सहारनपुर : भीम आर्मी संस्थापक एवं आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद पर हुए हमले के बाद सोशल मीडिया पर जुबानी जंग शुरू हो गई है. उत्तराखंड भीम आर्मी कार्यकर्ता ने जाति विशेष को न सिर्फ हमले का जिम्मेदार करार दिया है बल्कि अभद्र टिप्पणी कर अंजाम भुगतने की धमकी दी है. इसके बाद राजपूत समाज विरोध में उतर आया है. राजपूत समाज के जिम्मेदार लोगों ने प्रेस वार्ता कर सोशल मीडिया पर भड़काऊ और अभद्र टिप्पणी करने वाले के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा है कि भीम आर्मी के कुछ कार्यकर्ता समाज को बांटने का काम कर रहे हैं. चंद्रशेखर आजाद पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि हमलावर किसी भी जाति के हों उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाई होनी चाहिए, सोशल मीडिया पर किसी विशेष जाति को बदनाम करना ठीक नहीं हैं.
बता दें कि गुरुवार को भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद पर देवबंद में अज्ञात कार सवारों ने हमला कर दिया था. इस हमले में वह बाल-बाल बच गए थे. चन्द्रशेखर पर हमले के बाद भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश है. भीम आर्मी संस्थापक की हालत में सुधार होने के बाद अस्पताल से छुट्टी कर दी गई है. भीम आर्मी संस्थापक एवं आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चंद्र शेखर आजाद पर हुए हमले के बाद सोशल मिडिया पर दो जातियों के बीच जुबानी जंग जारी है. भीम आर्मी कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर भीम आर्मी चीफ पर हुए हमले का आरोपी एक समाज विशेष को बताया जा रहा है.
आरोप है कि महक सिंह नाम के पार्टी के कार्यकर्ता ने जाति विशेष पर अभद्र टिप्पणी की है. इससे राजपूत समाज काफी नाराज है. यही वजह है कि राजपूत समाज में खासा आक्रोश देखा है. राजपूत समाज के लोगों ने आरोपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाई की मांग की है. उन्होंने चंद्रशेखर पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है. राजपूत समाज का कहना है कि आरोपी कोई भी हो उनको सजा मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि समाज पर अभद्र टिप्पणी करना गलत है. समाज के बारे में गलत भाषा का इस्तेमाल करना ठीक नहीं है. उन्होंने पुलिस से लिखित शिकायत की है. सोशल मीडिया पर अभद्रता टिप्पणी करने वाले के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की मांग की गई है. राजपूत महासभा के जिला महामंत्री कुलदीप सिंह पुंडीर ने कहा कि राजपूत समाज के खिलाफ वायरल हो रहे वीडियो के बाद राजपूत समाज में आक्रोश बना हुआ है. सभी लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन को तैयार हैं लेकिन समाज के लोगों ने उन्हें रोका हुआ है. अगर पुलिस प्रशासन ने ऐसे लोगों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई नहीं की तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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