सहारनपुर: जिले के शेख उल हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों के इलाज में लापरवाही पाए जाने पर प्राचार्य डॉ. डीएस मारतोलिया को निलंबित कर दिया गया. जिलाधिकारी अखिलेश सिंह के मुताबिक कोरोना मरीजों के उपचार को लेकर मेडिकल कॉलेज में बड़ी लापरवाही उजागर हुई थी, जिसका संज्ञान लेकर रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी. प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दिनेश सिंह मारतोलिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिए थे.
मंत्री सुरेश खन्ना ने दिया सस्पेंशन ऑर्डर
कोरोना संक्रमण के चलते सहारनपुर के अंबाला हाइवे स्थित शेख उल हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज को एल-1 कोविड अस्पताल बनाया गया है. मेडिकल कॉलेज में भर्ती संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार होने की बजाए मौत हो रही थी. मौत का आंकड़ा बढ़ने और ऑक्सीजन की कमी को लेकर सवाल उठने लगे. इन सभी अव्यवस्थाओं के बीच प्रिंसिपल डॉ. दिनेश सिंह मारतोलिया की लापरवाही और नकारात्मक भूमिका उजागर हुई, जिससे स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ रही थीं. लिहाजा रिपोर्ट एवं तथ्यों के आधार पर मंत्री सुरेश खन्ना के निर्देश पर प्रिंसिपल को निलंबित किया गया है. जिले में अब तक 184 मरीजों की मौत चुकी है.
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ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर हुई लापरवाही
जानकारी के मुताबिक शेख उल हिन्द मेडिकल कॉलेज में 40 से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर में तकनीकी समस्या आई हुई थी. जिलाधिकारी ने ऑक्सीजन सिलेंडरों को दुरुस्त कराने के निर्देश दिए थे. करीब छह सिलेंडरों को ठीक के आदेश को प्रिंसिपल मारतोलिया नजरअंदाज कर रहे थे. जब कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा तो ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी. संसाधन होने के बावजूद मेडिकल कॉलेज की लापरवाही और हीलाहवाली से मरीज दम तोड़ने लगे. इन्हीं सब लापरवाहियों को शासन ने गंभीर मानते हुए निलंबन की कार्रवाई की है.
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मारतोलिया नहीं थे अलर्ट
जिलाधिकारी अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेज को ही कोविड मरीजों के उपचार का सबसे बड़ा अस्पताल बनाया गया है. जहां तीन सौ बेड पर संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ऑक्सीजन को लेकर लगातार प्रिंसिपल डॉ. डीएस मारतोलिया को अलर्ट किया जा रहा था, लेकिन प्रिंसिपल ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.