह नहीं मिलता. इस कारण मजबूरी में उनको वृद्धाश्रम की शरण लेनी पड़ती है.
संयुक्त राष्ट्र ने की थी शुरुआत
बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए विश्व भर में 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस मनाया जाता है. बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में इसे 15 जून 2006 से मनाना शुरू किया गया. संयुक्त राष्ट्र ने इसकी शुरुआत की थी. जैसे-जैसे दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही हैं.