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सहारनपुर कोर्ट का सराहनीय फैसला, झूठे मुकदमे में विवाहिता को सुनाई सजा

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Published : May 11, 2022, 7:44 AM IST

Updated : May 11, 2022, 8:00 AM IST

सहारनपुर में कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया है, जिसकी सभी ओर सराहना हो रही है. कोर्ट ने एक विवाहिता को झूठा मुकदमा दर्ज कराने पर तीन महीने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि जैसे दुष्कर्म की घटना महिला के लिए कष्टकारी और अपमानजनक होती है, वैसे ही दुष्कर्म का झूठा मुकदमा कराने से पुरुषों के सम्मान को भी ठेस पहुंचती है.

सहारनपुर कोर्ट
सहारनपुर कोर्ट

सहारनपुर: कोर्ट ने मंगलवार को एक अनोखा फैसला सुनाया. कोर्ट ने झूठे मुदकमे दर्ज कराने के आरोप में एक महिला को न सिर्फ 3 महीने की कारावास की सजा सुनाई, बल्कि 400 रुपये आर्थिक जुर्माना भी लगाया. कोर्ट के इस फैसले से जहां पीड़ित परिवार को न्याय मिला है, वहीं लोगों का अदालत के प्रति ओर ज्यादा विश्वास बढ़ गया.

कोर्ट ने कहा कि जिस तरह दुष्कर्म की घटना महिला के लिए कष्टकारी और अपमानजनक होती है, उसी तरह दुष्कर्म का झूठा मुकदमा कराने से पुरुषों के सम्मान को भी ठेस पहुंचती है. पुरुषों को भी अपमान का सामना करना पड़ता है. उनके लिए भी झूठा मुकदमा कष्टकारी होता है. लिहाजा झूठे मुकदमे कराने के आरोप में ऐसी महिलाओं के खिलाफ भी कार्रवाई उतनी ही जरूरी है, जितनी एक दुष्कर्म के आरोपी के खिलाफ. कोर्ट के इस फैसले की चौतरफा सराहना हो रही है.

थाना सदर बाजार इलाके के खलासी लाइन की रहने वाली एक महिला की शादी 26 फरवरी 2020 को देहरादून के गोपाल से हुई थी. विवाहिता ने शादी के अगले ही दिन अपने जेठ पर न सिर्फ छेड़खानी का आरोप लगाया था, बल्कि पति, ननद और सास पर दहेज की मांग करने का भी आरोप लगाया. विवाहिता ने बाकायदा थाना सदर बाजार में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था. उस दौरान पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने विवाहिता को पेश कर धारा 164 के बयान दर्ज कराए थे.

महिला ने तहरीर और मुकदमे के आधार पर बयान दिए थे. इसके बाद पुलिस ने मामले में चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी. जैसे ही मुकदमा जज के सामने आया तो विवाहिता अपने सभी आरोपों से मुकर गई. विवाहिता ने अदालत में कहा कि उसने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दिए थे, वह पुलिस के दबाव में आकर दिए थे. लेकिन, अदालत ने महिला की बातों पर भरोसा नहीं किया और पूरे मामले की जांच दोबारा करने के आदेश दे दिए.

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को दी जमानत

दोबारा कराई गई जांच की रिपोर्ट जब सामने आई तो जज भी हैरान रह गईं. क्योंकि जांच रिपोर्ट में विवाहिता के झूठे मुकदमे का भंडाफोड़ हो गया. इसके बाद न्यायाधीश कल्पना पांडे ने विवाहिता को दोषी मानते हुए फैसला सुनाया. सहारनपुर के इतिहास में यह पहला मामला है जब झूठा मुकदमा करने वाली महिला के खिलाफ कार्रवाई हुई है. खास बात तो ये भी है कि विवाहिता को सजा सुनाने के साथ-साथ इस मुकदमे की विवेचना करने वाले विवेचक की भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए है. न्यायधीश ने टिप्पणी की है कि जिस प्रकार दुष्कर्म की घटना से महिला को अपमान का सामना करना पड़ता है, उसी प्रकार झूठा मुकदमा होने के बाद पुरुषों को भी अपमान सहना पड़ता है.

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सहारनपुर: कोर्ट ने मंगलवार को एक अनोखा फैसला सुनाया. कोर्ट ने झूठे मुदकमे दर्ज कराने के आरोप में एक महिला को न सिर्फ 3 महीने की कारावास की सजा सुनाई, बल्कि 400 रुपये आर्थिक जुर्माना भी लगाया. कोर्ट के इस फैसले से जहां पीड़ित परिवार को न्याय मिला है, वहीं लोगों का अदालत के प्रति ओर ज्यादा विश्वास बढ़ गया.

कोर्ट ने कहा कि जिस तरह दुष्कर्म की घटना महिला के लिए कष्टकारी और अपमानजनक होती है, उसी तरह दुष्कर्म का झूठा मुकदमा कराने से पुरुषों के सम्मान को भी ठेस पहुंचती है. पुरुषों को भी अपमान का सामना करना पड़ता है. उनके लिए भी झूठा मुकदमा कष्टकारी होता है. लिहाजा झूठे मुकदमे कराने के आरोप में ऐसी महिलाओं के खिलाफ भी कार्रवाई उतनी ही जरूरी है, जितनी एक दुष्कर्म के आरोपी के खिलाफ. कोर्ट के इस फैसले की चौतरफा सराहना हो रही है.

थाना सदर बाजार इलाके के खलासी लाइन की रहने वाली एक महिला की शादी 26 फरवरी 2020 को देहरादून के गोपाल से हुई थी. विवाहिता ने शादी के अगले ही दिन अपने जेठ पर न सिर्फ छेड़खानी का आरोप लगाया था, बल्कि पति, ननद और सास पर दहेज की मांग करने का भी आरोप लगाया. विवाहिता ने बाकायदा थाना सदर बाजार में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था. उस दौरान पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने विवाहिता को पेश कर धारा 164 के बयान दर्ज कराए थे.

महिला ने तहरीर और मुकदमे के आधार पर बयान दिए थे. इसके बाद पुलिस ने मामले में चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी. जैसे ही मुकदमा जज के सामने आया तो विवाहिता अपने सभी आरोपों से मुकर गई. विवाहिता ने अदालत में कहा कि उसने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दिए थे, वह पुलिस के दबाव में आकर दिए थे. लेकिन, अदालत ने महिला की बातों पर भरोसा नहीं किया और पूरे मामले की जांच दोबारा करने के आदेश दे दिए.

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दोबारा कराई गई जांच की रिपोर्ट जब सामने आई तो जज भी हैरान रह गईं. क्योंकि जांच रिपोर्ट में विवाहिता के झूठे मुकदमे का भंडाफोड़ हो गया. इसके बाद न्यायाधीश कल्पना पांडे ने विवाहिता को दोषी मानते हुए फैसला सुनाया. सहारनपुर के इतिहास में यह पहला मामला है जब झूठा मुकदमा करने वाली महिला के खिलाफ कार्रवाई हुई है. खास बात तो ये भी है कि विवाहिता को सजा सुनाने के साथ-साथ इस मुकदमे की विवेचना करने वाले विवेचक की भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए है. न्यायधीश ने टिप्पणी की है कि जिस प्रकार दुष्कर्म की घटना से महिला को अपमान का सामना करना पड़ता है, उसी प्रकार झूठा मुकदमा होने के बाद पुरुषों को भी अपमान सहना पड़ता है.

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Last Updated : May 11, 2022, 8:00 AM IST
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