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सहानरपुर: जनधन खाताधारक महिलाओं ने बताई हकीकत, लॉकडाउन में कैसे चलाया घर का खर्च

लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार की ओर से गरीब महिलाओं के खातों में प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत 500 रुपये की धनराशि तीन किस्त में भेजी गई. सहारनपुर जिले में इसके तहत कई महिलाओं को यह राशि मिली, लेकिन महिलाएं इस राशि से खुश नहीं हैं, उनका कहना है कि 500 रुपये में क्या होता है. बच्चों के लिए महीने भर का दूध नहीं आता. यही राशि 2-3 हजार के बीच होती तो ठीक रहता.

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Published : Aug 30, 2020, 5:34 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

लाभार्थी महिलाओं से बातचीत.
लाभार्थी महिलाओं से बातचीत.

सहारनपुर: कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में फैक्ट्री कारखाने और उद्योग धंधे बंद पड़े थे, इस दौरान करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए. इसी बाबत पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी कर जनता को राहत देने की कोशिश की.

जनधन खाताधारक महिलाओं के खातों में तीन महीने तक 500 रुपये प्रतिमाह भेजे गए, लेकिन 500 रुपये की राशि केवल ऊंट के मुंह मे जीरे के बराबर रही है. जनधन खाताधारक महिलाओं का कहना है कि 500 रुपये में घर का पूरा खर्च चलाना मुश्किल है, यहां तक कि बच्चों के लिए महीने भर का दूध भी नहीं मिलता. सहारनपुर जिले में बैंक अधिकारी शत प्रतिशत खातों में तीनों किस्त भेजने का दावा कर रहे हैं.

देश के गरीब और पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोगों को बैंकिंग सुविधा मुहैया कराने के लिए पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साल में ही जनधन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत पीएम मोदी का उद्देश्य हर परिवार के लिए एक बैंक खाता खोलने का था. लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में इसी जनधन खाते के जरिए सहायता की गई.

जनधन खाताधारक महिलाओं ने बताई हकीकत.

बता दें कि लॉकडाउन के समय सभी मध्यम वर्गीय परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. वहीं निम्न वर्ग के लोगों की स्थिति बद से बदतर हो गई थी. इस दौरान सरकार की ओर से जनधन खाताधारक महिलाओं के खातों में 500-500 रुपये भेजे गए, ये रुपये तीन किस्तों में दी गई.

सरकार की ओर से जनधन खातों में लाभार्थियों को रुपये भेजे गए या नहीं, इसकी जांच ईटीवी भारत ने की. जांच-पड़ताल में शत प्रतिशत जनधन खातों में 500 रुपये की तीनों किस्त भेजी गई हैं, जबकि बहुत ही कम महिलाएं तकनीकी समस्या के कारण इस योजना से वंचित रह गई थीं. इनमें वही महिलाएं शामिल हैं, जिनके आधार कार्ड, खातों से लिंक नहीं हो पाए या फिर खातों की केवाईसी नहीं हो पाई थी.

जनधन खाताधारक महिलाओं ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए 500 रुपये से महीने भर की राशन तक नहीं आ पाता था. तीन महीनों में आये 1500 रुपये में महीनों का खाना तो दूर एक बच्चे का दूध भी नहीं आता है. इस महंगाई में बेरोजगार हो चुके उनके परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच चुके है. अगर सरकार 2000 या 2500 रुपये भेजती तो शायद उनके परिवार का पालन पोषण सही से हो पाता.

इस बाबत बैंक अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने जिले के शत प्रतिशत सभी खातों में राहत पैकेज भेजने का दावा किया है. एलडीएम बैंक राजेश चौधरी ने बताया कि जिले में कुल 12,76,463 जनधन खाते हैं, जिनमें से 7,02,334 खाते महिलाओं के हैं, जबकि 5,74,129 खाते पुरुषों के नाम पर हैं. कोरोना काल में आई इस योजना के मुताबिक जनपद के सभी 7,02,343 महिलाओं के जनधन खातों में 500-500 रुपये की तीन किस्त समय पर भेज दी गई हैं.

