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सहारनपुर: वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों ने मनाई दिवाली, बच्चों को किया याद - वृध्दाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों ने बच्चों को किया याद

सहारनपुर के 'आखरी पड़ाव मानव मंदिर' वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों ने दीपावाली मनाई. इस अवसर पर बुजुर्गों ने अपने बच्चों को याद किया.

वृद्धाश्रम में मनाई गई दिवाली.
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Published : Oct 27, 2019, 10:54 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: एक ओर लोग दीपों के पर्व दीपावली मनाने के लिए छुट्टियां लेकर अपने परिवार के बीच पहुंच रहे हैं. वहीं कुछ माता-पिता ऐसे भी हैं, जो वृद्धाश्रम में दिवाली मनाने को मजबूर हैं. सहारनपुर के वृद्धाश्रम में 14 बुजुर्ग महिलाएं और 45 पुरुष दीपावली के मौके पर न सिर्फ अपने बेटों को याद कर रहे हैं, बल्कि उनके लिए खुशहाली एवं समृद्धि की कामना कर रहे हैं. जिंदगी 'आखरी पड़ाव मानव मंदिर' (वृध्दाश्रम) में जीवन काट रहे ये माता-पिता अब आश्रम में रह रहे वृद्धों को ही अपना परिवार मान चुके हैं.

वृद्धाश्रम में मनाई गई दिवाली.

बच्चों से परेशान बुजुर्ग वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर
बता दें कि सहारनपुर के वृद्धाश्रम में देश भर के कई राज्यों से वृद्ध महिलाएं और पुरुष आकर रह रहे हैं. शहर के सम्पन्न परिवार आश्रम में ही इनके खाने-पीने की सभी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं. आश्रम में कुल 14 महिलाएं और 45 पुरुष हैं. ये बुजुर्ग आश्रम में अपनी मर्जी से नहीं बल्कि अपनों से परेशान होकर आए हैं.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या में दीपोत्सव बनाएगा विश्व रिकॉर्ड

त्योहार पर भी नहीं लेते मां-बाप की सुध
खास बात तो ये है कि इनके बच्चे इन्हें साल में एक बार आने वाले पावन पर्व दीपावली पर भी लेने नहीं आते, जिसके चलते ये बुजुर्ग वृद्धाश्रम में ही दीपावली मनाने को मजबूर हैं.

परिजनों पर उठाते थे हाथ
ईटीवी भारत ने आश्रम में पहुंचकर इन बुजुर्गों से बात की. उनका कहना है कि हमारे बहु-बेटे न तो हमें समय से खाना देते थे और न ही देखभाल करते थे. इतना ही नहीं कभी-कभी इन पर हाथ भी उठा देते थे.

वृद्धाश्रम को ही बना लिया अपना सहारा
इसके चलते हमने वृद्धाश्रम को ही अपना सहारा बना लिया है. आश्रम में रहने वाले बुजुर्ग न सिर्फ एक-दूसरे का सुख-दुख साझा करते हैं, बल्कि एक साथ मिलकर त्योहार पर पूजा-पाठ भी करते हैं.

बच्चों के देते हैं दुआएं
वो कहते हैं कि औलाद चाहे कैसी भी हो, लेकिन मां-बाप की ममता कभी कम नहीं होती. भले ही ये बुजुर्ग अपनी औलाद से कितने दूर हों, लेकिन आज भी अपनी औलाद के लिए दुआएं करते हैं. आश्रम में रहने वाले रकम सिंह का कहना है कि उनकी औलाद ऐसी नहीं है कि उन्हें याद किया जा सके. वे शराब पीकर उनके साथ मारपीट करते हैं. इतना ही नहीं कई बार तो घर से भी निकाल देते थे. यही वजह है कि वे यहां आकर अपनी जिंदगी काट रहे हैं.

सहारनपुर: एक ओर लोग दीपों के पर्व दीपावली मनाने के लिए छुट्टियां लेकर अपने परिवार के बीच पहुंच रहे हैं. वहीं कुछ माता-पिता ऐसे भी हैं, जो वृद्धाश्रम में दिवाली मनाने को मजबूर हैं. सहारनपुर के वृद्धाश्रम में 14 बुजुर्ग महिलाएं और 45 पुरुष दीपावली के मौके पर न सिर्फ अपने बेटों को याद कर रहे हैं, बल्कि उनके लिए खुशहाली एवं समृद्धि की कामना कर रहे हैं. जिंदगी 'आखरी पड़ाव मानव मंदिर' (वृध्दाश्रम) में जीवन काट रहे ये माता-पिता अब आश्रम में रह रहे वृद्धों को ही अपना परिवार मान चुके हैं.

वृद्धाश्रम में मनाई गई दिवाली.

बच्चों से परेशान बुजुर्ग वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर
बता दें कि सहारनपुर के वृद्धाश्रम में देश भर के कई राज्यों से वृद्ध महिलाएं और पुरुष आकर रह रहे हैं. शहर के सम्पन्न परिवार आश्रम में ही इनके खाने-पीने की सभी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं. आश्रम में कुल 14 महिलाएं और 45 पुरुष हैं. ये बुजुर्ग आश्रम में अपनी मर्जी से नहीं बल्कि अपनों से परेशान होकर आए हैं.

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त्योहार पर भी नहीं लेते मां-बाप की सुध
खास बात तो ये है कि इनके बच्चे इन्हें साल में एक बार आने वाले पावन पर्व दीपावली पर भी लेने नहीं आते, जिसके चलते ये बुजुर्ग वृद्धाश्रम में ही दीपावली मनाने को मजबूर हैं.

