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पश्चिमी यूपी बनी आतंकियों की शरणस्थली, 3000 विदेशी नागरिक एटीएस के रडार पर

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Published : Jul 21, 2023, 9:52 PM IST

पश्चिमी यूपी आखिर आतंकियों की शरणस्थली कैसे बनी. इसे लेकर एटीएस किस तरह से कदम उठा रही है, चलिए जानते हैं इस बारे में.

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सहारनपुर : एक ओर जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की पनाहगार बनता जा रहा है वहीं सुरक्षा एजेंसियों ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ पर अंकुश लगाने के लिए विशेष अभियान छेड़ दिया है. गुरुवार को सहारनपुर के कस्बा देवबंद से ATS की टीम ने अवैध तरीके से रह रहे दो बांग्लादेशी युवकों को गिरफ्तार किया गया. उनकी पहचान बांग्लादेश के रहने वाले हबीबुल्लाह मिस्बाह और अहमदुल्लाह के रूप में हुई है. हैरत की बात तो ये ही कि दोनों बांग्लादेशी न सिर्फ पहचान छिपाकर देवबंद में रह रहे थे बल्कि भारतीय नागरिकता भी प्राप्त कर चुके थे और पश्चिम बंगाल के पते पर आधार कार्ड ही नहीं पासपोर्ट भी अप्लाई कर चुके थे. आईबी से मिले इनपुट के बाद भारत में घुसे 3000 से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं. यूपी ATS दो सालों में 2 दर्जन से ज्यादा संदिग्धों को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.


बता दें कि फतवों की नगरी देवबंद में ATS सेंटर की स्थापना के बाद भी घुसपैठियों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. आलम यह है कि अब अवैध तरीके से भारत में घुस कर रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी फर्जी दस्तावेज बनवाकर रह रहे हैं. ATS द्वारा पकडे गए ज्यादातर पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों का आतंकी कनेक्शन मिला है. आतंकी संगठनों से जुड़े ज्यादातर विदेशी नागरिकों ने पश्चमी उत्तर प्रदेश को शरणस्थली बनाया हुआ है. अवैध रूप से भारत में आये विदेशी नागरिकों ने पश्चमी यूपी के सहारनपुर, फतवों की नगरी देवबंद, अलीगढ, मेरठ, मुज़फ्फरनगर, बुलंदशहर जिलों को पनाहगार बनाया हुआ है. जहां संदिध युवकों ने बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है. पिछले दो सालों में ATS ने फतवों की नगरी देवबंद समेत कई स्थानों पर छापेमारी कर 21 संदिग्ध युवकों को गिरफ्तार किया है. ATS की पूछताछ और जांच पड़ताल में पकड़े गए संदिग्धों का कनेक्शन आतंकी संगठनों से मिला है.

ATS के मुताबिक़ ज्यादातर विदेशी नागरिक अवैध तरीके से बॉर्डर पार कर भारत में घुसे हैं. यहां उन्होंने भारत में रहने वाले एजेंटों की मदद से न सिर्फ भारतीय दस्तावेज बनवा लिये हैं बल्कि इन दस्तावेजों के आधार पर भारत की नागरिकता भी ले ली हैं. गुरुवार को देवबंद से दो बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ है. इससे पहले ATS ने 2 मार्च 2021 को उन्नाव, नोएडा और अलीगढ़ से एक-एक, 12 मार्च 2021 को सहारनपुर से दो और आठ जून को गाजियाबाद से दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था जबकि 17 जून 2021 को अलीगढ़ से चार और 18 जून 2021 को मेरठ-बुलंदशहर और देवबंद से चार बांग्लादेशी नागरिकों की गिरफ्तारी हुई थी.

ATS ने 28 अप्रैल 2022 को बांग्लादेशी तलहा को देवबंद से गिरफ्तार किया था. इतना ही नहीं रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार बॉर्डर के रास्ते भारत लाने वाला मेरठ अल्लीपुर गांव का रहने वाला हाफिज शफीक को भी गिरफ्तार किया गया था. जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि हाफिज शफीक भारत में आने वाले रोहिंग्या के फर्जी दस्तावेज भी बनवाता था. यही वजह है कि यूपी में बांग्लादेशी नागरिकों की बढ़ती संख्या से सुरक्षा एजेंसियों की चिंता भी बढ़ना लाज़मी है.

