सहारनपुर: महाराष्ट्र के पालघर में जूना अखाड़े के संतों के साथ हुई मॉब लिंचिंग के बाद देशभर के सन्तों में आक्रोश बना हुआ है. संत समाज न सिर्फ हत्यारों को फांसी की देने की मांग कर रहा है, बल्कि मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग उठने लगी है.
अंतरराष्ट्रीय ध्यानगुरू स्वामी दीपांकर महाराज ने सन्तों की हत्या पर दुख व्यक्त करते हुए सवाल किया है कि क्या भगवा वस्त्र पहनना गुनाह हो गया है? 70 साल के सन्तों को बच्चा चोर समझ कर बेरहमी से पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया गया. ऐसे लोगों को सजा-ए-मौत दी जानी चाहिए. उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे से घटनाक्रम की सीबीआई जांच कराने की मांग की है.
अंतरराष्ट्रीय ध्यानगुरु स्वामी दीपांकर महाराज का कहना है कि 70 वर्षीय साधु किसी परिचित अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे, लेकिन कुछ नरपिशाच लोगों ने उन्हें बच्चा चोर समझ कर न सिर्फ पिटाई कर दी बल्कि बेरहमी से पीट-पीट कर मार डाला. इस दर्दनाक घटना के बाद पूरा संत समाज दुखी है. स्वामी दीपांकर महाराज लगातार पूछ रहे हैं कि भगवा पहनावे में आये संतों को मारा क्यों? क्या ये भगवा पहनना गुनाह है?
उन्होंने कहा कि अगर भगवा पहनना गुनाह है तो आप मुझे बताइए मैं यह गुनाह कभी नहीं करूंगा. अगर यह गुनाह नहीं है तो सन्यासी साधुओं की सुरक्षा क्या हमारे देश में नहीं हो सकती. क्या अब भारत में भी सन्यासी सुरक्षित नहीं रहेंगे. यदि सन्यासी भारत में भी सुरक्षित नहीं हैं तो हम सन्यासी कहां जाएं. इस स्थिति में तो हम श्मशान में खड़े हैं. इसके बाद तो सन्यासियों को समुंदर में डुबो दीजिए.
मीडिया से प्रार्थना करते हुए उन्होंने कहा कि आप इस प्रकरण को दबने न दें. आज दो साधुओं की हत्या हुई है, कल 100 की होगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अपील की है कि अगर वह राष्ट्र बचाना चाहते हैं तो इस प्रकरण की जल्द से जल्द सीबीआई जांच कराएं और इसको निष्कर्ष तक लेकर जाएं. यह कोई साधारण विषय नहीं है, इसलिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में इनकी सुनवाई हो. दोषियों को फांसी से बदतर सजा दी जाए. इसके साथ ही पुलिस के खिलाफ भी कारवाई होनी चाहिए, जो सन्यासियों को कातिलों के हवाले छोड़कर चल दिये.
इसे भी पढ़ें- यूपी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 1449, अब तक 21 की मौत