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मुस्लिम किसान की जमीन पर अवतरित हुए थे मनेकेश्वर महादेव, शिवरात्रि पर लगता है विशाल मेला - उत्तर प्रदेश न्यूज

सहारनपुर का बाबा मनेकेश्वर महादेव मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करता है. यह मंदिर मुस्लिम किसान की जमीन पर बना हुआ है. महाशिवरात्रि का महापर्व यहां कड़ी सुरक्षा के बीच काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है.

बाबा मनेकेश्वर महादेव मंदिर
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Published : Mar 5, 2019, 5:54 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर : देश भर में महाशिवरात्रि का महापर्व कड़ी सुरक्षा के बीचकाफी धूमधाम से मनाया जा रहा है. महादेव के भक्त सुबह से ही शिवालयों में जल चढ़ाने को लेकर लंबी कतारों में लगे हुए हैं. वहीं, सहारनपुर के बाबा मनेकेश्वर महादेव मंदिर में भी यही नजारा देखने को मिल रहा है. वैसे इस शिवालय की एक खास बात और भी है. दरअसल यह मंदिर मुस्लिम किसान की जमीन पर बना हुआ है. इस लिहाज मे यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है.

बाबा मनेकेश्वर महादेव मंदिर

बताया जा रहा है कि इस जमीन पर करीब 500 साल पहले शिवजी की पिंडी अवतरित हुई थी. इसके बाद मुस्लिम किसान ने शिवालय के लिए अपनी जमीन दान दे दी थी. हिंदू समाज इस जमीन पर शिव मंदिर निर्माण कर पूजा-पाठ कर रहा है. अब यहां महाशिवरात्रि के मौके पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. जहां हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों से शिव भक्त जलाभिषेक करने आते हैं.

मनेकेश्वर महादेव मंदिर देवबंद से महज दो किलोमीटर दूर मानकी गांव में है. इस मंदिर में यूं तो हर सोमवार श्रदालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन शिवरात्रि के महापर्व पर हजारों की भीड़ रहती है. भोलेनाथ को रिझाने के लिए शिवभक्त में जलाभिषेक करने की होड़ लगी रहती है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर परिसर में स्थानीय पुलिस समेत पीएसी बल की तैनाती की गई है.

सुबह से ही यहां श्रदालुओं की लंबी लाइन लगी हुई है. मंदिर पूरी तरह से शिव के रंग में रंगा है. मंदिर परिसर में हर तरफ 'बोल बम बोल बम' के नारे सुनाई दे रहे हैं. मान्यता है कि आज के दिन शिवलिंग पर जल के साथ बेल, पत्ते, बेर के चादर और कद्दू का प्रसाद चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं.

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वहीं, मंदिर के मुख्य पुजारी सतीश गिरी ने बताया कि करीब 500 साल पहले एक मुस्लिम किसान हल से अपने खेत की जुताई कर रहा था. उस दौरान उसके खेत में हल के नीचे एक पत्थर आ गया. किसान ने पत्थर को निकालने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे.

किसान इस पत्थर से सिल बट्टा बनाना चाहते थे लेकिन किसान के छूने से पहले ही यह पत्थर जमीन में नीचे चला गया.किसान ने दोबारा हल से जुताई करनी शुरू कर दी और यह पत्थर फिर से हल के आगे आकर टकरा गया.

इस बार किसान ने पत्थर को गौर से देखा तो वह शिवलिंग था. बताया जाता है कि मुस्लिम किसान ने हिंदू समाज के सामने जब यह बताया तो देखकर सब हैरान रह गए.

इसके बाद मुस्लिम किसान ने शिवलिंग अवतरित होने वाले जमीन को मंदिर के नाम दान कर दी. जिसके बाद देवबंद के हिंदू समाज ने इस भव्य मंदिर का निर्माण किया. मानकी गांव में होने के कारण इस मंदिर का नाम मनेकेश्वर महादेव मंदिर रखा गया.

