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सहारनपुर: करोड़ों खर्च के बाद भी अधूरे पड़े हाईवे के पुल, सालों से अधर में लटका फॉरलेन प्रॉजेक्ट

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में यमुनोत्री को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. करोड़ों खर्च किये जाने के बाद भी हाईवे का फोरलेन होना तो दूर नदियों पर बन रहे पुल भी अधूरे पड़े हुए हैं. पुल की जर्जर हालत स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है.

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Published : Sep 25, 2019, 9:30 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

करोड़ों खर्च के बाद भी अधूरे पड़े हाईवे के पुल.

सहारनपुर: एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार सड़कों का चौड़ीकरण करने के साथ फोरलेन हाईवे बनाने के दावे कर रही है. वहीं दिल्ली से सहारनपुर के रास्ते यमुनोत्री को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अरबों रुपये खर्च किये जाने के बाद भी हाईवे का फोरलेन होना तो दूर नदियों पर बन रहे पुल भी अधूरे पड़े हुए हैं, जबकि पुराने पुल कमजोर होकर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिसके चलते स्थानीय लोगों के साथ राहगीरों को हादसे का डर सताने लगा है. पुल की जर्जर हालत लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है.

करोड़ों खर्च के बाद भी अधूरे पड़े हाईवे के पुल.
  • दिल्ली यमुनोत्री हाईवे का नाम बदलकर अब दिल्ली-सहारनपुर हाईवे कर दिया गया है, इस हाईवे को बाकायदा 709 बी नंबर दिया गया है.
  • इससे पहले यह हाईवे करीब 220 किलोमीटर यानी दिल्ली से उत्तराखण्ड तक बनाए जाने का प्रस्ताव पास हुआ था.
  • केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली सहारनपुर नेशनल हाईवे नाम देकर केवल 123 किलोमीटर कर दिया.
  • इतना ही नहीं इस हाईवे के भी अलग-अलग तीन टुकड़े कर दिए, दिल्ली से बागपत, बागपत से शामली और शामली से सहारनपुर.
  • सरकार ने शामली-सहारनपुर के बीच हाईवे पर छोटे-बड़े पुल जरूर बनवाये हैं, जो पिछले डेढ़ साल से अधूरे पड़े हैं.

स्थानीय लोगों ने बयां किया दर्द
इस बात की बज ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. किसानों एवं स्थानीय लोगो ने ईटीवी भारत को बताया कि दिल्ली-यमुनोत्री पहले राजमार्ग 57 हुआ करता था और अब यह राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बी कहलाने लगा है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी जो बात यह कि इसे बनाने में सरकारों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नीयत बहुत खराब रही है.

2010 में जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो मात्र कुछ सौ करोड़ में होना तय हुआ था, जिसको 900 करोड़ से उठाकर 1,600 करोड़ किया गया और 1,600 करोड़ से 2600 करोड़ किया गया. इतना ही नही 2014 में एक प्रस्ताव कर उसको 3,500 करोड़ रुपये कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें:-सहारनपुर: शिक्षकों ने किया प्रेरणा एप का विरोध, मुख्यमंत्री को भेजे पोस्टकार्ड

करोड़ों की लागत से बनाया जा रहा पुल अधूरा छोड़ दिया गया
चौंकाने वाली बात ये है कि इस 3,500 करोड़ के प्रोजेक्ट को सरकार ने कम करने के बाद भी हाईवे पर पांच साल पहले शुरू हुआ काम बंद पड़ा है. संबंधित कंपनी द्वारा करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे पुलों को बीच में अधूरा छोड़ दिया गया है. इसके अलावा इसके अंदर यह घोटाला जो SEW कंपनी ने किया था. जिस पर फिलहाल बड़ी सीबीआई की जांच भी हुई है.

राहगीरों और पर्यटकों को करना पड़ रहा परेशानी का सामना
जानकारी के मुताबिक दिल्ली-यमुनोत्री राजमार्ग का विकास नगर को होकर यमुनोत्री धाम को जाता है. SEW कंपनी ने इस पर काम चलाया था, जिन्होंने कुछ पुलिया और कुछ जगहों पर बड़े पुलों का निर्माण शुरू किया था, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते इन पुलों का निर्माण बीच में ही रोक दिया गया. बताया जा रहा है कि पिछले पांच सालों से इन पुलों का निर्माण रुका हुआ है, जिसके चलते स्थानीय लोगों के साथ राहगीरों और पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पुराने पुल कमजोर हो चुके हैं, जो कभी भी बड़े हादसे का रूप ले सकते हैं.

