पुलिस-प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए हाजी इकबाल की संपत्तियों को चिह्नित की हैं. गैंगस्टर एक्ट में जिलाधिकारी ने संपत्तियों को जब्त करने के आदेश जारी किए थे. यह कार्रवाई अब तक प्रदेश की सबसे बड़ी कार्रवाई बताई जा रही है. इससे पहले मई महीने में हाजी इकबाल की 1 अरब की संपत्ति कुर्क हुई थी.
पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल व उसके परिजनों के खिलाफ लगातार शिकंजा कसता जा रहा है. इसके तीन बेटों व भाई पूर्व एमएलसी महमूद अली की गिरफ्तारी के बाद 14(1) गैंगस्टर एक्ट के तहत भी इन सब पर कार्रवाई की जा चुकी है. बुधवार को ही हाजी इकबाल व उसके बहनोई के ऊपर 50 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया गया है. सहारनपुर जिला प्रशासन की टीम जनपद के मिर्जापुर इलाके में पहुंचकर ढोल बजा कर आसपास के ग्रामीणों को बुला कर बताया की 50 हजार का इनामी हाजी इकबाल की संपत्ति को जिला प्रशासन कुर्क कर रहा है. अब इस संपत्ति पर हाजी इकबाल उसके परिजनों का कोई अधिकार नहीं है. यदि इस संपत्ति को खरीदने बेचने के लिए किसी को कहा जाता है तो वह गलत है. उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
एसएसपी सहारनपुर ने बताया कि खनन माफिया हाजी इकबाल उर्फ बाला कई मामलों में वांछित है. उसके और उसके बहनोई के विरुद्ध 50 हजार का इनाम घोषित किया गया है. इकबाल बाला के विरुद्ध 1 माह पूर्व 182 के अंतर्गत नोटिस चस्पा किया गया था, जिसके एक माह पूर्ण होने पर इकबाल के विरुद्ध 183 के अंतर्गत उसकी संपत्ति कुर्क की जा रही है. यह संपत्ति अलग-अलग स्थानों पर है, जिसकी आज की तिथि में बाजार कीमत लगभग 203 करोड़ रुपये है. वहीं, फरार हाजी इकबाल की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं और उसे शीघ्र ही गिरफ्तार किया जाएगा.
बता दें कि, खनन माफिया ने अकूत सम्पत्ति को अपने रिस्तेदारो और नजदीकी नौकरों के नाम कराया हुआ था. हाजी इकबाल और उसके परिजनों पर अवैध खनन, अवैध कब्जे, मारपीट, धमकी देने, धोखाधड़ी और दुष्कर्म समय कई धाराओं में दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. यही वजह है कि खनन माफिया हाजी इकबाल अंडर ग्राउंड चल रहा है. जबकि उसके भाई पूर्व एमएलसी महमूद अली और तीन बेटे जेल में सजा काट रहे हैं. सहारनपुर पुलिस खनन माफिया हाजी इकबाल की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है.
धन बल पर हाजी इकबाल तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती का चहेता बन गया. यही वजह रही कि 2010 में मायावती ने उसको MLC बना कर विधान परिषद भेज दिया, जिसके बाद हाजी इकबाल के इशारे पर उसके गुर्गों ने थाना मिर्जापुर पोल इलाके में ग्रामीणों पर अत्याचार शुरू कर दिया. उनकी खेती की जमीनों पर जबरन कब्जे करने शुरू कर दिए. विरोध करने पर न सिर्फ उनके साथ मारपीट की गई बल्कि उनके खिलाफ झूठे मुकदमे करा दिए गए. बसपा के बाद 2012 में सपा की अखिलेश सरकार में भी हाजी इकबाल का रसूख कम नहीं हुआ. शासन प्रशासन से सांठगांठ कर गरीब किसानों पर जुल्म करता रहा. हजारों बीघा जमीन कब्जा कर अपने नौकरों, मुंशी और रिस्तेदारों के नाम करवा दी.
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