परिजनों पर उठाते थे हाथ
ईटीवी भारत ने आश्रम में पहुंचकर इन बुजुर्गों से बात की. उनका कहना है कि हमारे बहु-बेटे न तो हमें समय से खाना देते थे और न ही देखभाल करते थे. इतना ही नहीं कभी-कभी इन पर हाथ भी उठा देते थे.

वृद्धाश्रम को ही बना लिया अपना सहारा
इसके चलते हमने वृद्धाश्रम को ही अपना सहारा बना लिया है. आश्रम में रहने वाले बुजुर्ग न सिर्फ एक-दूसरे का सुख-दुख साझा करते हैं, बल्कि एक साथ मिलकर त्योहार पर पूजा-पाठ भी करते हैं.

बच्चों के देते हैं दुआएं
वो कहते हैं कि औलाद चाहे कैसी भी हो, लेकिन मां-बाप की ममता कभी कम नहीं होती. भले ही ये बुजुर्ग अपनी औलाद से कितने दूर हों, लेकिन आज भी अपनी औलाद के लिए दुआएं करते हैं. आश्रम में रहने वाले रकम सिंह का कहना है कि उनकी औलाद ऐसी नहीं है कि उन्हें याद किया जा सके. वे शराब पीकर उनके साथ मारपीट करते हैं. इतना ही नहीं कई बार तो घर से भी निकाल देते थे. यही वजह है कि वे यहां आकर अपनी जिंदगी काट रहे हैं.

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां दीपों के पर्व दीपावली मनाने के लिए लोग छुट्टियां लेकर अपने परिवार के बीच पहुंच रहे है। वहीं कुछ माता पिता ऐसे भी है जो अपने बहु बेटों से तंग आकर वृद्धाश्रम में दिवाली मनाने को मजबूर है। सहारनपुर के वृध्दाश्रम में 14 बुजुर्ग महिलाएं और 45 पुरुष दीपावली के मौके पर न सिर्फ अपने बेटों को याद कर रहे है बल्कि उनके के लिए खुशहाली एवं समृध्दि की कामना कर रहे हैं। जिंदगी आखरी पड़ाव मानव मंदिर ( वृध्दाश्रम ) में काट रहे ये माता पिता आश्रम में रह रहे वृद्धों को ही अपना परिवार मान चुके है।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि सहारनपुर के वृद्धा आश्रम में देश भर के कई राज्यो से वृध्द महिलाये और पुरुष आकर रह रहे है। जहां शहर के सम्पन्न परिवार आश्रम में ही इनके खाने पीने की सभी सुविधाएं मुहैया करा रहे है। आश्रम में कुल 14 महिलाएं और 45 पुरुष अपना जीवन काट रहे है। ये बुजुर्ग आश्रम में अपनी मर्जी से नही बल्कि बेटों और बहुओं की करतूतों की वजह से आये हुए है। खास बात तो ये है कि इनके बहु बेटे इन्हें साल में एक बार आने वाले पावन पर्व दीपावली पर भी लेने नही आते। जिसके चलते बेबश बुजुर्ग वृध्दाश्रम में ही दीपावली जागरूक लोगो के साथ दीपावली मना रहे है।

बहु बेटों से परेशान ये बुजुर्ग सालों से घर बार सब कुछ छोड़कर आश्रम को ही अपना घर परिवार मान चुके है। ईटीवी ने आश्रम में पहुंच कर बेबश बुजुर्गों ने अपना दुख साझा करते हुए बताया कि इनके बहु बेटे इन्हें परेशान करते रहते है। इन्हें समय पर न तो खाना दिया जाता है और ना ही उनकी देखभाल की जाती है।इतना ही नही इनकी बहुएं इनके साथ मारपीट तक कर देती है। जिसके चलते इन्होंने वृध्दाश्रम को ही अपना सहारा बनाया हुआ है। सभी एक साथ मिलकर न सिर्फ एक दूसरे का सुख दुख साझा करते है बल्कि एक साथ मिलकर त्यौहार पर पूजा पाठ कर लेते है।

ईटीवी से बातचीत में इन्होंने बताया कि दीपावली के पर्व पर इन्हें अपने बच्चो की याद तो आती है लेकिन उनके पास जाने का मन नही करता है। क्योंकि घर पहुंचे ही बहुये और बेटे उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर देते है। दीपावली के पावन पर्व पर आश्रम में रह कर ही पूजा पाठ कर अपने बच्चों की सुख समृद्धि के लिए कामना करते है। औलाद चाहे कैसी भी हो लेकिन मां बाप की ममता कभी कम नही होती। भले ही ये बुजुर्ग अपनी औलाद से कितने दूर हो लेकिन ये आज भी अपनी औलाद के लिए दुआएं करते है।

आश्रम में रह रहे रकम सिंह का तो कहना है कि उनकी औलाद ऐसी नही की उन्हें याद किया जा सके। वे शराब पीकर उनके साथ मारपीट करते है। इतना ही नही कई बार तो घर से भी निकाल देते थे। यही वजह है कि वे यहां आकर एप्ने आगे का जीवन काट रहे है।
दीपावली पर्व पर ईटीवी भी सभी युवाओं एवं बेटों से अपील करता है कि जिस मां बाप ने हमे जन्म दिया, पालन पोषण कर कामयाब बनाया। ताकि आप उसके बुढापे की लाठी बन सको। आपको अपने देव तुल्य माता पिता की सेवा करनी चाहिए। मां बाप के सेवा ही भगवान की सेवा के बराबर है।

बाईट - रकम सिंह ( बुजुर्ग )
बाईट - सुदेश बंसल ( बुजुर्ग )
बाईट - सुषमा देवी ( बुजुर्ग महिला )
बाईट - शिवचरण ( बुजुर्ग )




Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759941553
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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