सहारनपुर: एक ओर जहां यूपी निकाय चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है. वहीं, चुनाव से ठीक पहले स्मार्ट सिटी सहारनपुर में महापौर और पार्षद का बड़ा कारनामा सामने आया है. निकाय चुनाव में लाभ लेने के लिए महापौर और नगर निगम अधिकारियों के साथ मिलकर पार्षद ने पुरानी सड़को पर नया शिलापट लगाकर सबको हैरान कर दिया है. हैरत की बात तो ये है कि जिन सड़को पर शिलापट लगाए गए हैं, जिसमें नवागंतुक नगरायुक्त गजल भारद्वाज, मुख्य अभियंता और महापौर के नाम लिखे गए हैं.
दरअसल, पूरा मामला स्मार्ट सिटी सहारनपुर के वार्ड 64 का है, जहां आरोप है कि, स्थानीय पार्षद खुशनुमा नूर आलम ने 15-20 साल पुरानी सड़कों और गलियों को नई दिखाने का प्रयास किया है. इसके लिए बाकायदा महापौर संजीव वालिया, नगरायुक्त गजल भारद्वाज के साथ अपना नाम लिखवा कर शिलापट लगवा दिए हैं. ऐसी एक दो नहीं बल्कि वार्ड 64 की दो दर्जन से ज्यादा गालियों पर शिलापट लगाए गए हैं. हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से कई सड़के तो ऐसी है जो कभी बसपा और सपा सरकार के कार्यकाल में विधायक निधि से बनवाई गई थी. बावजूद इसके पार्षद ने करोड़ो रुपये की लागत से बनी पुरानी सड़कों को नया दिखाने का प्रयास किया है. चौकाने वाली बात तो ये है कि इन सड़कों का निगम की फ़ाइलों में भी नया कोई रिकॉर्ड नहीं है.
वार्ड के समाजसेवी तंजीम नवाज के साथ वार्डवासियों ने नगर आयुक्त को लिखित शिकायत की है. शिकायत मिलने पर नगर निगम अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. नगर आयुक्त गजल भारद्वाज ने मामले की जांच अपर नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव को सौंप दी है. वहीं, पुरानी गलियों पर लगाए गए नए शिलापटों की जांच करने पहुंचे अपर नगरायुक्त राजेश श्रीवास्तव के साथ पार्षद पति नूर मोहमद बदसलूकी पर उतर आए, जिसका वीडियो भी सामने आया है. अपर नगर आयुक्त ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है. जांच में प्रथम दृष्टया पुरानी गलियों में नए शिलापट लगाए गए हैं. जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी.
स्थानीय समाजसेवी तंजीम नवाज ने बताया कि पार्षद पति ने नगर निगम अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर पुरानी सड़कों पर शिलापट लगा दिए हैं, जिससे उन्हें नई दर्शाकर उनके नाम आये पैसे की बंदरबांट की जा सके. जबकि ये सड़के और गलियां 5 साल से ज्यादा पुरानी है. इन गलियों के निर्माण कार्य के रिकॉर्ड भी उसी दौरान का दर्ज है. नए रिकार्ड में इन गलियों का कोई लेखाझोखा नहीं है, जिसके चलते गलियों के नाम पर बड़े घोटाले की साजिश की बू आना लाजमी है.
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