सहारनपुर: मोदी सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण करने का बीड़ा उठाया है. सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण के लिए नवीन नियमावली के अनुसार उत्तर प्रदेश में संचालित 7442 मदरसों में राशि का हिस्सा तय किया है. केंद्र से 60 और राज्य से 40 प्रतिशत का अंशदान निर्धारित किया है.
इसे स्कीम फ़ॉर प्रोवाइडिंग स्कीम के अंतर्गत लागू किया गया है. इस फैसले का देवबंदी उलेमाओं ने एक ओर जहां सिर्फ स्वागत किया, वहीं मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर सवाल भी उठाए हैं.
106.52 करोड़ रुपये से होगा आधुनिकीकरण
देवबंदी उलेमाओं का कहना है कि मदरसा आधुनिकीकरण के लिए सरकार की बातें अधूरी है. उन्हें आधुनिककीकरण के लिए उलेमाओं से भी राय लेनी चाहिए.
सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण के लिए नई नियमावली लागू की है. नियमावली के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 7442 संचालित मदरसों में केंद्र और राज्य का हिस्सा निर्धारित किया गया है. इसे एक स्कीम के तहत लागू किया गया है. मदरसों में 5212 स्नातक और 15 हजार 914 बीएड शिक्षक कार्यरत हैं. आधुनिकीकरण के फैसले के साथ 106 करोड़ 52 लाख रुपये बजट का प्रस्ताव पास किया गया है. लेकिन सरकार के इस कदम पर देवबंदी उलेमाओं ने सवाल खड़े कर दिए हैं.
दारुल उलूम देवबंद के आलीम कारी इश्हाक गौरा ने कहा कि आधुनिकीकरण को लेकर सरकार ने जो बातें कही हैं, वे सभी अधूरी हैं. इसमें हम लोगों के सवाल हैं. उसके जवाब सही तरीके से सामने नही आ रहे हैं. मैं समझता हूं, इसके बारे में विस्तार से सरकार को बताना चाहिए. मदरसों का आधुनिकीकरण अच्छी पहल है और उलेमा व मुस्लिम समुदाय भी चाहता है. लेकिन इसके लिए सरकार को उलेमाओ से राय लेनी चाहिए. ताकि मदरसों का आधुनिकीकरण बेहतर हो सके.