सहारनपुर: शनिवार को जनमंच सभागार में प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृत भाषा के अस्तित्व को लेकर विचार-विमर्श किया गया. हरिद्वार से सहारनपुर आए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वरों ने फिरोज खान का धर्म विज्ञान संकाय में प्रोफेसर बनने को साजिश करार दिया है. उन्होंने फिरोज खान की नियुक्ति पर सरकार को पुनर्विचार करने की सलाह दी है.
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उन्होंने कहा कि हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते लेकिन सारी भाषाओं का प्राण तत्व संस्कृत है. कहीं न कहीं संस्कृत की उपेक्षा के साथ ही वमूलन हो रहा है. संस्कृत भाषा आज के इस भौतिक युग में पिछड़ती जा रही है. अब प्राचीनतम भाषा संस्कृत को हम कैसे पुनर्जीवित एवं पुनर्स्थापित करें, कैसे विश्व की धरोहर को हम बचाएं, उसी को लेकर ही आयोजन किया गया.
संस्कृत के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए उन्होंने बताया कि आज के दौर में हर क्षेत्र को रोजगार से जोड़ा जा रहा है, उसी तरह संस्कृत को भी रोजगार के साथ जोड़ना बहुत आवश्यक है. यानी हर स्कूलो में अंग्रेजी साइंस गणित की तरह संस्कृत को पढ़ाया जाना बेहद जरूरी है.
स्वामी यतींद्रानंद महाराज का कहना है कि अलीगढ़ में मुस्लिम विश्वविद्यालय है, जहां कोई हिंदू कुलपति नहीं हो सकता है. भारत में दलित वर्ग के लिए हर क्षेत्र में आरक्षण है, लेकिन मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोई आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. यदि कोई विवाद होना चाहिए तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आरक्षण और गैर मुस्लिम अध्यापकों की तैनाती के लिये होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जान बूझकर जेएनयू से प्रताड़ित लोग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जाकर उसके माहौल को भी बिगाड़ना चाहते हैं. जहां संस्कृत के धार्मिक अनुष्ठान की शिक्षा होगी, वहां शिखा, जनेऊ श्राद्ध और तर्पण है, ऐसे स्थान पर ऐसा आचार होगा. भविष्य में कोई मुस्लिम चार मंत्र सीखकर शादी के फेरे कराएगा क्या? या फिर मस्जिद में जाकर कोई मौलवी की जगह पंडित जी अजान देंगे? उन्होंने कहा कि मौलवी को मस्जिद में रहने दो, पुजारी को मंदिर में रहने दो इस विवाद को न बढ़ाओ.
वहीं दूसरे अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत भाषा दोनों का एक संयोजन है. निसंदेह संस्कृत से जुड़े कार्यक्रम सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार होना चाहिए. बनारस हिन्दू विश्विद्यालय समेत देश के जितने भी संस्कृत विद्यालय हैं वहां बड़े-बड़े कर्मयोगी, धर्मयोगी पढ़ते और पढ़ाते हैं.
उन्होंने कहा कि बीएचयू में फिरोज खान की नियुक्ति करना एक राजनीतिक साजिश लग रही है. बीएचयू देश का हिन्दू विश्विद्यालय है, इसलिए वहां पर की जा रही नियुक्ति पर ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इस नियुक्ति पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.