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तालाब में तब्दील हुईं गांव की गलियां, पलायन करने को मजबूर ग्रामीण - water logging latest news

सहारनपुर जिले के तहसील देवबंद विकास खण्ड क्षेत्र का पीरड़ गांव अपनी उपेक्षा का दंश झेल रहा है. बारिश के कारण गांव की गलियां नालियों में तब्दील हो गई हैं. इसके चलते ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

तालाब में तब्दील हुई गांव की गलियां
तालाब में तब्दील हुई गांव की गलियां
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Published : Aug 16, 2020, 2:03 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: जिले के तहसील देवबंद के विकास खण्ड क्षेत्र नागल का गांव पीरड़ इन दिनों अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. करीब पांच वर्षों से गांव के कई इलाके तालाब में तब्दील हो चुके हैं. इसका मुख्य कारण पानी की निकासी नहीं होना बताया जा रहा है. यूं तो गांव में छोटे बड़े दो तालाब हैं, लेकिन छोटे तालाब से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. कुछ दबंगों ने तालाब किनारे दीवार खड़ी कर निकासी को रोका हुआ है. इसके चलते पीरड़ गांव की गलियां भी तालाब बन चुकी हैं. बरसात के दिनों में यह गलियां बरसाती नदियों की तरह इस कदर उफान पर आ जाती हैं कि गलियों में बहता गंदा पानी घरों में घुस जाता है.

इस परेशानी के चलते दर्जनों परिवार गांव से पलायन कर चुके हैं, जबकि दर्जन भर परिवार पलायन की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि ग्राम प्रधान और जिम्मेदार लोग कई बार अधिकारियों को लिखित प्रार्थना पत्र दे चुके हैं, लेकिन वहां से उन्हें केवल कोरे आश्वाशन के अलावा कुछ नहीं मिलता. इस बारे में जब मुख्य विकास अधिकारी से बात की तो उन्होंने तुरंत संबधित खण्ड विकास अधिकारी को फोन कर न सिर्फ पानी निकासी करने के निर्देश दिए बल्कि समस्या का समाधान होने अवगत कराने को कहा है.

जहरीले जानवरों का खतरा
ग्रामीणों ने बताया कि करीब पांच साल पहले गांव के छोटे तालाब से पानी निकासी होकर खेतों में चला जाता था, लेकिन गांव के दबंगों ने तालाब किनारे दीवार बनाकर निकासी को रोक दिया. घरों से निकलने वाला पानी गांव का छोटा तालाब भरने की वजह से पानी वापस गलियों में आ जाता है. हालात यह हैं कि बरसात के दिनों में ग्रामीणों का घर से निकलना भी दुश्वार हो जाता है. महिलाओं और बच्चों को खुले आसमान के नीचे छतों पर रात गुजारनी पड़ती है. कई बार तो बहते पानी में सांप और अन्य जहरीले जीव भी घरों में आ जाते हैं, जिनके डर से ग्रामीणों को अपने परिवार की चिंता और ज्यादा सताने लगती है.

तालाब में तब्दील हुई गांव की गलियां

गलियों में घुसा पानी
गलियों में 3-4 फीट पानी भरने से कई ग्रामीणों के मकान गिर चुके तो कई की दीवारें ढहने लगी हैं. अपने परिवार की सलामती के लिए दो दर्जन परिवार गांव से पलायन कर गए हैं. कई परिवार पलायन की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि अधिकारियों को कई बार शिकायत बाद भी पानी निकासी के लिए एक नाला भी नहीं बन पा रहा है तो गांव में रह कर क्या करेंगे. हर रोज गंदे पानी से निकलना पड़ता है, जिससे कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है.

गांव की महिला ने बताया कि पांच साल से यह हाल बना हुआ है. गलियों में पानी भरा रहने से जहां वे घर से बाहर नहीं निकल पाते. वहीं छात्र छात्राओं का स्कूल कॉलेज भी छूट जाता है. पानी सूखने के इंतजार में कई दिनों तक घरों में रहना पड़ता है. घरों में पानी घुसने से अनाज, चावल आदि खराब हो गए हैं. यही वजह है कि लोग गांव छोड़कर जाने को मजबूर है.

शिकायतों के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
ग्राम प्रधान मीर हसन ने बताया कि उनके गांव में पानी निकासी की समस्या पांच सालों से आई हुई है. पूर्व प्रधान और जिम्मेदार ग्रामीणों के साथ अधिकारियों के चक्कर काटकर थक चुके हैं. अधिकारी केवल आश्वाशन देकर चले जाते हैं. छोटा गांव होने की वजह से योजनाएं भी कम आती है, जिनके तहत काम कराया दिया जाता है. गांव की गलियां और शिवमंदिर सब जगह पानी ही पानी भरा हुआ है. लाख शिकायतों के बाद कोई सुनने वाला नहीं है. लोग गांव छोड़कर जाने लगे है. यही हाल रहा तो धीरे-धीरे गांव के ज्यादातर परिवार पलायन कर दूसरे गांवों में जाकर बस जाएंगे.

