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आजादी मिले हो गए 70 साल, संतकबीरनगर के ये इलाके आज भी विकास से दूर - गांव में नहीं हो रहा विकास

यूपी के संतकबीरनगर जिले का रामपुर दक्षिणी गांव सरकारी योजनाओं का दंश झेल रहा है. गांव की आधी आबादी को आजादी के 70 साल के बाद मकान नहीं मिल पाया है. वहीं, यहां के लोग अभी भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

झोपड़ी में बैठे स्थानीय.
झोपड़ी में बैठे स्थानीय.
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Published : Apr 13, 2021, 5:59 PM IST

संतकबीरनगर: जिले का रामपुर दक्षिणी गांव सरकारी योजनाओं की बदहाली की कहानी बयां कर रहा है. इस गांव की आधी आबादी को आजादी के 70 साल के बाद भी छत नसीब नहीं हो पाई है. यहां के लोग अभी भी छपर और खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते सैकड़ों की आबादी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है.

जानकारी देती स्थानीय महिलाएं और सीडीओ.

संतकबीरनगर जिले के हैसर ब्लॉक का रामपुर दक्षिणी जहां गांव की आधी आबादी निषाद व हरिजन मलीन बस्ती है और गांव के प्रधान भी इन्ही लोगों में एक है. प्रधान का कहना है कि गांव में 5 वर्ष बहुत विकास हुआ है, लेकिन गांव की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. रामपुर दक्षिणी गांव की आधी आबादी में निषाद व हरिजन मलिन बस्ती है. सरकार की सारी योजनाएं यहीं आकर दम तोड देती है. प्रधान मंत्री आवास के नाम पर ग्रामीणों के पास बस घास-फूस की झोपड़ी है.

आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. गरीब लोगों को पक्का मकान देने की प्रधानमंत्री आवास योजना भी इनका कायाकल्प नहीं कर पाई. पीढ़ियों से टूटे फूटी झोपड़ी में जिंदगी बसर कर रहे लोगों पर आज तक ग्राम प्रधान व विकास के दावे करने वाले अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी है. ग्रामीण के पास मूलभूत सुविधाओं के नाम पर इनके पास कुछ भी नहीं है. वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहे इन ग्रामीणों का हाल जानने आज तक कोई नहीं आया है. सरकार की योजनाएं इस बस्ती तक आते आते रस्ते में ही दम तोड़ देती है.

सीडीओ अतुल मिश्र ने बताया कि अगर इस गांव में ग्रामीणों को सुविधाएं नहीं मिली है तो बेहद गंभीर मामला है. आवास पात्रों की सूची मनाई जाएगी. अगर ग्रामीणों का नाम सूची में होगा तो उनकी सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- बेटे के साथ मिलकर बाप ने ही की बेटी की हत्या, चार आरोपी गिरफ्तार

संतकबीरनगर: जिले का रामपुर दक्षिणी गांव सरकारी योजनाओं की बदहाली की कहानी बयां कर रहा है. इस गांव की आधी आबादी को आजादी के 70 साल के बाद भी छत नसीब नहीं हो पाई है. यहां के लोग अभी भी छपर और खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते सैकड़ों की आबादी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है.

जानकारी देती स्थानीय महिलाएं और सीडीओ.

संतकबीरनगर जिले के हैसर ब्लॉक का रामपुर दक्षिणी जहां गांव की आधी आबादी निषाद व हरिजन मलीन बस्ती है और गांव के प्रधान भी इन्ही लोगों में एक है. प्रधान का कहना है कि गांव में 5 वर्ष बहुत विकास हुआ है, लेकिन गांव की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. रामपुर दक्षिणी गांव की आधी आबादी में निषाद व हरिजन मलिन बस्ती है. सरकार की सारी योजनाएं यहीं आकर दम तोड देती है. प्रधान मंत्री आवास के नाम पर ग्रामीणों के पास बस घास-फूस की झोपड़ी है.

आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. गरीब लोगों को पक्का मकान देने की प्रधानमंत्री आवास योजना भी इनका कायाकल्प नहीं कर पाई. पीढ़ियों से टूटे फूटी झोपड़ी में जिंदगी बसर कर रहे लोगों पर आज तक ग्राम प्रधान व विकास के दावे करने वाले अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी है. ग्रामीण के पास मूलभूत सुविधाओं के नाम पर इनके पास कुछ भी नहीं है. वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहे इन ग्रामीणों का हाल जानने आज तक कोई नहीं आया है. सरकार की योजनाएं इस बस्ती तक आते आते रस्ते में ही दम तोड़ देती है.

सीडीओ अतुल मिश्र ने बताया कि अगर इस गांव में ग्रामीणों को सुविधाएं नहीं मिली है तो बेहद गंभीर मामला है. आवास पात्रों की सूची मनाई जाएगी. अगर ग्रामीणों का नाम सूची में होगा तो उनकी सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किया जाएगा.

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