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सहारनपुर: लॉकडाउन के चलते फ्रासबीन किसानों को नहीं मिल रहा लागत मूल्य - फ्रासबीन किसान को नहीं मिल रहा फसल का लागत मूल्य

यूपी के सहारनपुर में लॉकडाउन के चलते फ्रासबीन किसान भुखमरी की कगार पर हैं. किसानों को उनकी फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.

सहारनपुर समाचार
लॉकडाउन के चलते परेशान फ्रासबीन किसान.
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Published : Apr 19, 2020, 1:00 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: लॉकडाउन ने सब्जी किसानों की कमर तोड़ दी है. इसका सबसे ज्यादा असर नगर के फ्रासबीन किसानों पर भी पड़ रहा है. यह किसान फ्रासबीन को दिल्ली, चंडीगढ़, लुधियाना, अंबाला आदि शहरों में ले जाकर अच्छे दामों पर बेचते थे. लॉकडाउन के कारण अब किसान बाहर नहीं जा पा रहे हैं.

किसानों को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण किसान भुखमरी की कगार पर खड़े हैं. देवबंद नगर में सैनी सराय और आसपास के गांव में भारी मात्रा में फ्रासबीन की खेती की जाती है. इन किसानों को इन बड़े शहरों में फ्रासबीन का 50 से 60 रुपये प्रति किलो का मूल्य मिल जाता था.

लॉकडाउन की वजह से यह किसान अपनी फसल बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं. मजबूरन इन्हें देवबंद की सब्जी मंडी में फ्रासबीन बेचनी पड़ रही है. यहां किसानों को इसका मूल्य 10 से 12 रुपये प्रति किलो मिल रहा है, जो इनकी लागत मूल्य से भी बहुत कम है.

किसानों ने जो रकम लेकर फ्रासबीन की फसल उगाई थी, उसका लागत भी नहीं मिल रहा है. किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए किसानों के लिए आर्थिक पैकेज की मांग की है, जिससे ये किसान किसी के कर्जदार न हों.

सहारनपुर: लॉकडाउन ने सब्जी किसानों की कमर तोड़ दी है. इसका सबसे ज्यादा असर नगर के फ्रासबीन किसानों पर भी पड़ रहा है. यह किसान फ्रासबीन को दिल्ली, चंडीगढ़, लुधियाना, अंबाला आदि शहरों में ले जाकर अच्छे दामों पर बेचते थे. लॉकडाउन के कारण अब किसान बाहर नहीं जा पा रहे हैं.

किसानों को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण किसान भुखमरी की कगार पर खड़े हैं. देवबंद नगर में सैनी सराय और आसपास के गांव में भारी मात्रा में फ्रासबीन की खेती की जाती है. इन किसानों को इन बड़े शहरों में फ्रासबीन का 50 से 60 रुपये प्रति किलो का मूल्य मिल जाता था.

लॉकडाउन की वजह से यह किसान अपनी फसल बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं. मजबूरन इन्हें देवबंद की सब्जी मंडी में फ्रासबीन बेचनी पड़ रही है. यहां किसानों को इसका मूल्य 10 से 12 रुपये प्रति किलो मिल रहा है, जो इनकी लागत मूल्य से भी बहुत कम है.

किसानों ने जो रकम लेकर फ्रासबीन की फसल उगाई थी, उसका लागत भी नहीं मिल रहा है. किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए किसानों के लिए आर्थिक पैकेज की मांग की है, जिससे ये किसान किसी के कर्जदार न हों.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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