ATS सूत्रों के मुताबिक़ 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सुरक्षा एजेंसियों को यूपी में बड़ी तादात में रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के होने का इनपुट मिला है. उत्तर प्रदेश में 3000 से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं. हैरत की बात ये हैं कि 2100 से ज्यादा विदेशी नागरिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में होने की संभावना जताई जा रही है. सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में दिल्ली निवासी आमिर हुसैन का नाम सामने आया था.

जानकारी के मुताबिक़ आमिर हुसैन पकिस्तानी रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को बॉर्डर पार कराकर भारत में के अंदर प्रवेश कराता था. 6 जनवरी 2021 को संत कबीर नगर निवासी अजीजुल्लाह, 28 फरवरी 2021 को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा जबकि फारुख के भाई शाहिद को एक मार्च को उन्नाव से गिरफ्तार किया. ये सभी म्यांमार और बर्मा के रहने वाले बताए जा रहे हैं.

आपको बताते चलें कि फतवों की नगरी देवबंद में विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम है, जहां धार्मिक शिक्षा के लिए मुस्लिम देशों से बड़ी संख्या में छात्र पहुंचते हैं. शायद यही वजह है कि म्यांमार, वर्मा, पाकिस्तानी और बांग्लादेश समेत पडोसी देशों के नागरिक देवबंद तक चले आते हैं. यहां स्थानीय एजेंटो की मदद से फर्जी आधार कार्ड और आईडी कार्ड बनवाकर यहीं रहने लगते हैं.

यूपी ATS ने कई बार देवबंद में छापेमारी कर फर्जी पासपोर्ट बनाने का भंडाफोड़ कर चुकी है. 2018 में सहारनपुर के देवबंद में पूर्व बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से जुड़े आतंकी अब्दुल्लाह की गिरफ्तारी हुई थी. अब्दुल्लाह ने थाना देवबंद इलाके के फर्जी आधार कार्ड के साथ फर्जी पासपोर्ट भी देवबंद के पत्ते से ही बनवा लिया था. यूपी ATS ने छापेमारी कर फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश भी किया था.

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सहारनपुर : एक ओर जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की पनाहगार बनता जा रहा है वहीं सुरक्षा एजेंसियों ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ पर अंकुश लगाने के लिए विशेष अभियान छेड़ दिया है. गुरुवार को सहारनपुर के कस्बा देवबंद से ATS की टीम ने अवैध तरीके से रह रहे दो बांग्लादेशी युवकों को गिरफ्तार किया गया. उनकी पहचान बांग्लादेश के रहने वाले हबीबुल्लाह मिस्बाह और अहमदुल्लाह के रूप में हुई है. हैरत की बात तो ये ही कि दोनों बांग्लादेशी न सिर्फ पहचान छिपाकर देवबंद में रह रहे थे बल्कि भारतीय नागरिकता भी प्राप्त कर चुके थे और पश्चिम बंगाल के पते पर आधार कार्ड ही नहीं पासपोर्ट भी अप्लाई कर चुके थे. आईबी से मिले इनपुट के बाद भारत में घुसे 3000 से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं. यूपी ATS दो सालों में 2 दर्जन से ज्यादा संदिग्धों को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.


बता दें कि फतवों की नगरी देवबंद में ATS सेंटर की स्थापना के बाद भी घुसपैठियों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. आलम यह है कि अब अवैध तरीके से भारत में घुस कर रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी फर्जी दस्तावेज बनवाकर रह रहे हैं. ATS द्वारा पकडे गए ज्यादातर पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों का आतंकी कनेक्शन मिला है. आतंकी संगठनों से जुड़े ज्यादातर विदेशी नागरिकों ने पश्चमी उत्तर प्रदेश को शरणस्थली बनाया हुआ है. अवैध रूप से भारत में आये विदेशी नागरिकों ने पश्चमी यूपी के सहारनपुर, फतवों की नगरी देवबंद, अलीगढ, मेरठ, मुज़फ्फरनगर, बुलंदशहर जिलों को पनाहगार बनाया हुआ है. जहां संदिध युवकों ने बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है. पिछले दो सालों में ATS ने फतवों की नगरी देवबंद समेत कई स्थानों पर छापेमारी कर 21 संदिग्ध युवकों को गिरफ्तार किया है. ATS की पूछताछ और जांच पड़ताल में पकड़े गए संदिग्धों का कनेक्शन आतंकी संगठनों से मिला है.