मंडलायुक्त संजय कुमार ने दी जानकारी
मंडलायुक्त संजय कुमार ने बताया कि दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे को पश्चमी उत्तर प्रदेश की लाइफ लाइन कहा जाता है, लेकिन जमीन अधिग्रहण नहीं होने से न सिर्फ यह हाईवे अधर में लटक गया था बल्कि कम मुआवजा मिलने से किसानों के लिए भी मुसीबत बना हुआ है, जबकि सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सही मुआवजा देने की बात कहकर इस हाईवे का नाम बदल कर नेशनल हाईवे 709 बी कर चुके हैं. चौंकाने वाली बात तो ये है कि 2010 में बसपा सरकार ने इस हाईवे के निर्माण का शुभारम्भ किया था, लेकिन तब से लेकर आज तक इस हाईवे का निर्माण पूरा होना तो दूर सरकार किसानों से जमीन भी अधिग्रहण नहीं कर पाई.

सरकार किसानों को न तो नई पॉलिसी के हिसाब से और न ही नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दे रही है, जिसके चलते किसान कम रेट पर अपनी जमीन हाईवे को देने को तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि हाईवे पर करोड़ों की लागत के निर्माण कार्य पूरा होने की बाट जोह रहे हैं. वहीं हाईवे निर्माण करने वाली सबन्धित कंपनी भी हाईवे निर्माण को बीच में छोड़कर चली गई. एनएचआईए अधिकारियों से बात हो चुकी है. शामली और सहारनपुर के जिलाधिकारियों के मीटिंग की जा रही है. जल्द ही सभी औपचारिकतायें पूरी कर हाईवे पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
- संजय कुमार, मंडलायुक्त

सहारनपुर: एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार सड़कों का चौड़ीकरण करने के साथ फोरलेन हाईवे बनाने के दावे कर रही है. वहीं दिल्ली से सहारनपुर के रास्ते यमुनोत्री को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अरबों रुपये खर्च किये जाने के बाद भी हाईवे का फोरलेन होना तो दूर नदियों पर बन रहे पुल भी अधूरे पड़े हुए हैं, जबकि पुराने पुल कमजोर होकर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिसके चलते स्थानीय लोगों के साथ राहगीरों को हादसे का डर सताने लगा है. पुल की जर्जर हालत लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है.

करोड़ों खर्च के बाद भी अधूरे पड़े हाईवे के पुल.
  • दिल्ली यमुनोत्री हाईवे का नाम बदलकर अब दिल्ली-सहारनपुर हाईवे कर दिया गया है, इस हाईवे को बाकायदा 709 बी नंबर दिया गया है.
  • इससे पहले यह हाईवे करीब 220 किलोमीटर यानी दिल्ली से उत्तराखण्ड तक बनाए जाने का प्रस्ताव पास हुआ था.
  • केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली सहारनपुर नेशनल हाईवे नाम देकर केवल 123 किलोमीटर कर दिया.
  • इतना ही नहीं इस हाईवे के भी अलग-अलग तीन टुकड़े कर दिए, दिल्ली से बागपत, बागपत से शामली और शामली से सहारनपुर.
  • सरकार ने शामली-सहारनपुर के बीच हाईवे पर छोटे-बड़े पुल जरूर बनवाये हैं, जो पिछले डेढ़ साल से अधूरे पड़े हैं.

स्थानीय लोगों ने बयां किया दर्द
इस बात की बज ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. किसानों एवं स्थानीय लोगो ने ईटीवी भारत को बताया कि दिल्ली-यमुनोत्री पहले राजमार्ग 57 हुआ करता था और अब यह राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बी कहलाने लगा है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी जो बात यह कि इसे बनाने में सरकारों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नीयत बहुत खराब रही है.

2010 में जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो मात्र कुछ सौ करोड़ में होना तय हुआ था, जिसको 900 करोड़ से उठाकर 1,600 करोड़ किया गया और 1,600 करोड़ से 2600 करोड़ किया गया. इतना ही नही 2014 में एक प्रस्ताव कर उसको 3,500 करोड़ रुपये कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें:-सहारनपुर: शिक्षकों ने किया प्रेरणा एप का विरोध, मुख्यमंत्री को भेजे पोस्टकार्ड

करोड़ों की लागत से बनाया जा रहा पुल अधूरा छोड़ दिया गया
चौंकाने वाली बात ये है कि इस 3,500 करोड़ के प्रोजेक्ट को सरकार ने कम करने के बाद भी हाईवे पर पांच साल पहले शुरू हुआ काम बंद पड़ा है. संबंधित कंपनी द्वारा करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे पुलों को बीच में अधूरा छोड़ दिया गया है. इसके अलावा इसके अंदर यह घोटाला जो SEW कंपनी ने किया था. जिस पर फिलहाल बड़ी सीबीआई की जांच भी हुई है.

