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संभल के इस मंदिर में भगवान कृष्ण ने की थी भोलेनाथ की पूजा, कृष्णनेश्वर नाथ महादेव मंदिर का जानिए रहस्य...

उत्तर प्रदेश के जनपद संभल में एक ऐसा मंदिर है, जिसका इतिहास लगभग 700 साल पुराना है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने स्वयं यहां पर शिवलिंग (Shiv Linga) की पूजा की थी. इसलिए इस मंदिर का नाम है कृष्णेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड (Krishneshwar Nath Mahadev Surajkund Temple) मंदिर.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Aug 1, 2021, 8:05 AM IST

संभल: जनपद में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है जो लगभग 700 साल पुराना है. ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान (Prithvi Raj Chauhan) ने इस मंदिर का निर्माण कराया था और इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसकी पूजा भगवान श्री कृष्ण ने भी की थी. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम कृष्णेश्वर नाथ महादेव मंदिर (Krishneshwar Nath Mahadev Temple) पड़ा. वैसे तो इस मंदिर में हमेशा शिवभक्तों की भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन सावन (Sawan) और शिवरात्रि के समय यहां का नजारा कुछ और ही होता है.


कृष्णेश्वर नाथ महादेव मंदिर के पुजारी हर्ष शर्मा बताते हैं कि 40 दिन तक लगातार यहां पूजा करने से मन मांगी मुराद पूरी होती है. पुजारी के मुताबिक संभल के एक व्यापारी ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर शिवलिंग के चारों ओर 21 किलो चांदी लगवाई है. श्रद्धालुओं का कहना है कि पूरे मुरादाबाद और बरेली मंडल में ऐसा मंदिर नहीं है जहां पर शिवलिंग के चारों ओर इतनी चांदी लगी हो. भोलेनाथ का दर्शन करने आए एक श्रद्धालु का कहना है कि भोले बाबा सब की मनोकामना पूरी करते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

मंदिर में बना कुंड भी है खास

मंदिर के अंदर एक कुंड भी बना है और कुंड के ही साथ भगवान सूर्यनारायण का मंदिर भी है. कहा जाता है कि इस कुंड में 40 दिन स्नान करने से कृष्ठ रोग के अलावा दाद, खाज, खुजली जैसे सभी तरह के चर्म रोग दूर हो जाते हैं. कुंड में एक बहुत गहरा कुआं है, जिसकी आज तक कोई गहराई नहीं माप पाया. बताया जाता है कि कुंड में ही एक सुरंग भी है. ये सुरंग भी अपने आप में बहुत से ऐतिहासिक रहस्य छिपाए हुए है.



इसे भी पढ़ें-प्रयागराज : कोटेश्वर महादेव की अद्भुद महिमा, दर्शन से एक करोड़ शिवलिंग की पूजा का मिलता है पुण्य

मंदिर के तालाब में मछलियां और कछुए

मंदिर में एक गोशाला और परिसर में दो पुरानी समाधियां भी हैं. एक समाधि बजरंग भारती जी की है और दूसरी समाधि हरिद्वार पुरी महाराज जी की है. मंदिर में दो बहुत पुराने और विशालकाय वृक्ष भी हैं, जिनको देखते ही लगता है कि ये कई सौ साल पुराने हैं. जिनके नीचे बैठने के बाद श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है. मंदिर में एक बड़ा तालाब है, जिसे कच्चा तीरथ कहा जाता है. इस तालाब में लगभग 250 मछलियां और 200 कछुए हैं.

श्रद्धालु उमा गुप्ता ने कहा कि वह काफी लंबे समय से इस मंदिर में आ रही हैं और उन्हें जो कुछ भी मिला है सब भोले बाबा की कृपा से मिला है. उनकी भोलेनाथ में बहुत आस्था है, यहां उनकी मन मांगी मुरादें पूरी होती हैं.

कृष्णेश्वर नाथ महादेव मंदिर में आए एक बुजुर्ग भक्त ने बताया कि वह 50 साल से इस मंदिर में सेवा कर रहे हैं. उनकी भगवान शिव में उनकी बहुत गहरी आस्था है. उन्होंने बताया कि उन्होंने मंदिर में बहुत से चमत्कार होते देखे हैं.

संभल: जनपद में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है जो लगभग 700 साल पुराना है. ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान (Prithvi Raj Chauhan) ने इस मंदिर का निर्माण कराया था और इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसकी पूजा भगवान श्री कृष्ण ने भी की थी. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम कृष्णेश्वर नाथ महादेव मंदिर (Krishneshwar Nath Mahadev Temple) पड़ा. वैसे तो इस मंदिर में हमेशा शिवभक्तों की भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन सावन (Sawan) और शिवरात्रि के समय यहां का नजारा कुछ और ही होता है.


कृष्णेश्वर नाथ महादेव मंदिर के पुजारी हर्ष शर्मा बताते हैं कि 40 दिन तक लगातार यहां पूजा करने से मन मांगी मुराद पूरी होती है. पुजारी के मुताबिक संभल के एक व्यापारी ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर शिवलिंग के चारों ओर 21 किलो चांदी लगवाई है. श्रद्धालुओं का कहना है कि पूरे मुरादाबाद और बरेली मंडल में ऐसा मंदिर नहीं है जहां पर शिवलिंग के चारों ओर इतनी चांदी लगी हो. भोलेनाथ का दर्शन करने आए एक श्रद्धालु का कहना है कि भोले बाबा सब की मनोकामना पूरी करते हैं.

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मंदिर में बना कुंड भी है खास

मंदिर के अंदर एक कुंड भी बना है और कुंड के ही साथ भगवान सूर्यनारायण का मंदिर भी है. कहा जाता है कि इस कुंड में 40 दिन स्नान करने से कृष्ठ रोग के अलावा दाद, खाज, खुजली जैसे सभी तरह के चर्म रोग दूर हो जाते हैं. कुंड में एक बहुत गहरा कुआं है, जिसकी आज तक कोई गहराई नहीं माप पाया. बताया जाता है कि कुंड में ही एक सुरंग भी है. ये सुरंग भी अपने आप में बहुत से ऐतिहासिक रहस्य छिपाए हुए है.



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मंदिर के तालाब में मछलियां और कछुए

मंदिर में एक गोशाला और परिसर में दो पुरानी समाधियां भी हैं. एक समाधि बजरंग भारती जी की है और दूसरी समाधि हरिद्वार पुरी महाराज जी की है. मंदिर में दो बहुत पुराने और विशालकाय वृक्ष भी हैं, जिनको देखते ही लगता है कि ये कई सौ साल पुराने हैं. जिनके नीचे बैठने के बाद श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है. मंदिर में एक बड़ा तालाब है, जिसे कच्चा तीरथ कहा जाता है. इस तालाब में लगभग 250 मछलियां और 200 कछुए हैं.

श्रद्धालु उमा गुप्ता ने कहा कि वह काफी लंबे समय से इस मंदिर में आ रही हैं और उन्हें जो कुछ भी मिला है सब भोले बाबा की कृपा से मिला है. उनकी भोलेनाथ में बहुत आस्था है, यहां उनकी मन मांगी मुरादें पूरी होती हैं.

कृष्णेश्वर नाथ महादेव मंदिर में आए एक बुजुर्ग भक्त ने बताया कि वह 50 साल से इस मंदिर में सेवा कर रहे हैं. उनकी भगवान शिव में उनकी बहुत गहरी आस्था है. उन्होंने बताया कि उन्होंने मंदिर में बहुत से चमत्कार होते देखे हैं.

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