अप्रैल, मई और जून महीने में महिलाओं के जनधन खातों में 1500-1500 रुपये की राशि भेजी गई. हालांकि कुछ महिलाओं की शिकायत थी कि उनके खातों में धनराशि नहीं आई है. महिलाओं की शिकायत पर संज्ञान लिया गया और कमी को दूर करने का प्रयास किया गया. 30 जून तक तीनों किस्तों को जनधन खातों में भेजने का काम पूरा किया जा चुका है.

सहारनपुर: कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में फैक्ट्री कारखाने और उद्योग धंधे बंद पड़े थे, इस दौरान करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए. इसी बाबत पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी कर जनता को राहत देने की कोशिश की.

जनधन खाताधारक महिलाओं के खातों में तीन महीने तक 500 रुपये प्रतिमाह भेजे गए, लेकिन 500 रुपये की राशि केवल ऊंट के मुंह मे जीरे के बराबर रही है. जनधन खाताधारक महिलाओं का कहना है कि 500 रुपये में घर का पूरा खर्च चलाना मुश्किल है, यहां तक कि बच्चों के लिए महीने भर का दूध भी नहीं मिलता. सहारनपुर जिले में बैंक अधिकारी शत प्रतिशत खातों में तीनों किस्त भेजने का दावा कर रहे हैं.

देश के गरीब और पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोगों को बैंकिंग सुविधा मुहैया कराने के लिए पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साल में ही जनधन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत पीएम मोदी का उद्देश्य हर परिवार के लिए एक बैंक खाता खोलने का था. लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में इसी जनधन खाते के जरिए सहायता की गई.

जनधन खाताधारक महिलाओं ने बताई हकीकत.

बता दें कि लॉकडाउन के समय सभी मध्यम वर्गीय परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. वहीं निम्न वर्ग के लोगों की स्थिति बद से बदतर हो गई थी. इस दौरान सरकार की ओर से जनधन खाताधारक महिलाओं के खातों में 500-500 रुपये भेजे गए, ये रुपये तीन किस्तों में दी गई.

सरकार की ओर से जनधन खातों में लाभार्थियों को रुपये भेजे गए या नहीं, इसकी जांच ईटीवी भारत ने की. जांच-पड़ताल में शत प्रतिशत जनधन खातों में 500 रुपये की तीनों किस्त भेजी गई हैं, जबकि बहुत ही कम महिलाएं तकनीकी समस्या के कारण इस योजना से वंचित रह गई थीं. इनमें वही महिलाएं शामिल हैं, जिनके आधार कार्ड, खातों से लिंक नहीं हो पाए या फिर खातों की केवाईसी नहीं हो पाई थी.

जनधन खाताधारक महिलाओं ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए 500 रुपये से महीने भर की राशन तक नहीं आ पाता था. तीन महीनों में आये 1500 रुपये में महीनों का खाना तो दूर एक बच्चे का दूध भी नहीं आता है. इस महंगाई में बेरोजगार हो चुके उनके परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच चुके है. अगर सरकार 2000 या 2500 रुपये भेजती तो शायद उनके परिवार का पालन पोषण सही से हो पाता.

इस बाबत बैंक अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने जिले के शत प्रतिशत सभी खातों में राहत पैकेज भेजने का दावा किया है. एलडीएम बैंक राजेश चौधरी ने बताया कि जिले में कुल 12,76,463 जनधन खाते हैं, जिनमें से 7,02,334 खाते महिलाओं के हैं, जबकि 5,74,129 खाते पुरुषों के नाम पर हैं. कोरोना काल में आई इस योजना के मुताबिक जनपद के सभी 7,02,343 महिलाओं के जनधन खातों में 500-500 रुपये की तीन किस्त समय पर भेज दी गई हैं.

अप्रैल, मई और जून महीने में महिलाओं के जनधन खातों में 1500-1500 रुपये की राशि भेजी गई. हालांकि कुछ महिलाओं की शिकायत थी कि उनके खातों में धनराशि नहीं आई है. महिलाओं की शिकायत पर संज्ञान लिया गया और कमी को दूर करने का प्रयास किया गया. 30 जून तक तीनों किस्तों को जनधन खातों में भेजने का काम पूरा किया जा चुका है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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