ETV Bharat / state

500 साल पुराना मंदिर, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने की थी शिवलिंग की पूजा

उत्तर प्रदेश के जनपद संभल में एक ऐसा मंदिर है, जिसका इतिहास लगभग 500 साल पुराना है. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं यहां पर शिवलिंग की पूजा की थी. इस मंदिर का नाम है श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर.

श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर
श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर
author img

By

Published : Feb 19, 2021, 10:32 PM IST

संभल : संभल सिकंदर लोधी की 15वीं सदी के अंत और 16वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था. यह प्राचीन शहर एक समय महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था. ऐतिहासिक मंदिर और मस्जिद हो या दूसरी ऐतिहासिक इमारतें, इस शहर में कदम-कदम पर इतिहास बसता है. वहीं, बहुत सी ऐतिहासिक इमारतें तो अपने आप में ऐतिहासिक रहस्य छुपाए हुए हैं. इसी संभल में लगभग 500 साल पुराना एक मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं शिवलिंग की पूजा की थी. पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर का निर्माण कराया था. इसलिए मंदिर का नाम श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर रखा गया. संभल के इस मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. श्रद्धालु मंदिर में दर्शन और पूजा करने आते हैं.

यहां भगवान श्रीकृष्ण ने की थी शिवलिंग की पूजा

मंदिर क्यों है खास?

श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर के पुजारी हर्ष शर्मा ने बताया कि जो श्रद्धालु इस मंदिर में लगातार 40 दिन आते हैं, उसके मन की मुराद अवश्य ही पूरी होती है. पुजारी ने बताया कि एक भक्त की मुराद पूरी होने पर उसने शिवलिंग के चारों ओर चांदी का एक कवच बनवाया है. इस शिवलिंग में लगभग 30 किलो चांदी लगी हुई है. पुजारी और भक्तों का कहना है कि इस मंदिर में आने पर सभी के मन की मुरादें पूरी होती हैं.

मंदिर में बना कुंड भी है खास

मंदिर के अंदर एक कुंड भी बना है. कुंड के ही साथ भगवान सूर्यनारायण का मंदिर भी है. इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि जो भी इस कुंड में 40 दिन स्नान कर ले, उसका कोढ़पन, खुजली, दाद सभी तरह के त्वचा रोग दूर हो जाते हैं. कुंड में एक बहुत गहरा कुआं है, जिसकी आज तक कोई गहराई नहीं माप पाया. कुंड में ही एक सुरंग भी है. ये सुरंग भी अपने आप में बहुत से ऐतिहासिक रहस्य छिपाए हुए है.

ये भी पढ़े: युवती के पति को भेजा अश्लील वीडियो, टूटा रिश्ता

मंदिर के तालाब में मछलियां और कछुए हैं

मंदिर में एक गोशाला भी है. मंदिर परिसर में दो पुरानी समाधियां भी हैं. एक समाधि बजरंग भारती जी की है और दूसरी समाधि हरिद्वार पुरी महाराज जी की है. मंदिर में दो बहुत पुराने और विशालकाय वृक्ष भी हैं, जिनको देखते ही लगता है कि ये कई सौ साल पुराने हैं. इस मंदिर में बैठकर मन को बहुत शांति मिलती है. मंदिर में एक बड़ा तालाब है, जिसे कच्चा तीरथ कहा जाता है. इस तालाब में लगभग 250 मछलियां और 200 कछुए हैं.

डॉक्टर-इंजीनियर करते हैं मंदिर में सफाई

पूरे उत्तर प्रदेश में केवल दो ही जगह सूरजकुंड मंदिर है. एक संभल में और दूसरा मेरठ में है. कुल मिलाकर श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर का धार्मिक महत्व तो है ही उसके साथ ऐतिहासिक महत्व भी है. यहां डॉक्टर से लेकर इंजीनियर पेशे वाले भक्त मंदिर में रोज समय निकाल कर साफ-सफाई और सेवा करने आते हैं.

संभल : संभल सिकंदर लोधी की 15वीं सदी के अंत और 16वीं सदी के शुरू में प्रांतीय राजधानियों में से एक था. यह प्राचीन शहर एक समय महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था. ऐतिहासिक मंदिर और मस्जिद हो या दूसरी ऐतिहासिक इमारतें, इस शहर में कदम-कदम पर इतिहास बसता है. वहीं, बहुत सी ऐतिहासिक इमारतें तो अपने आप में ऐतिहासिक रहस्य छुपाए हुए हैं. इसी संभल में लगभग 500 साल पुराना एक मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं शिवलिंग की पूजा की थी. पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर का निर्माण कराया था. इसलिए मंदिर का नाम श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर रखा गया. संभल के इस मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. श्रद्धालु मंदिर में दर्शन और पूजा करने आते हैं.

यहां भगवान श्रीकृष्ण ने की थी शिवलिंग की पूजा

मंदिर क्यों है खास?

श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर के पुजारी हर्ष शर्मा ने बताया कि जो श्रद्धालु इस मंदिर में लगातार 40 दिन आते हैं, उसके मन की मुराद अवश्य ही पूरी होती है. पुजारी ने बताया कि एक भक्त की मुराद पूरी होने पर उसने शिवलिंग के चारों ओर चांदी का एक कवच बनवाया है. इस शिवलिंग में लगभग 30 किलो चांदी लगी हुई है. पुजारी और भक्तों का कहना है कि इस मंदिर में आने पर सभी के मन की मुरादें पूरी होती हैं.

मंदिर में बना कुंड भी है खास

मंदिर के अंदर एक कुंड भी बना है. कुंड के ही साथ भगवान सूर्यनारायण का मंदिर भी है. इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि जो भी इस कुंड में 40 दिन स्नान कर ले, उसका कोढ़पन, खुजली, दाद सभी तरह के त्वचा रोग दूर हो जाते हैं. कुंड में एक बहुत गहरा कुआं है, जिसकी आज तक कोई गहराई नहीं माप पाया. कुंड में ही एक सुरंग भी है. ये सुरंग भी अपने आप में बहुत से ऐतिहासिक रहस्य छिपाए हुए है.

ये भी पढ़े: युवती के पति को भेजा अश्लील वीडियो, टूटा रिश्ता

मंदिर के तालाब में मछलियां और कछुए हैं

मंदिर में एक गोशाला भी है. मंदिर परिसर में दो पुरानी समाधियां भी हैं. एक समाधि बजरंग भारती जी की है और दूसरी समाधि हरिद्वार पुरी महाराज जी की है. मंदिर में दो बहुत पुराने और विशालकाय वृक्ष भी हैं, जिनको देखते ही लगता है कि ये कई सौ साल पुराने हैं. इस मंदिर में बैठकर मन को बहुत शांति मिलती है. मंदिर में एक बड़ा तालाब है, जिसे कच्चा तीरथ कहा जाता है. इस तालाब में लगभग 250 मछलियां और 200 कछुए हैं.

डॉक्टर-इंजीनियर करते हैं मंदिर में सफाई

पूरे उत्तर प्रदेश में केवल दो ही जगह सूरजकुंड मंदिर है. एक संभल में और दूसरा मेरठ में है. कुल मिलाकर श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर का धार्मिक महत्व तो है ही उसके साथ ऐतिहासिक महत्व भी है. यहां डॉक्टर से लेकर इंजीनियर पेशे वाले भक्त मंदिर में रोज समय निकाल कर साफ-सफाई और सेवा करने आते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.