सहारनपुर: राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर जिला प्रशासन ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में कई अंतराष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया. इस दौरान ईटीवी भारत ने मेरठ की दिव्यांग खिलाड़ी फातिमा खातून और व्हील चेयर पर दिल्ली से आई एथेलीट खिलाड़ी स्वर्णा राज से खास बातचीत की.
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया
24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस बड़ी ही धूम-धाम से मनाया गया. इस अवसर पर अंतराष्ट्रीय दिव्यांग महिला खिलाड़ियों ने अपने संघर्ष को साझा किया. सरकार से पूरे देश में एक खेल नीति लागू करने की मांग की है. दिव्यांग महिला खिलाड़ियों ने कहा कि लड़कियों को ही नहीं बल्कि युवाओं को भी बढ़ चढ़कर खेलों में हिस्सा लेना चाहिए. इससे जहां उनके माता पिता का नाम रोशन होगा वहीं दुनिया में भारत देश का गौरव भी बढ़ेगा.
एक सड़क हादसे में हाथ, पैर, सिर, छाती आदि में गंभीर चोट आ गई थी. इसके चलते आधे से ज्यादा शरीर में लोहे की रॉड डाली गई है. उसका एक हाथ और पैर दो-दो जगह से टूट गए है पूरे शरीर के दर्जनों ऑपरेशन हुए हैं. बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और डिस्कस गेम को अपना कैरियर बना लिया
फातिमा खातून, दिव्यांग डिस्कस खिलाड़ीदो साल की उम्र में उसके पैरों में पोलियो हो गया था. माता पिता ने हर जगह इलाज और ऑपरेशन कराए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मैने अपनी इस दिव्यांगता को अपनी ताकत बना लिया. शिक्षा की ज्योति कही जाने वाली माता सावित्री भाई फुले से प्रेरणा लेकर न सिर्फ अपनी पढ़ाई की बल्कि पैरा एथेलीट खेल को अपना कैरियर बना लिया
स्वर्णा राज, दिव्यांग पैरा एथेलीट खिलाड़ी