सहारनपुर: मंगलवार को केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल पास करा लिया है. राज्य सभा में 99 मत कानून बनाने के पक्ष में पड़े तो 84 सांसदों ने इसका विरोध किया. ट्रिपल तलाक के खिलाफ आए ऐतिहासिक फैसले से जहां मुस्लिम पुरुषों और धर्म गुरुओं ने इस बिल की निंदा की है. वहीं तीन तलाक पीड़ित महिलाओं ने बिल का स्वागत किया है. तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ रही सहारनपुर की आतिया साबरी ने इस बिल के पास होने पर न सिर्फ खुशी जताई है. बल्कि प्रधान मंत्री मोदी को धन्यावाद दिया है.
अब मिलेगी कानूनन सजा
संसद भवन से ट्रिपल तलाक के खिलाफ आए फैसले से मंगलवार का दिन ऐतिहासिक रहा. इस फैसले का जहां मुस्लिम धर्म गुरु विरोध कर रहे हैं. वहीं मुस्लिम ट्रिपल तलाक की पीड़ित महिलाएं मिठाइयां बांट कर जश्न मना रही हैं. सहारनपुर निवासी आतिया साबरी की बात करें तो ये भी ट्रिपल तलाक की शिकार हैं. आतिया साबरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उसका निकाह 25 मार्च 2012 को उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले के सुलतानपुर निवासी वाजिद अली के साथ हुआ था. निकाह के एक साल तक तो सब ठीक चलता रहा लेकिन एक बेटी पैदा होने पर वाजिद खफा रहने लगा. तीन साल बाद आतिया ने दूसरी बेटी को जन्म दिया तो आतिया के पति और सभी ससुराल वाले खफा रहने लगे.
बेटे को न जन्म देने पर पति ने दिया तलाक
वाजिद ने आतिया को महज इस लिए तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया था क्योंकिं आतिया ने बेटे के बजाए दो बेटियों को जन्म दिया था. इतना ही नहीं फतवों की नगरी दारुल उलूम से फतवा लेकर तलाक को जायज ठहराया दिया. जिसके बाद आतिया ने कानून का सहारा लिया. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर पति और ससुर को जेल भी भेज दिया, लेकिन कुछ दिन बाद जमानत पर वे बाहर आ गए.
नहीं हारा आतिया ने हौसला
आतिया ने शरीयत और दारुल उलूम देवबंद से आये फतवों के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी. उन्होंने दारुल उलूम समेत तीन बड़े इस्लामिक संस्थानों के खिलाफ 23 जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इंसाफ की गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई शुरू कर दी. लंबी सुनवाई के बाद फैसला आतिया साबरी के हक में आया, लेकिन संविधान में ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून नहीं होने की वजह से उसे मायूस होना पड़ा.
राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा किया है. हालांकि इस बात का अहसास भी है कि वह खुद ट्रिपल तलाक की पीड़िता हैं. इसलिए वह इस बात को अच्छे से समझ सकती हैं कि ट्रिपल तलाक के खिलाफ जो कानून बनने जा रहा है वह किसी ईद से कम नहीं है. इस बिल के पास होने से एक नई सोच को जन्म मिला है.