सहारनपुर: सन 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का भी विशेष योगदान रहा है. भारत-पाक युद्ध के दौरान साधन जुटाने के लिए सहारनपुर वासियों ने न सिर्फ 106 लाख से ज्यादा धन भारत सरकार के कोष में जमा कराया था, बल्कि लक्ष्य से ज्यादा धन जुटाकर विशेष ट्रॉफी प्राप्त की थी. यह ट्रॉफी आज भी डीएम कार्यालय में धरोहर के रूप में सुरक्षित रखी हुई है. पीतल की इस ट्रॉफी पर साफ अंकित किया गया है कि राष्ट्रीय बचत योजना के तहत सहारनपुर के लोगों ने लक्ष्य से 116 प्रतिशत धन देकर जिले का मान बढ़ाया था.
भारत ने छुड़ाए थे युद्ध में पाक के छक्के
सन 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हो गया था. उस दौरान दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आकर एक दूसरे पर गोलीबारी कर रही थी. अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान की सेना भारतीय सेना पर तोपों से गोले दाग रही थी. वहीं जवाबी कार्रवाई में भारतीय सैनिक भी दुश्मनों का मुकाबला कर रहे थे. पाकिस्तान का उद्देश्य केवल धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को भारत से अलग करना था, लेकिन भारत माता के जाबांज सिपाहियों ने दुश्मनों के मंसूबों पर पानी फेर दिया.
पाक ने लाज बचाने के लिए किया था आत्मसमर्पण
भारतीय सेना के जवानों ने दुश्मनों के टैंकों को ध्वस्त कर उनके छक्के छुड़ाते हुए पाकिस्तानी सेना को मैदान छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया था. हालांकि बाद में पाकिस्तान सरकार को आत्मसमर्पण कर अपनी लाज बचानी पड़ी थी, जबकि 1971 की इस लड़ाई में हजारों भारतीय सैनिक भी शहीद हो गए थे.
युद्ध के दौरान पड़ी थी धन की आवश्यकता
भारत-पाक युद्ध के दौरान संसाधन जुटाने के लिए धन की आवश्यकता पड़ी थी. राष्ट्रीय बचत योजना के तहत सरकार ने काष्ठ नगरी सहारनपुर को 106 लाख का लक्ष्य निर्धारित किया था. सहारनपुर की आवाम ने प्रशासन की अपील पर दिल खोलकर राष्ट्रीय बचत योजना में लक्ष्य से भी ज्यादा धन जमा कराया था.
जिले के लोगों ने लक्ष्य से ज्यादा दी थी धनराशि
इसके बाद राज्य सरकार ने विशेष ट्रॉफी और प्रस्तति पत्र देकर सहारनपुर को सम्मानित किया था. खास बात यह है कि यह ट्रॉफी काफी बड़ी और पीतल से बनी हुई है जो न सिर्फ जिलाधिकारी कार्यालय की शोभा बढ़ा रही है बल्कि जनपद वासियों का भी गौरव बनी हुई है.
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