राहगीरों और पर्यटकों को करना पड़ रहा परेशानी का सामना
जानकारी के मुताबिक दिल्ली-यमुनोत्री राजमार्ग का विकास नगर को होकर यमुनोत्री धाम को जाता है. SEW कंपनी ने इस पर काम चलाया था, जिन्होंने कुछ पुलिया और कुछ जगहों पर बड़े पुलों का निर्माण शुरू किया था, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते इन पुलों का निर्माण बीच में ही रोक दिया गया. बताया जा रहा है कि पिछले पांच सालों से इन पुलों का निर्माण रुका हुआ है, जिसके चलते स्थानीय लोगों के साथ राहगीरों और पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पुराने पुल कमजोर हो चुके हैं, जो कभी भी बड़े हादसे का रूप ले सकते हैं.

मंडलायुक्त संजय कुमार ने दी जानकारी
मंडलायुक्त संजय कुमार ने बताया कि दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे को पश्चमी उत्तर प्रदेश की लाइफ लाइन कहा जाता है, लेकिन जमीन अधिग्रहण नहीं होने से न सिर्फ यह हाईवे अधर में लटक गया था बल्कि कम मुआवजा मिलने से किसानों के लिए भी मुसीबत बना हुआ है, जबकि सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सही मुआवजा देने की बात कहकर इस हाईवे का नाम बदल कर नेशनल हाईवे 709 बी कर चुके हैं. चौंकाने वाली बात तो ये है कि 2010 में बसपा सरकार ने इस हाईवे के निर्माण का शुभारम्भ किया था, लेकिन तब से लेकर आज तक इस हाईवे का निर्माण पूरा होना तो दूर सरकार किसानों से जमीन भी अधिग्रहण नहीं कर पाई.

सरकार किसानों को न तो नई पॉलिसी के हिसाब से और न ही नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दे रही है, जिसके चलते किसान कम रेट पर अपनी जमीन हाईवे को देने को तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि हाईवे पर करोड़ों की लागत के निर्माण कार्य पूरा होने की बाट जोह रहे हैं. वहीं हाईवे निर्माण करने वाली सबन्धित कंपनी भी हाईवे निर्माण को बीच में छोड़कर चली गई. एनएचआईए अधिकारियों से बात हो चुकी है. शामली और सहारनपुर के जिलाधिकारियों के मीटिंग की जा रही है. जल्द ही सभी औपचारिकतायें पूरी कर हाईवे पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
- संजय कुमार, मंडलायुक्त

Intro:नोट : यह स्टोरी मंडलायुक्त की बाईट के साथ दोबारा फ़ाइल की है।

सहारनपुर : एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार सडको का चौड़ीकरण करने के साथ फोरलेन हाइवे बनाने के दावे कर रही है वहीं दिल्ली से सहारनपुर के रास्ते यमुनोत्री को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग न सिर्फ सरकारी आदेशो की बाट जोह रहे है बल्कि अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अरबो रुपये खर्च किये जाने के बाद भी हाइवे का फोरलेन होना तो दूर नदियों पर बन रहे पुल भी अधूरे पड़े हुए है। जबकि पुराने पुल कमजोर होकर क्षतिग्रस्त हो चुके है जिसके चलते स्थानीय लोगो के साथ राहगीरो को हादसे का डर सताने लगा है। पुल की जर्जर हालत लोगो के लिए मुसीबत बनती जा रही है।


