सहारनपुरः धनतेरस के मौके पर ग्राहकों के लिए भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, सरस्वती की मूर्तियों और सोने चांदी के सिक्कों समेत तमाम सोने चांदी की चीजो से दुकान सजाए हुए हैं. लेकिन तीन साल पहले हुई नोटबंदी आज भी ग्राहकों एवं दुकानदारों का पीछा नहीं छोड़ रही है. नोटबंदी और जीएसटी का असर आज भी सर्राफा बाजार में देखने को मिल रहा है.
सहारनपुर के सर्राफा बाजार में वैसे तो हर दिन रौनक रहती थी, लेकिन नोटबन्दी के बाद सर्राफा व्यपारियों की दुकानें खाली पड़ी हुई हैं. खास बात तो ये है कि धनतेरस के दिन भी सर्राफा बाजार में ग्राहकों का टोटा पड़ा हुआ है. दुकानदारों की मानें तो जब से नोटबंदी हुई है, तब से न तो मार्केट में ग्राहक हैं और न ही ग्राहकों के पास पैसा है.
25 फीसदी हो सकी है दुकानदारी
जो कुछ बचा था नोटबंदी के बाद जीएसटी ने पूरी कर दी. आलम यह है कि ग्राहक और दुकानदार दो साल बाद भी नोटबन्दी से नहीं उभर पाए हैं. वही दूसरी ओर लगातार सोने चांदी के बढ़ते दामों से सर्राफा बाजार पर संकट मंडराने लगा है. नोटबंदी से पहले के सालों की तुलना में सर्राफा बाजार में महज 25 प्रतिशत दुकानदारी हो पा रही है.
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नोटबंदी ने तोड़ रखी है कमर
सर्राफा व्यापारी राकेश गुप्ता ने बताया कि इन दिनों दीपावली के नाम की बिक्री बहुत कम है. पिछले सालों के मुकाबले इस साल आधे से भी कम व्यापार नहीं हो पा रहा है. लोगों के पास पैसा कम है, ग्राहक केवल बहुत जरूरी आइटम ही खरीदने आ रहे हैं. नोटबंदी और जीएसटी ने ग्राहकों के साथ दुकानदारों की कमर तोड़ रखी है. वही जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इन दिनों सोने चांदी के भाव बहुत ज्यादा हो गए हैं. सोना 38 हजार प्रति 10 ग्राम और चांदी 48 हजार प्रति किलोग्राम हो गई है, जिसके चलते ग्राहक बाजार से गायब हैं.
इस बार नहीं हो सकी है अच्छी बिक्री
ईटीवी भारत की टीम ने सहारनपुर के सर्राफा बाजार का जायजा लिया और सर्राफा बाजार के महामंत्री राम राजीव सिंघल से बात की. उन्होंने बताया कि इस बार दीपावली के मौके पर मंदी आई हुई है. दीपावली से पहले धनतेरस का मुख्य त्यौहार के मौके पर अच्छी खासी बिक्री हो जाती थी. इस बार भी धनतेरस की तैयारियां तो अच्छे की गई है पूजा की सामग्री से लेकर देवी देवताओं की मूर्तियां सब तैयार हैं, लेकिन ग्राहक नहीं आ रहे. मार्केट में पैसे की की कमी है और पैसे की कमी से मार्केट में ग्राहक नही हैं.