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सहारनपुर: फिरोज खान की नियुक्ति को हरिद्वार के संतों ने ठहराया साजिश

बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति का संतों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया है. महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज और स्वामी कैलाशानंद महाराज ने न सिर्फ प्राचीनतम भाषा संस्कृत के अस्तित्व को खतरे में बताया बल्कि फिरोज खान का धर्म विज्ञान संकाय में प्रोफेसर बनने को साजिश करार दिया.

स्वामी यतींद्रानंद जी
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Published : Nov 23, 2019, 11:33 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: शनिवार को जनमंच सभागार में प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृत भाषा के अस्तित्व को लेकर विचार-विमर्श किया गया. हरिद्वार से सहारनपुर आए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वरों ने फिरोज खान का धर्म विज्ञान संकाय में प्रोफेसर बनने को साजिश करार दिया है. उन्होंने फिरोज खान की नियुक्ति पर सरकार को पुनर्विचार करने की सलाह दी है.

फिरोज खान की नियुक्ति को संतों ने बताया साजिश.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पंहुचे हरिद्वार के संतों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि संस्कृत भाषा पर अंग्रेजी हावी होती जा रही है. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज ने बताया कि संस्कृत भाषा विश्व की संस्कृति है. संस्कृत रहेगी तो संस्कृति रहेगी, सभ्यता रहेगी मानवता रहेगी.

पढ़ेंः-सहारनपुर: प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन, संस्कृत भाषा को बचाने पर जोर

उन्होंने कहा कि हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते लेकिन सारी भाषाओं का प्राण तत्व संस्कृत है. कहीं न कहीं संस्कृत की उपेक्षा के साथ ही वमूलन हो रहा है. संस्कृत भाषा आज के इस भौतिक युग में पिछड़ती जा रही है. अब प्राचीनतम भाषा संस्कृत को हम कैसे पुनर्जीवित एवं पुनर्स्थापित करें, कैसे विश्व की धरोहर को हम बचाएं, उसी को लेकर ही आयोजन किया गया.

संस्कृत के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए उन्होंने बताया कि आज के दौर में हर क्षेत्र को रोजगार से जोड़ा जा रहा है, उसी तरह संस्कृत को भी रोजगार के साथ जोड़ना बहुत आवश्यक है. यानी हर स्कूलो में अंग्रेजी साइंस गणित की तरह संस्कृत को पढ़ाया जाना बेहद जरूरी है.

स्वामी यतींद्रानंद महाराज का कहना है कि अलीगढ़ में मुस्लिम विश्वविद्यालय है, जहां कोई हिंदू कुलपति नहीं हो सकता है. भारत में दलित वर्ग के लिए हर क्षेत्र में आरक्षण है, लेकिन मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोई आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. यदि कोई विवाद होना चाहिए तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आरक्षण और गैर मुस्लिम अध्यापकों की तैनाती के लिये होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि जान बूझकर जेएनयू से प्रताड़ित लोग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जाकर उसके माहौल को भी बिगाड़ना चाहते हैं. जहां संस्कृत के धार्मिक अनुष्ठान की शिक्षा होगी, वहां शिखा, जनेऊ श्राद्ध और तर्पण है, ऐसे स्थान पर ऐसा आचार होगा. भविष्य में कोई मुस्लिम चार मंत्र सीखकर शादी के फेरे कराएगा क्या? या फिर मस्जिद में जाकर कोई मौलवी की जगह पंडित जी अजान देंगे? उन्होंने कहा कि मौलवी को मस्जिद में रहने दो, पुजारी को मंदिर में रहने दो इस विवाद को न बढ़ाओ.

वहीं दूसरे अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत भाषा दोनों का एक संयोजन है. निसंदेह संस्कृत से जुड़े कार्यक्रम सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार होना चाहिए. बनारस हिन्दू विश्विद्यालय समेत देश के जितने भी संस्कृत विद्यालय हैं वहां बड़े-बड़े कर्मयोगी, धर्मयोगी पढ़ते और पढ़ाते हैं.

उन्होंने कहा कि बीएचयू में फिरोज खान की नियुक्ति करना एक राजनीतिक साजिश लग रही है. बीएचयू देश का हिन्दू विश्विद्यालय है, इसलिए वहां पर की जा रही नियुक्ति पर ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इस नियुक्ति पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.