मुख्य विकास अधिकारी प्रणय सिंह ने बताया कि बीडीओ को निर्देश दिए गए हैं कि पीरड़ गांव में पानी की निकासी ओर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करें. किसी भी कार्य योजना के तहत पानी निकासी कराने की भी व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में बरसात के दिनों में ग्रामीणों को इस तरह की दिक्कत से न जूझना पड़े.

सहारनपुर: जिले के तहसील देवबंद के विकास खण्ड क्षेत्र नागल का गांव पीरड़ इन दिनों अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. करीब पांच वर्षों से गांव के कई इलाके तालाब में तब्दील हो चुके हैं. इसका मुख्य कारण पानी की निकासी नहीं होना बताया जा रहा है. यूं तो गांव में छोटे बड़े दो तालाब हैं, लेकिन छोटे तालाब से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. कुछ दबंगों ने तालाब किनारे दीवार खड़ी कर निकासी को रोका हुआ है. इसके चलते पीरड़ गांव की गलियां भी तालाब बन चुकी हैं. बरसात के दिनों में यह गलियां बरसाती नदियों की तरह इस कदर उफान पर आ जाती हैं कि गलियों में बहता गंदा पानी घरों में घुस जाता है.

इस परेशानी के चलते दर्जनों परिवार गांव से पलायन कर चुके हैं, जबकि दर्जन भर परिवार पलायन की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि ग्राम प्रधान और जिम्मेदार लोग कई बार अधिकारियों को लिखित प्रार्थना पत्र दे चुके हैं, लेकिन वहां से उन्हें केवल कोरे आश्वाशन के अलावा कुछ नहीं मिलता. इस बारे में जब मुख्य विकास अधिकारी से बात की तो उन्होंने तुरंत संबधित खण्ड विकास अधिकारी को फोन कर न सिर्फ पानी निकासी करने के निर्देश दिए बल्कि समस्या का समाधान होने अवगत कराने को कहा है.

जहरीले जानवरों का खतरा
ग्रामीणों ने बताया कि करीब पांच साल पहले गांव के छोटे तालाब से पानी निकासी होकर खेतों में चला जाता था, लेकिन गांव के दबंगों ने तालाब किनारे दीवार बनाकर निकासी को रोक दिया. घरों से निकलने वाला पानी गांव का छोटा तालाब भरने की वजह से पानी वापस गलियों में आ जाता है. हालात यह हैं कि बरसात के दिनों में ग्रामीणों का घर से निकलना भी दुश्वार हो जाता है. महिलाओं और बच्चों को खुले आसमान के नीचे छतों पर रात गुजारनी पड़ती है. कई बार तो बहते पानी में सांप और अन्य जहरीले जीव भी घरों में आ जाते हैं, जिनके डर से ग्रामीणों को अपने परिवार की चिंता और ज्यादा सताने लगती है.

तालाब में तब्दील हुई गांव की गलियां

गलियों में घुसा पानी
गलियों में 3-4 फीट पानी भरने से कई ग्रामीणों के मकान गिर चुके तो कई की दीवारें ढहने लगी हैं. अपने परिवार की सलामती के लिए दो दर्जन परिवार गांव से पलायन कर गए हैं. कई परिवार पलायन की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि अधिकारियों को कई बार शिकायत बाद भी पानी निकासी के लिए एक नाला भी नहीं बन पा रहा है तो गांव में रह कर क्या करेंगे. हर रोज गंदे पानी से निकलना पड़ता है, जिससे कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है.

गांव की महिला ने बताया कि पांच साल से यह हाल बना हुआ है. गलियों में पानी भरा रहने से जहां वे घर से बाहर नहीं निकल पाते. वहीं छात्र छात्राओं का स्कूल कॉलेज भी छूट जाता है. पानी सूखने के इंतजार में कई दिनों तक घरों में रहना पड़ता है. घरों में पानी घुसने से अनाज, चावल आदि खराब हो गए हैं. यही वजह है कि लोग गांव छोड़कर जाने को मजबूर है.

शिकायतों के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
ग्राम प्रधान मीर हसन ने बताया कि उनके गांव में पानी निकासी की समस्या पांच सालों से आई हुई है. पूर्व प्रधान और जिम्मेदार ग्रामीणों के साथ अधिकारियों के चक्कर काटकर थक चुके हैं. अधिकारी केवल आश्वाशन देकर चले जाते हैं. छोटा गांव होने की वजह से योजनाएं भी कम आती है, जिनके तहत काम कराया दिया जाता है. गांव की गलियां और शिवमंदिर सब जगह पानी ही पानी भरा हुआ है. लाख शिकायतों के बाद कोई सुनने वाला नहीं है. लोग गांव छोड़कर जाने लगे है. यही हाल रहा तो धीरे-धीरे गांव के ज्यादातर परिवार पलायन कर दूसरे गांवों में जाकर बस जाएंगे.

मुख्य विकास अधिकारी प्रणय सिंह ने बताया कि बीडीओ को निर्देश दिए गए हैं कि पीरड़ गांव में पानी की निकासी ओर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करें. किसी भी कार्य योजना के तहत पानी निकासी कराने की भी व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में बरसात के दिनों में ग्रामीणों को इस तरह की दिक्कत से न जूझना पड़े.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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