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सहारनपुर : देश भर में महाशिवरात्रि का महापर्व कड़ी सुरक्षा के बीचकाफी धूमधाम से मनाया जा रहा है. महादेव के भक्त सुबह से ही शिवालयों में जल चढ़ाने को लेकर लंबी कतारों में लगे हुए हैं. वहीं, सहारनपुर के बाबा मनेकेश्वर महादेव मंदिर में भी यही नजारा देखने को मिल रहा है. वैसे इस शिवालय की एक खास बात और भी है. दरअसल यह मंदिर मुस्लिम किसान की जमीन पर बना हुआ है. इस लिहाज मे यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है.

बाबा मनेकेश्वर महादेव मंदिर

बताया जा रहा है कि इस जमीन पर करीब 500 साल पहले शिवजी की पिंडी अवतरित हुई थी. इसके बाद मुस्लिम किसान ने शिवालय के लिए अपनी जमीन दान दे दी थी. हिंदू समाज इस जमीन पर शिव मंदिर निर्माण कर पूजा-पाठ कर रहा है. अब यहां महाशिवरात्रि के मौके पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. जहां हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों से शिव भक्त जलाभिषेक करने आते हैं.

मनेकेश्वर महादेव मंदिर देवबंद से महज दो किलोमीटर दूर मानकी गांव में है. इस मंदिर में यूं तो हर सोमवार श्रदालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन शिवरात्रि के महापर्व पर हजारों की भीड़ रहती है. भोलेनाथ को रिझाने के लिए शिवभक्त में जलाभिषेक करने की होड़ लगी रहती है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर परिसर में स्थानीय पुलिस समेत पीएसी बल की तैनाती की गई है.

सुबह से ही यहां श्रदालुओं की लंबी लाइन लगी हुई है. मंदिर पूरी तरह से शिव के रंग में रंगा है. मंदिर परिसर में हर तरफ 'बोल बम बोल बम' के नारे सुनाई दे रहे हैं. मान्यता है कि आज के दिन शिवलिंग पर जल के साथ बेल, पत्ते, बेर के चादर और कद्दू का प्रसाद चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं.

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वहीं, मंदिर के मुख्य पुजारी सतीश गिरी ने बताया कि करीब 500 साल पहले एक मुस्लिम किसान हल से अपने खेत की जुताई कर रहा था. उस दौरान उसके खेत में हल के नीचे एक पत्थर आ गया. किसान ने पत्थर को निकालने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे.

किसान इस पत्थर से सिल बट्टा बनाना चाहते थे लेकिन किसान के छूने से पहले ही यह पत्थर जमीन में नीचे चला गया.किसान ने दोबारा हल से जुताई करनी शुरू कर दी और यह पत्थर फिर से हल के आगे आकर टकरा गया.

इस बार किसान ने पत्थर को गौर से देखा तो वह शिवलिंग था. बताया जाता है कि मुस्लिम किसान ने हिंदू समाज के सामने जब यह बताया तो देखकर सब हैरान रह गए.

इसके बाद मुस्लिम किसान ने शिवलिंग अवतरित होने वाले जमीन को मंदिर के नाम दान कर दी. जिसके बाद देवबंद के हिंदू समाज ने इस भव्य मंदिर का निर्माण किया. मानकी गांव में होने के कारण इस मंदिर का नाम मनेकेश्वर महादेव मंदिर रखा गया.

