सहारनपुर: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर मुस्लिम नेता 9 बार लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद रह चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद के निधन से सियासी गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई. काजी रशीद मसूद लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने सोमवार की सुबह अस्पताल में अंतिम सांस ली. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने काजी रशीद मसूद के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
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लोकप्रिय वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कई बार के सांसद रहे श्री रशीद मसूद जी के इंतक़ाल पर भावभीनी श्रद्धांजली! pic.twitter.com/ZPT1cGaTCz
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कुछ दिन पहले ही कोरोना से उबरे थे
पूर्व मंत्री के निधन की खबर से समर्थकों और शुभचिंतकों में गम का माहौल बना हुआ है. कांग्रेस, सपा और बसपा, भाजपा समेत सभी दलों के नेताओं का उनके आवास पर तांता लगा हुआ है. उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें होम क्वारेंटाइन किया गया था, लेकिन तबियत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया. रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें घर लाया गया लेकिन उनकी तबियत फिर बिगड़ने लगी तो उन्हें रुड़की के एक अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन लंबी बिमारी की वजह से उनका निधन हो गया. काजी रशीद मसूद सपा के मुलायम सिंह और कांग्रेस की सोनिया गांधी के नजदीकियों में जाने जाते थे. सोमवार शाम उन्हें उनके पैतृक कस्बे गंगोह के कब्रिस्तान में दफन किया जाएगा.
77 साल के थे काजी रशीद मसूद
पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद किडनी और दिल की बीमारी से पीड़ित चल रहे थे. इसी बीच 30 अगस्त को उन्हें कोरोना ने अपनी चपेट में लिया था. इसके बाद परिजनों ने उनको दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. करीब डेढ़ माह के इलाज के बाद काजी साहब की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई, तो उन्हें घर पर लाया गया, जहां करीब 4 दिन पहले उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई और आनन-फानन में रुड़की के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां सोमवार की सुबह इलाज के दौरान उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. काजी रशीद मसूद साहब 77 वर्ष के हो चुके थे.
इमरजेंसी के बाद जीता था पहला चुनाव
काजी रशीद मसूद ने साल 1977 में सहारनपुर से ही अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. इस दौरान काज़ी रशीद मसूद पांच बार लोकसभा चुनाव जीतकर लोकसभा सांसद चुने गए, जबकि चार बार राज्यसभा सांसद बने. वे कांग्रेस सरकार में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने काजी रशीद मसूद को 2012 यूपी विधानसभा चुनाव के बाद राज्यसभा सांसद बनाया और केंद्रीय मंत्री का दर्जा देकर एपीडा का चेयरमैन बनाया था. अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव इमरजेंसी के तुरंत बाद 1977 में लड़ा था. वे जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव में ही जीत कर संसद पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने जनता पार्टी (सेक्यूलर) जॉइन कर ली थी. 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने जनता दल से ताल ठोकी और ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सांसद बने.
एमबीबीएस भर्ती घोटाले में उन्हें पाया गया था दोषी
वर्ष 1990-91 में काजी साहब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी रहे. इस दौरान उनके ऊपर एमबीबीएस सीट घोटाले का भी आरोप लगा था. इसके बाद पश्चमी उत्तर प्रदेश में काजी रशीद मसूद एक दिग्गज मुस्लिम नेता की हैशियत से जाने जाने लगे. साल 1994 में काजी साहब मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. हालांकि 1996 में उन्होंने इंडियन एकता पार्टी की स्थापना की, लेकिन किन्हीं कारणों से चल नहीं पाई. इसके चलते उन्होंने साल 2003 में वापस सपा का दामन थाम लिया. 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सपा के टिकट पर दावेदारी ठोकी और फिर से सांसद चुने गए. वे 2012 यूपी में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले फिर से कांग्रेस में शामिल हो गये. तत्कालीन मनमोहन सरकार ने उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया था. इस दौरान एमबीबीएस भर्ती घोटाले में उन्हें दोषी पाया गया और सज़ा होने पर जेल जाना पड़ा था. इतना ही नहीं, उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा भी देना पड़ा था.