सहारनपुर: हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की यही खूबसूरती है कि किसी को भी नेतृत्व का अवसर देता है. हमारे देश का लोकतंत्र कतार के अंतिम व्यक्ति को भी नेतृत्व का अवसर प्रदान करता है. सहारनपुर जिले से कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई है. जहां एक सफाईकर्मी की पत्नी ब्लॉक प्रमुख बन लोकतंत्र की खूबसूरती का अनूठा उदाहरण पेश किया है. सुनील कुमार ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था जिस ब्लाक में वह रोज सफाई का काम करते हैं उसी ब्लॉक से एक दिन उनकी पत्नी चुनाव जीतकर परिवार का मान बढ़ाएगीं.
सफाईकर्मी सुनील कुमार की पत्नी सोनिया ने भाजपा से ब्लॉक प्रमुख का दायित्व संभाला है. सुनील कई सालों से बलियाखेड़ी ब्लॉक सफाई कर्मचारी हैं. बीए पास पत्नी को सुनील ने बीडीसी का चुनाव लड़ाया था. जिसमें सोनिया को जीत मिली. चुनाव जीतने के बाद ब्लॉक प्रमुख पद के लिए मारामारी शुरू हुई. भाजपा को यहां आरक्षण के मुताबिक अनुसूचित जाति की शिक्षित महिला की तलाश थी. भाजपा नेताओं ने बीडीसी सोनिया के नाम का प्रस्ताव दिया तो पार्टी में आम सहमति बन गई. अब सोनिया के पास भाजपा का समर्थन था. रस्साकसी में विपक्षी एक-एक कर हटते गए और सोनिया को बलियाखेड़ी ब्लॉक का निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुन लिया गया.
पहले जीती बीडीसी फिर बनी ब्लॉक प्रमुख
दरअसल, गांव नल्हेडा गुर्जर निवासी सुनील कुमार विकासखंड बलियाखेड़ी में सफाई कर्मचारी के पद पर अपने ही गांव में कार्यरत हैं. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव घोषित हुए तो बीडीसी की सीट आरक्षण के चलते अनुसूचित जाति वर्ग में आरक्षित हो गई. गांव वालों के कहने पर सुनील ने बीडीसी पद के लिए अपनी पत्नी सोनिया को चुनाव लड़ाया. जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई. ब्लाक प्रमुख पद भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ तो भाजपा नेता और जिला पंचायत सदस्य मुकेश चौधरी ने पढ़ी लिखी सोनिया को भाजपा की ओर से प्रमुख पद का प्रत्याशी बनवा दिया. नामांकन करने के साथ ही 26 वर्षीय सोनिया निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित हो गईं. ब्लॉक प्रमुख बनने के बाद सोनिया कहती हैं कि चुनाव में पति सुनील कुमार और परिवार का सहयोग रहा. उनका कहना है कि ब्लॉक प्रमुख के नाते वह गांवों के विकास के लिए काम करेंगी. उन्होंने कहा कि घर पति की तनख्वाह से चलता है. इसलिए उनके पति नौकरी करते रहेंगे. सोनिया ने कहा कि प्रमुखी तो पांच साल की है, लेकिन नौकरी पूरे 60 साल की.