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Intro:सहारनपुर : महाशिवरात्रि का महापर्व देश भर में कड़ी सुरक्षा के बीच धूमधाम से मनाया जा रहा है। भोले के भगत सुबह से ही शिवालयों में जल चढाने को लेकर लम्बी कतारो में लगे हुए हैं। ऐसा ही नजारा कुछ सहारनपुर के बाबा मनेकेश्वर महादेव मंदिर में देखने को मिला। भोले बाबा को रिझाने के लिए भगतो की लम्बी लाइन लगी है श्रदालु अपने घरो से निकल कर शिवलिंग पर जल चढाने के शिवालय में आये हैं। इस शिवालय की खास बात ये है कि यह मंदिर मुस्लिम किसान की जमीन में बना हुआ है। बताया जा रहा है कि इस जमीन में करीब 500 साल पहले शिवजी की पिंडी अवतरित हुई थी। जिसके बाद मुस्लिम किसान ने शिवालय के लिए अपनी जमीन दान दे दी थी। हिन्दू समाज इस जमीन पर शिवमंदिर निर्माण कर पूजा पाठ कर रहा है। यहां महाशिवरात्रि के मौके पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जहां हरियाणा, पंजाब , उत्तराखण्ड समेत देश के कई राज्यो से शिव भगत जलाभिषेक करने आते है।


Body:VO1 - आपको बता दें कि फतवो की नगरी देवबन्द से महज 2 किलोमीटर दूर मानकी ग़ांव है जहां मनेकेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर में यू तो हर सोमवार श्रदालुओ का तांता लगा रहता है लेकिन शिवरात्रि के महापर्व पर हजारो की भीड़ रहती है। भोले नाथ को रिझाने के लिए शिवभगत जलाभिषेक करने की होड़ लगी है। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर परिसर में स्थानीय पुलिस समेत पीएसी बल की तैनाती की गई है। सुबह से ही यहां देर रात से ही श्रदालुओ की लंबी लाइन लगी हुई है। मंदिर पूरी तरह से शिव के रंग में रंगा है बोल बम बोल बम के नारो से गुंजा हुआ है। मान्यता है कि आज के दिन शिवलिंग पर जल के साथ बेल , पते , बेर के चादर और कद्दू का प्रसाद चढाने से भगवान भोले नाथ भगतो की मनोकामना पूरी करते हैं। खास बात ये है कि यह मंदिर एक मुस्लिम किसान की जमीन में बना हुआ है। यह जमीन मुस्लिम किसान ने 500 साल पहले मंदिर के लिए दान कर दी थी। जिसके चलते यह मंदिर हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है।

बाईट - आशु चौधरी ( श्रदालु )
बाईट - रश्मि ( श्रदालु )
बाईट - तनु ( श्रदालु )

VO 2 - मंदिर के मुख्य पुजारी सतीश गिरी ने बताया कि करीब 500 साल पहले एक मुस्लिम किसान हल से अपने खेत की जुटाई कर रहा था। उस दौरान उसके खेत में हल के नीचे एक पत्थर आ गया। किसान ने पत्थर को निकालने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। किसान इस पत्थर से सिल बट्टा बनाना चाहते थे। लेकिन किसान के छूने से पहले ही यह पत्थर जमीन में नीचे चला गया। किसान ने दोबारा हल से जुताई करनी शुरू कर दी और यह पत्थर फिर से हल के आगे आकर टकरा गया। इस बार किसान ने पत्थर को गौर से देखा तो वह शिवलिंग था। बताया जाता है कि मुस्लिम किसान ने हिन्दू समाज के सामने इस बाबत बताया तो देख कर सब हैरान रह गए। मुस्लिम किसान ने शिवलिंग अवतरित होने वाले जमीन को मंदिर के नाम दान कर दी। जिसके बाद देवबंद के हिन्दू समाज ने इस भव्य मंदिर का निर्माण किया। मानकी ग़ांव में होने के कारण इस मंदिर का नाम मनेकेश्वर महादेव मंदिर रखा गया। मान्यता है कि इस मंदिर में जलाभिषेक करने से शिवभगतो की हर मनोकामना पूरी होती है। वैसे तो यहां हर सोमवार शिव भगतो का हुजूम लगा रहता है लेकिन महाशिवरात्रि के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। आज के दिन लाखो श्रदालु महादेव का जलाभिषेक कर धर्म लाभ उठाते है।

बाईट - पंडित सतीश गिरी ( मुख्य पुजारी )




Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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