सहारनपुर: शनिवार को जनमंच सभागार में प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृत भाषा के अस्तित्व को लेकर विचार-विमर्श किया गया. हरिद्वार से सहारनपुर आए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वरों ने फिरोज खान का धर्म विज्ञान संकाय में प्रोफेसर बनने को साजिश करार दिया है. उन्होंने फिरोज खान की नियुक्ति पर सरकार को पुनर्विचार करने की सलाह दी है.

फिरोज खान की नियुक्ति को संतों ने बताया साजिश.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पंहुचे हरिद्वार के संतों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि संस्कृत भाषा पर अंग्रेजी हावी होती जा रही है. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज ने बताया कि संस्कृत भाषा विश्व की संस्कृति है. संस्कृत रहेगी तो संस्कृति रहेगी, सभ्यता रहेगी मानवता रहेगी.

पढ़ेंः-सहारनपुर: प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन, संस्कृत भाषा को बचाने पर जोर

उन्होंने कहा कि हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते लेकिन सारी भाषाओं का प्राण तत्व संस्कृत है. कहीं न कहीं संस्कृत की उपेक्षा के साथ ही वमूलन हो रहा है. संस्कृत भाषा आज के इस भौतिक युग में पिछड़ती जा रही है. अब प्राचीनतम भाषा संस्कृत को हम कैसे पुनर्जीवित एवं पुनर्स्थापित करें, कैसे विश्व की धरोहर को हम बचाएं, उसी को लेकर ही आयोजन किया गया.

संस्कृत के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए उन्होंने बताया कि आज के दौर में हर क्षेत्र को रोजगार से जोड़ा जा रहा है, उसी तरह संस्कृत को भी रोजगार के साथ जोड़ना बहुत आवश्यक है. यानी हर स्कूलो में अंग्रेजी साइंस गणित की तरह संस्कृत को पढ़ाया जाना बेहद जरूरी है.

स्वामी यतींद्रानंद महाराज का कहना है कि अलीगढ़ में मुस्लिम विश्वविद्यालय है, जहां कोई हिंदू कुलपति नहीं हो सकता है. भारत में दलित वर्ग के लिए हर क्षेत्र में आरक्षण है, लेकिन मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोई आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. यदि कोई विवाद होना चाहिए तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आरक्षण और गैर मुस्लिम अध्यापकों की तैनाती के लिये होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि जान बूझकर जेएनयू से प्रताड़ित लोग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जाकर उसके माहौल को भी बिगाड़ना चाहते हैं. जहां संस्कृत के धार्मिक अनुष्ठान की शिक्षा होगी, वहां शिखा, जनेऊ श्राद्ध और तर्पण है, ऐसे स्थान पर ऐसा आचार होगा. भविष्य में कोई मुस्लिम चार मंत्र सीखकर शादी के फेरे कराएगा क्या? या फिर मस्जिद में जाकर कोई मौलवी की जगह पंडित जी अजान देंगे? उन्होंने कहा कि मौलवी को मस्जिद में रहने दो, पुजारी को मंदिर में रहने दो इस विवाद को न बढ़ाओ.

वहीं दूसरे अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत भाषा दोनों का एक संयोजन है. निसंदेह संस्कृत से जुड़े कार्यक्रम सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार होना चाहिए. बनारस हिन्दू विश्विद्यालय समेत देश के जितने भी संस्कृत विद्यालय हैं वहां बड़े-बड़े कर्मयोगी, धर्मयोगी पढ़ते और पढ़ाते हैं.

