सहारनपुर : राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास होने पर जहां मुस्लिम महिलाओं में जश्न का माहौल है, वहीं फतवों की नगरी एवं इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने इस बिल की मुखालफत की है. दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस बिल को न सिर्फ मजहबी आजादी के खिलाफ बताया है, बल्कि बिल पर पुनर्विचार के लिए संसद में वापस भेजने की मांग की है. लिखित बयान जारी कर मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि तीन तलाक बिल शरीयत में खुली दखलंदाजी है इसलिए इस कानून को किसी भी सूरत में कबूल नहीं किया जाएगा.
- 30 जुलाई को संसद के उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम यानी तीन तलाक बिल पास कर दिया गया.
- कानून की शक्ल देने के लिए राष्ट्रपति ने इस बिल पर हस्ताक्षर कर कर दिए हैं.
- 19 सितबंर 2018 से यह कानून प्रभावी माना जाएगा.
- इस बिल को आधी मुस्लिम आबादी को सालों पुरानी कुप्रथा से छुटकारा मिलने के रूप में देखा जा रहा है.
- ट्रिपल तलाक बिल पास किये जाने के बाद सियासी माहौल गरमाया हुआ है.
- इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम भी इस बिल के विरोध में उतर आया है.
राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बिल को नामंजूर करने की मांग
- दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने बिल के विरोध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है.
- उन्होंने राष्ट्रपति से बिल पर हस्ताक्षर न करने की अपील की है.
- मुफ्ती कासिम नोमानी ने मांग की है कि बिल को पुनर्विचार के लिए वापस संसद में भेजा जाए.
- मोहतमिम नोमानी ने पत्र के माध्यम से कहा कि ट्रिपल तलाक बिल खुले तौर पर शरीयत में दखलंदाजी है.
- महज वोटों की बुनियाद पर यह बिल मंजूर किया गया है, जो जाहिर तौर पर गैर जरूरी है.
- पत्र में लिखा गया है कि यह बिल उन मुस्लिम महिलाओं के हक के खिलाफ है जो इस बिल का विरोध करती रही हैं.
- सरकार की ओर से पेश किया गया ट्रिपल तलाक बिल कानून, लोकतांत्रिक व्यवस्था और भारतीय संविधान में दी गई मजहबी आजादी के खिलाफ है.