सहारनपुर: विख्यात सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी मंदिर में सोमवार को पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर मां शाकंभरी जयंती (प्राकट्य पर्व) हर्षोल्लास से मनाई गई. कड़ाके की ठंड भी भक्तों की आस्था को नहीं डिगा सकी.
जयंती पर्व को लेकर सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी मंदिर (Siddhapeeth Shri Shakambhari Devi Temple) सहित मंदिर परिक्षेत्र को भव्य रूप से सजाया गया था. पौष माह की पूर्णिमा तिथि की सुबह शाकंभरी जयंती पर शिवालिक घाटी भक्ति रस में डूब गई. भक्तों की ओर से गगन भेदी जयकारों से पूरी शिवालिक घाटी गुंजायमान हो उठी. मां शाकंभरी को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है. पौष मास की पूर्णिमा को मां दुर्गा ने मानव कल्याण के लिए शाकंभरी रूप लिया था.
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10 जनवरी से शंकराचार्य आश्रम में शतचंडी महायज्ञ चल रहा है, जिसमें पूर्णाहुति देने के लिए सैकड़ों लोगोें की भीड़ उमड़ी. आश्रम व्यवस्थापक एवं अखिल भारतीय संत संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत सहजानंद महाराज के सानिध्य में एक सप्ताह से आश्रम में तैयार किए जा रहे 56 भोग और 36 व्यंजन मां भगवती को अर्पण किए गए. वहीं, शाकंभरी देवी मंदिर व्यवस्थापक राणा परिवार की तरफ से मंदिर की भव्य सजावट कराई गई है. राणा परिवार की ओर से पूर्व विधायक रानी देवलता, राणा आदित्य प्रताप सिंह, कुंवर आतुल्य प्रताप सिंह ने मां की विशेष पूजा की.
ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा ने पृथ्वी पर अकाल और गंभीर खाद्य संकट से निजात दिलाने के लिए शाकम्भरी का अवतार लिया था. इसलिए इन्हें सब्जियों और फलों की देवी के रूप में भी पूजा जाता है. इस दिन असहायों को अन्न, शाक (कच्ची सब्जी), फल और जल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
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