सहारनपुर: जिला अब सिगरेट फैक्ट्री और स्टार पेपर मिल से ही नहीं शहद उत्पादन से भी अपनी पहचान बना रहा है. मंडल के तीनों जिलों से 600 क्विंटल से ज्यादा शहद का विदेशों में निर्यात किया जा रहा है. इसी के चलते एशिया का नम्बर वन मंडल बन गया है.
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शहद उत्पादन को किसानों ने बनाया रोजगार
मधुमक्खियों से जो शहद उत्पादन हुआ उससे किसानों को लाभ मिलने लगा है, जिसके बाद किसानों ने इसे एक रोजगार के रूप में अपना लिया है. वहीं उद्यान विभाग की ओर से मौन पालन का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया. डॉ. राजेश ने बताया कि प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रशिक्षण सहारनपुर में ही दिए जाते हैं, जिसका मुख्य कारण यहां का वातावरण और उत्तराखंड के पहाड़ का निकट होना है. मौन पालन के लिए सरसों, युकेलिप्टस, लीची समेत अन्य फूलों की फसल भी इस इलाके में होती है और मधुमक्खियां इन फूलों से रस लेकर शहद बनाती हैं.
छात्र-छात्राओं ने भी मौन पालन को बनाया रोजगार
जिले में जब मौन पालन का प्रशिक्षण दिया जाने लगा तो पहले कुछ ही किसान आये, लेकिन जब शहद उत्पादन से उन किसानों को आमदनी हुई तो किसानों के साथ छात्र-छात्राओं ने भी इसे एक रोजगार के रूप में अपना लिया. वर्तमान में यहां मौन पालन के लिए दो तरह के प्रशिक्षण दिये जा रहे हैं, एक 45 दिन का दूसरा 90 दिन का. हालांकि ज्यादातर प्रशिक्षु एक सप्ताह की क्लास में ही प्रशिक्षण ले रहे हैं. कुल मिलाकर मंडल सहारनपुर के तीनों जिलों में 10 हजार से ज्यादा किसान एवं छात्र-छात्राएं मौन पालन का प्रशिक्षण ले रहे हैं.
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सहारनपुर में मौन पालकों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई गई है. जहां हर साल सेकड़ों क्विंटल शहद का उत्पादन किया जाता है, लेकिन इस बार सहारनपुर मंडल में सबसे न्यादा शहद का उत्पादन हुआ है. इस साल 600 क्विंटल से ज्यादा शहद विदेशों में निर्यात किया गया.
-डॉ. राजेश प्रसाद, उपनिदेशक उद्यान