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बदहाली पर आंसू बहा रही है बखिरा झील, पर्यटक मायूस - sant kabir nagar news in hindi

इतिहास के पन्नों में बखिरा झील का मनमोहक दृश्य है. रंग-बिरंगें विदेशी पक्षियों के झुंड़ से झील गुंजायमान रहती है. यहां आने वाला हर व्यक्ति कुछ पल के लिए खो जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां की स्थित बेहद खराब है. झील पर आने वाले पर्यटक मायूस होकर लौट जाते हैं. पर्यटकों का कहना है कि अब झील में देखने लायक कुछ बचा ही नहीं है.

बदहाली पर आंसू बहा रही है बखिरा झील
बदहाली पर आंसू बहा रही है बखिरा झील
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Published : Jan 27, 2021, 7:52 PM IST

संत कबीर नगर: जिले की ऐतिहासिक बखिरा झील सदियों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है, लेकिन इसकी बदहाली पर सरकार की नजर नहीं है. चुनाव के समय जिले के चुने गए जनप्रातिनिधियों ने हर बार बखिरा झील के अच्छे दिन लाने के तमाम वादे किए, लेकिन चुनाव के बाद ये वादे खोखले साबित हुए. आज भी बखिरा झील की बदहाली की स्थिति जस की तस बनी हुई है. देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट में बखिरा झील का हाल क्यों है बेहाल.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

बखिरा झील संत कबीर नगर जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर खलीलाबाद-मेहदावल मार्ग पर है. इसे मोती झील के नाम से भी जाना जाता है. ये झील करीब 12 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है. ठंड के दिनों में प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी से झील का क्षेत्रफल रमणीक हो जाता है. यहां विदेशी साइबेरियन पक्षियों में लालसर, पटियरा, कैमा, मऊरार, पोचर्ड, रेडक्रेस्टेड, सुरखाब, स्पाटेड, ईगल, मार्स और हैरियन सहित विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का जमावड़ा रहता है.

इन पक्षियों की एक झलक पाने और यहां का खूबसूरत नजारा देखने के लिए पर्यटक बखिरा झील पर आते हैं. पर्यटकों को झील तक पहुंचने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं, क्योंकि झील तक जाने के लिए टूटे-फूटे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. झील तक पहुंचने के बाद पर्यटक मायूस होकर वापस लौट जाते हैं, क्योंकि उन्हें झील तक पहुंचने के लिए कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है और न ही यहां बैठने और देखने लायक कोई चीज है.

बढ़ रहा भूजल प्रदूषण का कहर, पेयजल बन रहा 'जहर'

बता दें कि पिछली सपा और बसपा सरकारों ने बखिरा झील को विकसित करने के लिए तमाम दावे किए, लेकिन सब कुछ हवा-हवाई निकला. वहीं अब देश और प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. मेहदावल विधानसभा से बीजेपी के विधायक राकेश सिंह बघेल हैं. इन्होंने बखिरा झील के अच्छे दिन लाने के कई सपने दिखाए, लेकिन चार साल का लंबा अरसा गुजरने के बाद आज भी झील अपने आपको ठगा हुआ महसूस करती है. बखिरा झील आज भी उस सरकार का इंतजार है, जो इस झील की खूबसूरती को चार चांद लगा दे.

गोरखपुर से बखिरा झील का दीदार करने आए पर्यटक सुमित नायक ने बताया कि झील का बहुत नाम सुना था. सोचा था यहां पहुंचकर मनोरंजन होगा, लेकिन इस झील में देखने लायक कोई चीज है ही नहीं. वहीं जब झील की बदहाली को लेकर संत कबीर नगर के डीएफओ से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि ईको पर्यटन स्थल के लिए वन विभाग को 15 लाख रुपये मिले हैं, जिससे टूरिंग क्वाटर और वॉच टावर का निर्माण कराया जा रहा है.

संत कबीर नगर: जिले की ऐतिहासिक बखिरा झील सदियों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है, लेकिन इसकी बदहाली पर सरकार की नजर नहीं है. चुनाव के समय जिले के चुने गए जनप्रातिनिधियों ने हर बार बखिरा झील के अच्छे दिन लाने के तमाम वादे किए, लेकिन चुनाव के बाद ये वादे खोखले साबित हुए. आज भी बखिरा झील की बदहाली की स्थिति जस की तस बनी हुई है. देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट में बखिरा झील का हाल क्यों है बेहाल.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

बखिरा झील संत कबीर नगर जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर खलीलाबाद-मेहदावल मार्ग पर है. इसे मोती झील के नाम से भी जाना जाता है. ये झील करीब 12 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है. ठंड के दिनों में प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी से झील का क्षेत्रफल रमणीक हो जाता है. यहां विदेशी साइबेरियन पक्षियों में लालसर, पटियरा, कैमा, मऊरार, पोचर्ड, रेडक्रेस्टेड, सुरखाब, स्पाटेड, ईगल, मार्स और हैरियन सहित विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का जमावड़ा रहता है.

इन पक्षियों की एक झलक पाने और यहां का खूबसूरत नजारा देखने के लिए पर्यटक बखिरा झील पर आते हैं. पर्यटकों को झील तक पहुंचने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं, क्योंकि झील तक जाने के लिए टूटे-फूटे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. झील तक पहुंचने के बाद पर्यटक मायूस होकर वापस लौट जाते हैं, क्योंकि उन्हें झील तक पहुंचने के लिए कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है और न ही यहां बैठने और देखने लायक कोई चीज है.

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बता दें कि पिछली सपा और बसपा सरकारों ने बखिरा झील को विकसित करने के लिए तमाम दावे किए, लेकिन सब कुछ हवा-हवाई निकला. वहीं अब देश और प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. मेहदावल विधानसभा से बीजेपी के विधायक राकेश सिंह बघेल हैं. इन्होंने बखिरा झील के अच्छे दिन लाने के कई सपने दिखाए, लेकिन चार साल का लंबा अरसा गुजरने के बाद आज भी झील अपने आपको ठगा हुआ महसूस करती है. बखिरा झील आज भी उस सरकार का इंतजार है, जो इस झील की खूबसूरती को चार चांद लगा दे.

गोरखपुर से बखिरा झील का दीदार करने आए पर्यटक सुमित नायक ने बताया कि झील का बहुत नाम सुना था. सोचा था यहां पहुंचकर मनोरंजन होगा, लेकिन इस झील में देखने लायक कोई चीज है ही नहीं. वहीं जब झील की बदहाली को लेकर संत कबीर नगर के डीएफओ से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि ईको पर्यटन स्थल के लिए वन विभाग को 15 लाख रुपये मिले हैं, जिससे टूरिंग क्वाटर और वॉच टावर का निर्माण कराया जा रहा है.

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