Body:VO1 - आपको बता दें कि दिल्ली यमुनोत्री हाइवे का नाम बदलकर अब दिल्ली सहारनपुर हाईवे कर दिया गया है। इस हाइवे को बाकायदा 709 बी नम्बर दिया गया। जबकि इससे पहले यह हाइवे करीब 220 किलोमीटर यानी दिल्ली से उत्तराखण्ड तक बनाये जाने का प्रस्ताव पास हुआ था। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली सहारनपुर नेशनल हाइवे नाम देकर केवल 123 किलोमीटर कर दिया। इतना ही नही इस हाइवे के भी अलग अलग तीन टुकड़े कर दिए। दिल्ली से बागपत, बागपत से शामली और शामली से सहारनपुर। ऐसे में बाकी दो हिस्सों में तो हाइवे का काम चल रहा है। हालांकि सरकार ने शामली सहारनपुर के बीच हाइवे पर छोटे बड़े पुल जरूर बनवाये है। जो पिछले डेढ़ साल से अधूरे पड़े हैं। इस बाबत ईटीवी ने पड़ताल की तो चोकाने वाले मामले सामने आए हैं। किसानों एवं स्थानीय लोगो ने ईटीवी को बताया कि दिल्ली यमुनोत्री पहले राजमार्ग 57 हुआ करता था और अब यह राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बी कहलाने लगा है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी जो बात यह कि इसे बनाने में सरकारों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नीयत बहुत खराब रही है। 2010 में जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो मात्र कुछ सौ करोड़ में होना तय हुआ था। जिसको 900 करोड़ से उठा कर 1600 सौ करोड़ किया गया और 1600 करोड से 2600 करोड़ किया गया। इतना ही नही 2014 में एक प्रस्ताव कर उसको 3500 करोड़ रुपये कर दिया गया। चोकाने वाली बात ये है इस 3500 करोड़ के प्रोजेक्ट को सरकार ने कम करने के बाद भी हाइवे पर पांच साल पहले शुरू हुआ काम बंद पड़ा है। सबन्धित कंपनी द्वारा करोड़ो की लागत से बनाये जा रहे पुलो को बीच में अधूरा छोड़ दिया गया है। इसके अलावा इसके अंदर यह घोटाला जो SEW कंपनी ने किया था। जिस पर फिलहाल बड़ी सीबीआई की जांच भी हुई है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली यमुनोत्री राजमार्ग का विकास नगर को होकर यमुनोत्री धाम को जाता है। SEW कंपनी ने इस पर काम चलाया था जिन्होंने कुछ पुलिया और कुछ जगहों पर बड़े पुलों का निर्माण शुरू किया था। लेकिन किन्ही कारणों के चलते इन पुलों का निर्माण बीच मे ही रोक दिया गया। बताया जा रहा है पिछले पांच सालों से इन पुलों का निर्माण रुका हुआ है। जिसके चलते स्थानीय लोगो के साथ राहगीरो और पर्यटकों को परेसानी का सामना करना पड़ रहा है। पुराने पुल कमजोर हो चुके है। जो कभी भी बड़े हादसे का रूप ले सकते है।

बाईट - रामस्वरूप ( ग्रामीण )
बाईट - भूपेंद्र राणा ( राहगीर )



Conclusion:FVO - मंडलायुक्त संजय कुमार ने बताया कि दिल्ली-यमनौत्री हाईवे को पश्चमी उत्तर प्रदेश की लाइफ लाइन कहा जाता है लेकिन जमीन अधिग्रहण नही होने से न सिर्फ यह हाइवे अधर में लटक गया था। कम मुआवजा मिलने से किसानों के लिए भी मुसीबत बना हुआ है। जबकि सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सही मुआवजा देने की बात कहकर इस हाइवे का नाम बदल कर नेशनल हाइवे 709 बी कर चुके है। चोकाने वाले बात तो ये है कि 2010 में बसपा सरकार ने इस हाइवे के निर्माण का शुभारम्भ किया था। लेकिन तब से लेकर आज तक इस हाइवे का निर्माण पूरा होना तो दूर सरकार किसानों से जमीन भी अधिग्रहण नही कर पाई। ईटीवी से बातचीत में मंडलायुक्त संजय कुमार ने बताया कि सरकार किसानों को न तो नई पॉलिसी के हिसाब से और ना ही नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दे रही है। जिसके चलते किसान कम रेट पर अपनी जमीन हाइवे को देने को तैयार नही है। यही वजह है कि हाइवे पर करोड़ो की लांगत से बने हाइवे बनने की बाट जोह रहे हैं। वही हाइवे निर्माण करने वाली सबन्धित कंपनी भी हाइवे निर्माण को बीच मे छोड़कर चली गई। जबकि मंडलायुक्त का कहना है कि एनएचआईए अधिकारियों से बात हो चुकी है। शामली और सहारनपुर के जिलाधिकारियों के मीटिंग की जा रही है। जल्द ही सभी औपचारिकतायें पूरी कर हाइवे पर काम शुरू कर दिया जाएगा।


बाईट - संजय कुमार ( मंडलायुक्त )


रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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