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सहारनपुर: देवबंदी उलेमाओं ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का किया समर्थन

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में देवबंदी उलेमाओं ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का किया समर्थन किया है. उलेमाओं का कहना है कि हम सब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं, जो भी फैसला अदालत से आएगा वह सभी को मान्य होगा.

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Published : Oct 16, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

देवबंदी उलेमाओं ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का किया समर्थन.

सहारनपुर: एक ओर जहां राम मंदिर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वहीं मंदिर-मस्जिद मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना रुख साफ कर दिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का देवबंदी उलेमाओ ने भी सर्मथन किया है. उलेमाओं का कहना है कि हम सब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं.

जानकारी देते देवबंदी उलेमा.

देवबंदी उलेमाओं ने किया समर्थन
आपको बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना रुख साफ करते हुए जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात कही है. वहीं बाबरी मस्जिद की जमीन छोड़ने से इनकार किया है. पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मस्जिद की जमीन मस्जिद की जमीन है. इस जमीन को न तो किसी और को दिया जाएगा और न ही इसके बदले कोई और जमीन ली जा सकेगी. देवबंदी उलेमाओं ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह फैसला सही है.

बाबरी मस्जिद का मसला अदालत में है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड इस मामले को देख रहा है. उसका पहले दिन से कहना है कि शरीयत यह कहती है कि मस्जिद की जमीन अल्लाह की मिल्कियत होती है. इसलिए किसी शख्स, किसी तंजीम, किसी जमात और किसी सरकार को यह इख्तियार नहीं है कि वह जमीन मस्जिद के अलावा किसी और काम के लिए किसी को दे सके.
-मुफ्ती अरशद फारुकी, देवबंदी उलेमा

सहारनपुर: एक ओर जहां राम मंदिर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वहीं मंदिर-मस्जिद मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना रुख साफ कर दिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का देवबंदी उलेमाओ ने भी सर्मथन किया है. उलेमाओं का कहना है कि हम सब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं.

जानकारी देते देवबंदी उलेमा.

देवबंदी उलेमाओं ने किया समर्थन
आपको बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना रुख साफ करते हुए जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात कही है. वहीं बाबरी मस्जिद की जमीन छोड़ने से इनकार किया है. पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मस्जिद की जमीन मस्जिद की जमीन है. इस जमीन को न तो किसी और को दिया जाएगा और न ही इसके बदले कोई और जमीन ली जा सकेगी. देवबंदी उलेमाओं ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह फैसला सही है.

बाबरी मस्जिद का मसला अदालत में है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड इस मामले को देख रहा है. उसका पहले दिन से कहना है कि शरीयत यह कहती है कि मस्जिद की जमीन अल्लाह की मिल्कियत होती है. इसलिए किसी शख्स, किसी तंजीम, किसी जमात और किसी सरकार को यह इख्तियार नहीं है कि वह जमीन मस्जिद के अलावा किसी और काम के लिए किसी को दे सके.
-मुफ्ती अरशद फारुकी, देवबंदी उलेमा

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां राम मंदिर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबी नॉन स्टॉप सुनवाई चल रही है वहीं मंदिर मस्जिद मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना रुख साफ कर दिया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले का देवबंदी उलेमाओ ने भी सर्मथन किया है। उलेमाओं का कहना है कि हम सब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है। जो भी फैसला अदालत से आएगा वह सभी को मान्य होगा।Body:VO 1 - आपको बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना रुख साफ करते हुए जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात कही है वहीं बाबरी मस्जिद की जमीन छोड़ने से इनकार किया है। पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मस्जिद की जमीन मस्जिद की जमीन है इस जमीन को न तो किसी ओर को दिया जाएगा और ना ही इसके बदले कोई और जमीन ली जा सकेगी। देवबंदी उलेमाओ ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह फैसला सही है। हम यह पहले भी कह चुके है और देश भर के तमाम हिंदू-मुस्लिम , सिख-ईसाई यह बात कह चुके हैं कि देश में बाबरी मस्जिद एवं राम मंदिर का मुद्दा उच्च न्यायालय में चल रहा है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा वह फैसला सभी को मंजूर होगा। सुप्रीम कोर्ट को पूरा पूरा अख्तियार है वह जो भी फैसला देंगे वह देश और तमाम देशवासी और तमाम मजहब के मानने वाले उसको मानेंगे उसको तस्लीम करेंगे वह सबके सर माथे होगा।

बाइट - मौलाना कारी मुस्तफा देहलवी ( देवबंदी उलेमा )

Conclusion:FVO - वही मुफ़्ती अरशद फारूकी का कहना है कि बाबरी मस्जिद का मसला अदालत में मौजूद है। मुसलमानों की तरफ से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड वाहिद नुमाइंदा तंजीम है। जो इस मामले को देख रहा है उसका पहले दिन से कहना है कि शरीयत यह कहती है मस्जिद की जमीन अल्लाह की मिल्कियत होती है। इसलिए किसी शख्स, किसी तंजीम, और किसी जमात, किसी सरकार को यह इख्तियार नहीं है कि वह जमीन मस्जिद के अलावा किसी और काम के लिए किसी को दे सके। इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का फैसला पहले दिन से यही रहा है। अब अदालत जो फैसला करेगी उसे ही मंजूर किया जाएगा। कुछ तंजीमो की तरफ से बार-बार यह आवाजें उठाई जा रही हैं। वह तंजीमें उनका कोई नाम नहीं है वह अपने तो ऐसी बातें करती है उनका कोई ऐतबार नहीं है।

बाइट - मुफ्ती अरशद फारुकी ( देवबंदी उलेमा )


रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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