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5 एकड़ जमीन को लेकर बोले उलेमा, जहां मुस्लिम पक्ष चाहेगा वहां जमीन दी जाए

अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. देवबंदी उलेमाओं का कहना है कि मस्जिद के लिए आंवटित की गई पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के हिसाब से दी जानी चाहिए.

5 एकड़ जमीन को लेकर देवबंदी उलेमाओं की मांग.
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Published : Nov 13, 2019, 10:17 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहरानपुर: अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी धर्मगुरुओं ने इसका स्वागत किया है. वहीं देवबंदी उलेमाओं ने पांच एकड़ जमीन पर न सिर्फ सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि मनमाफिक जमीन देने की मांग की है. उलेमाओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला सर्वमान्य है, लेकिन पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के हिसाब से दी जानी चाहिए.

5 एकड़ जमीन को लेकर देवबंदी उलेमा की मांग.

उलेमाओं ने की अपने पसंद के भूमि की मांग
दारूल उलूम देवबंद के उलेमा कारी इश्हाक गोरा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सभी मुस्लिम एहतराम करते हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य भी है. कोर्ट ने पांच एकड़ जो भूमि देने का आदेश दिया है, वह भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड के पसंद की होगी. ऐसा नहीं होगा कि सरकार कहीं भी भूमि देगी और वह स्वीकार कर ली जाएगी. भूमि मुस्लिम धर्मगुरु अपनी पसंद की होने पर ही स्वीकार करेंगे.

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दिए जाने को लेकर उलेमा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 1991 में विवादित स्थल समेत जो 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी, उसी में से मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाए. जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक और लाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि अगर कोर्ट के आदेश को मानते हुए सरकार हमें जमीन देना चाहती है तो 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन में से ही पांच एकड़ जमीन दें. यदि 14 कोस से बाहर जमीन दी गई तो वह कभी स्वीकार नहीं होगी.

सहरानपुर: अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी धर्मगुरुओं ने इसका स्वागत किया है. वहीं देवबंदी उलेमाओं ने पांच एकड़ जमीन पर न सिर्फ सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि मनमाफिक जमीन देने की मांग की है. उलेमाओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला सर्वमान्य है, लेकिन पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के हिसाब से दी जानी चाहिए.

5 एकड़ जमीन को लेकर देवबंदी उलेमा की मांग.

उलेमाओं ने की अपने पसंद के भूमि की मांग
दारूल उलूम देवबंद के उलेमा कारी इश्हाक गोरा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सभी मुस्लिम एहतराम करते हैं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य भी है. कोर्ट ने पांच एकड़ जो भूमि देने का आदेश दिया है, वह भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड के पसंद की होगी. ऐसा नहीं होगा कि सरकार कहीं भी भूमि देगी और वह स्वीकार कर ली जाएगी. भूमि मुस्लिम धर्मगुरु अपनी पसंद की होने पर ही स्वीकार करेंगे.

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दिए जाने को लेकर उलेमा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 1991 में विवादित स्थल समेत जो 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी, उसी में से मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाए. जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक और लाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि अगर कोर्ट के आदेश को मानते हुए सरकार हमें जमीन देना चाहती है तो 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन में से ही पांच एकड़ जमीन दें. यदि 14 कोस से बाहर जमीन दी गई तो वह कभी स्वीकार नहीं होगी.

Intro:सहारनपुर : अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इस फैसले का जहां सभी धर्मों के लोग स्वागत कर रहे है वहीं देवबंदी उलेमाओं ने 5 एकड़ जमीन पर न सिर्फ सवाल खड़े कर दिए है बल्कि मन माफिक जमीन देने की मांग की है। उलेमाओं का कहना है कि उनके सुप्रीम कोर्ट के फैसला सर्वमान्य है लेकिन 5 जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के हिसाब से दी जानी चाहिए।Body:VO 1 - दारूल उलूम देवबंद के उलेमा कारी इश्हाक गोरा का कहना है सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सभी मुस्लिम एहतराम करते है और उन्हे सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य भी है। कोर्ट ने पांच एकड जो भूमि देने का आदेश दिया है वह भूमि मुस्लिम पसन्द भूमि होगी। ऐसा नही होगा कि सरकार कहीं भबउन्हे भूमि देगी और वह स्वीकार कर लेगे, भूमि मुस्लिम अपनी पसंद की होने पर ही स्वीकार करेगा। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दिए जाने को लेकर उलेमा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 1991 में विवादित स्थल समेत जो 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी, उसी में से मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाए। जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व लाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि अगर कोर्ट के आदेश को मानते हुए सरकार हमें जमीन देना चाहती है तो 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन में से ही देनी चाहिए। यदि 14 कोस से बाहर जमीन दी गई तो वह कभी स्वीकार नहीं होगी।

बाइट - कारी इश्हाक गोरा ( देवबन्दी उलेमा )Conclusion:रोशन लाल सैनी
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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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