ETV Bharat / state

जनवरी में नया साल मनाना और मुबारकबाद देना, इस्लाम में जायज नहीं: उलेमा

author img

By

Published : Dec 31, 2019, 8:50 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

पूरी दुनिया नए साल के जश्न में डूबने वाली है. वहीं नए साल का जश्न मनाने को लेकर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि जनवरी में नया साल मनाना इस्लाम में नाजायज है.

etv bharat
देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी

सहारनपुर: एक ओर दुनिया एक जनवरी को धूमधाम से नया साल मनाने जा रही है वहीं नए साल का जश्न मनाने को लेकर देवबन्द में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे न सिर्फ नाजायज करार दिया है बल्कि सियासत का रूप भी दे दिया है. देवबंदी उलेमाओं ने नए साल को इस्लाम में नाजायज बताया है. उन्होंने कहा कि यह अंग्रेजी सभ्यता का त्योहार है.

देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी.

नया वर्ष मनाना शरीयत में है नाजायज
देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि एक जनवरी को नए वर्ष की मुबारकबाद देने और नववर्ष मनाना इस्लाम मे सख्त मना है. जनवरी महीने में ईसाई धर्म के लोग नए साल को त्यौहार के रूप में मनाते हैं. इस्लाम में नया साल मोहर्रम के महीने में शुरु होता है. असद कासमी ने बताया कि नया साल मनाना और मुबारकबाद देना न सिर्फ पश्चिमी देशों की सभ्यता बताया बल्कि शरीयत में नाजायज करार दिया है.

इसे भी पढ़ें - काशी के मणिकर्णिका घाट में ठंड का कहर, दिन में अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार

देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि इस्लाम में तो जन्मदिन मनाना और केक काटना भी शरीयत के खिलाफ है. इस्लाम धर्म में इस चीज की बिल्कुल इजाजत नहीं है.

सहारनपुर: एक ओर दुनिया एक जनवरी को धूमधाम से नया साल मनाने जा रही है वहीं नए साल का जश्न मनाने को लेकर देवबन्द में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे न सिर्फ नाजायज करार दिया है बल्कि सियासत का रूप भी दे दिया है. देवबंदी उलेमाओं ने नए साल को इस्लाम में नाजायज बताया है. उन्होंने कहा कि यह अंग्रेजी सभ्यता का त्योहार है.

देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी.

नया वर्ष मनाना शरीयत में है नाजायज
देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि एक जनवरी को नए वर्ष की मुबारकबाद देने और नववर्ष मनाना इस्लाम मे सख्त मना है. जनवरी महीने में ईसाई धर्म के लोग नए साल को त्यौहार के रूप में मनाते हैं. इस्लाम में नया साल मोहर्रम के महीने में शुरु होता है. असद कासमी ने बताया कि नया साल मनाना और मुबारकबाद देना न सिर्फ पश्चिमी देशों की सभ्यता बताया बल्कि शरीयत में नाजायज करार दिया है.

इसे भी पढ़ें - काशी के मणिकर्णिका घाट में ठंड का कहर, दिन में अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार

देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि इस्लाम में तो जन्मदिन मनाना और केक काटना भी शरीयत के खिलाफ है. इस्लाम धर्म में इस चीज की बिल्कुल इजाजत नहीं है.

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां दुनिया का हर देश एक जनवरी को नए साल के रूप में धूम धाम से मनाने जा रहा है वही नए साल का जश्न मनाने को लेकर फतवो की नगरी देवबन्द में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने न सिर्फ नाजायज करार दिया है बल्कि शियासत का रूप दे दिया है। देवबंदी उलेमाओं ने नए साल को न सिर्फ इस्लाम मे नाजायज बताया है बल्कि अंग्रेजी सभ्यता का त्योहार करार दिया है। उलेमाओ का कहना है अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से मनाया जाने वाला नया साल भारतीय संस्कृति से बाहर है। इसलिए हमारे देश के लोगो को इसको नही मनाना चाहिये। Body:VO 1 - देवबंदी उलेमा मुफ़्ती असद कासमी का कहना है कि एक जनवरी को नए वर्ष की मुबारक़बाद देने और नववर्ष मनाना इस्लाम मे सख्त मनाही है। जनवरी महीने में ईसाई धर्म के लोग नए साल को त्यौहार के रूप में मनाते है। उलेमाओ के मुताबिक नया साल मनाना और मुबारकबाद देना न सिर्फ पश्चमी देशो की सभ्यता बताया बल्कि शरीयत में नाजायज करार दिया है। इस्लाम मे एक जनवरी को नए साल का जश्न मनाना और नए साल की मुबारक़बाद देना जायज नही है। उन्होंने कहा कि इस्लाम मे तो जन्मदिन मनाना और केक काटना भी शरीयत के खिलाफ है। इस लिये जो लोग इस्लाम धर्म से तालुक रखते है उन्हें इस तरह की परम्पराओ से परहेज रखना चाहिये। इस्लाम धर्म मे इस चीज की इजाजत बिल्कुल नही है। एक जनवरी को नए वर्ष पर जश्न मनाने वालो के लिये साफ मना कर दिया है और ऐसी परम्पराओ से दूर रहने की हिदायत भी दी है।

बाईट - मुफ़्ती असद कासमी ( देवबंदी उलेमा )Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.