ATS के मुताबिक़ ज्यादातर विदेशी नागरिक अवैध तरीके से बॉर्डर पार कर भारत में घुसे हैं. यहां उन्होंने भारत में रहने वाले एजेंटों की मदद से न सिर्फ भारतीय दस्तावेज बनवा लिये हैं बल्कि इन दस्तावेजों के आधार पर भारत की नागरिकता भी ले ली हैं. गुरुवार को देवबंद से दो बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ है. इससे पहले ATS ने 2 मार्च 2021 को उन्नाव, नोएडा और अलीगढ़ से एक-एक, 12 मार्च 2021 को सहारनपुर से दो और आठ जून को गाजियाबाद से दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था जबकि 17 जून 2021 को अलीगढ़ से चार और 18 जून 2021 को मेरठ-बुलंदशहर और देवबंद से चार बांग्लादेशी नागरिकों की गिरफ्तारी हुई थी.

ATS ने 28 अप्रैल 2022 को बांग्लादेशी तलहा को देवबंद से गिरफ्तार किया था. इतना ही नहीं रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार बॉर्डर के रास्ते भारत लाने वाला मेरठ अल्लीपुर गांव का रहने वाला हाफिज शफीक को भी गिरफ्तार किया गया था. जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि हाफिज शफीक भारत में आने वाले रोहिंग्या के फर्जी दस्तावेज भी बनवाता था. यही वजह है कि यूपी में बांग्लादेशी नागरिकों की बढ़ती संख्या से सुरक्षा एजेंसियों की चिंता भी बढ़ना लाज़मी है.

ATS सूत्रों के मुताबिक़ 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सुरक्षा एजेंसियों को यूपी में बड़ी तादात में रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के होने का इनपुट मिला है. उत्तर प्रदेश में 3000 से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं. हैरत की बात ये हैं कि 2100 से ज्यादा विदेशी नागरिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में होने की संभावना जताई जा रही है. सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में दिल्ली निवासी आमिर हुसैन का नाम सामने आया था.

जानकारी के मुताबिक़ आमिर हुसैन पकिस्तानी रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को बॉर्डर पार कराकर भारत में के अंदर प्रवेश कराता था. 6 जनवरी 2021 को संत कबीर नगर निवासी अजीजुल्लाह, 28 फरवरी 2021 को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा जबकि फारुख के भाई शाहिद को एक मार्च को उन्नाव से गिरफ्तार किया. ये सभी म्यांमार और बर्मा के रहने वाले बताए जा रहे हैं.

आपको बताते चलें कि फतवों की नगरी देवबंद में विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम है, जहां धार्मिक शिक्षा के लिए मुस्लिम देशों से बड़ी संख्या में छात्र पहुंचते हैं. शायद यही वजह है कि म्यांमार, वर्मा, पाकिस्तानी और बांग्लादेश समेत पडोसी देशों के नागरिक देवबंद तक चले आते हैं. यहां स्थानीय एजेंटो की मदद से फर्जी आधार कार्ड और आईडी कार्ड बनवाकर यहीं रहने लगते हैं.

यूपी ATS ने कई बार देवबंद में छापेमारी कर फर्जी पासपोर्ट बनाने का भंडाफोड़ कर चुकी है. 2018 में सहारनपुर के देवबंद में पूर्व बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से जुड़े आतंकी अब्दुल्लाह की गिरफ्तारी हुई थी. अब्दुल्लाह ने थाना देवबंद इलाके के फर्जी आधार कार्ड के साथ फर्जी पासपोर्ट भी देवबंद के पत्ते से ही बनवा लिया था. यूपी ATS ने छापेमारी कर फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश भी किया था.

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