उन्होंने कहा कि बीएचयू में फिरोज खान की नियुक्ति करना एक राजनीतिक साजिश लग रही है. बीएचयू देश का हिन्दू विश्विद्यालय है, इसलिए वहां पर की जा रही नियुक्ति पर ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इस नियुक्ति पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां प्राचीनतम भाषा एवं सनातनी मातृभाषा संस्कृत का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आ रहा है वही राजस्थान के फिरोज खान के बीएचयू में संस्कृत प्रोफेसर नियुक्त किये जाने पर नया विवाद खड़ा हो गया है। फिरोज़ खान की नियुक्ति को लेकर जहां हिन्दू संगठनो ने विरोध करना शुरू कर दिया है वही हरिद्वार के संतो ने विरोध किया है। ईटीवी से EXCLUSIVE बातचीत में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज और स्वामी कैलाशानंद महाराज ने न सिर्फ प्राचीनतम भाषा संस्कृत के अस्तित्व को खतरे में बताया बल्कि फिरोज खान का संस्कृत प्रोफेसर बनने को साजिश करार दिया है। उन्होंने फिरोज खान की नियुक्ति पर सरकार से पुनर्विचार करने की सलाह दी है।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि शनिवार को सहारनपुर के जनमंच सभागार में प्रांतीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिससे संस्कृत भाषा के अस्तित्व को लेकर विचार विमर्श किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पंहुचे हरिद्वार के संतों ने ईटीवी से EXCLUSIVE बातचीत में बताया कि संस्कृत भाषा पर अंग्रेजी हावी होती जा रही है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज ने बताया कि संस्कृत भाषा विश्व की संस्कृति है। संस्कृत रहेगी तो संस्कृति रहेगी, सभ्यता रहेगी मानवता रहेगी। उन्होंने कहा कि हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते लेकिन सारी भाषाओं का प्राण तत्व संस्कृत है। कही ना कहीं संस्कृत की उपेक्षा हो रही है संस्कृत का आव्यूलन हो रहा है। संस्कृत भाषा आज के इस भौतिक युग में पिछड़ती जा रही है। अब प्राचीन तम भाषा संस्कृत को हम कैसे पुनर्जीवित एवं पुनर्स्थापित करें। कैसे विश्व की धरोहर को हम बचाएं उसी को लेकर ही आयोजन किया गया।

संस्कृत के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए उन्होंने बताया कि आज के दौर में हर क्षेत्र को रोजगार से जोड़ा जा रहा है उसी तरह संस्कृत को भी रोजगार के साथ जोड़ना बहुत आवश्यक है। यानी हर स्कूलो में अंग्रेजी साइंस गणित की तरह संस्कृत को पढ़ाया जाना बेहद जरूरी है।

ईटीवी के सवाल पर स्वामी यतींद्रानंद महाराज का कहना है कि अलीगढ़ में मुस्लिम विश्वविद्यालय है वहां कोई हिंदू कुलपति भी हो सकता है। भारत में दलित वर्ग के लिए हर क्षेत्र में आरक्षण है लेकिन मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोई आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। यदि कोई विवाद ही होना चाहिए तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आरक्षण और गैर मुस्लिम अध्यापकों की तैनाती के इये होना चाहिए। जहां एक भी हिंदू विश्वविद्यालय हिंदू विश्वविद्यालय में जानबूझकर जेएनयू से प्रताड़ित लोग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जाकर उसके माहौल को भी बिगाड़ना चाहते हैं। जहां संस्कृत के धार्मिक अनुष्ठान की शिक्षा होगी वहां सीखा, जनेऊ चाहिए, श्राद्ध और तर्पण है ऐसे स्थान पर ऐसा आचार होगा, भविष्य में कोई मुस्लिम चार मंत्र सीख कर कहे की शादी के फेरे वह कराएगा क्या। या फिर मस्जिद में जाकर कोई मौलवी की जगह पंडित जी अजान देंगे क्या? उन्होने कहा कि मौलवी को मस्जिद में रहने दो, पुजारी को मंदिर में रहने दो इस विवाद को ना बढ़ाओ।

वहीं दूसरे अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने कहा कि संस्कृति और संस्कृत भाषा है दोनों का एक संयोजन है। निसंदेह संस्कृत से जुड़े कार्यक्रम सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार होना चाहिए। बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में समेत देश के जितने भी संस्कृत विद्यालय है जहां बड़े बड़े कर्मयोगी, धर्मयोगी पढ़ते और पढ़ाते है। बीएचयू में फिरोज खान की नियुक्ति करना एक राजनीतिक साजिश लग रही है। बीएचयू देश शसक्त ही ही नही हिन्दू विश्विद्यालय है। इसलिए वहां पर की जा रही नियुक्ति पर ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इस नियुक्ति पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।

बाईट - स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज ( महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा हरिद्वार )
बाईट - स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ( श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर )


Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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