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सहारनपुर: फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान पर दारुल उलूम देवबन्द खफा

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में दारुल उलूम देवबंद के मीडिया प्रभारी ने फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान नाराजगी जताई है. उन्होंने बताया कि दारुल उलूम देवबंद में मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने पत्र जारी कर भारत सरकार से विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इसका विरोध करने की अपील की है.

प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी
प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी
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Published : Oct 29, 2020, 10:28 AM IST

सहारनपुर: विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने फ्रांस में नबी-ए-अकरम मोहम्मद साहब की शान में गुस्ताखी किए जाने और फ्रांसीसी राष्ट्रपति द्वारा आरोपी का समर्थन किए जाने पर एतराज जताया है. उन्होंने आरोपी के खिलाफ कार्यवाई की मांग की है. प्रेस नोट जारी कर उन्होंने कहा कि यह आजादी-ए-राय नहीं है, बल्कि इस्लाम से दुश्मनी की निशानी है. इसलिए ओआईसी को इस सम्बंध में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.

प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने दी जानकारी.

दारुल उलूम देवबंद के प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने बताया कि मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम ने लिखित बयान जारी कर कहा है कि आलम-ए-इस्लाम के रहनुमाओं और मुस्लिम हुकमरानों की यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसी नाकाबिले बरदाश्त गुस्ताखी के खिलाफ एकजुट होकर ठोस रणनीति बनाएं. अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मसले को उठाएं. अरब लीग, ओआईसी और अन्य मुस्लिम देशों को चाहिए कि वह फ्रांस सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करें और राजनयिक व व्यापारिक स्तर पर अपना मजबूत विरोध दर्ज कराएं.

उन्होंने कहा कि नामूसे रिसालत की हिफाजत तमाम मुसलमानों का मजहबी फरीजा है और मुस्लिम देश व उनके बादशाह इसके लिए खास तौर पर अल्लाह की बारगाह में जवाबदेह होंगे. मुफ्ती अबुल कासिम ने कहा कि हमारा हिंदुस्तान विभिन्नता में एकता कि मिसाल है और मजहबी रहनुमाओं का एहतेराम यहां की सभ्यता है. इसलिए भारत सरकार को भी चाहिए कि वह इस मसले में यहां रहने वाले करोड़ों मुसलमानों के जजबात का ख्याल रखते हुए अपनी आवाज बुलंद करें और यूएन में धार्मिक भावनाएं आहत करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनवाने की मजबूत कोशिश करें.

सहारनपुर: विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने फ्रांस में नबी-ए-अकरम मोहम्मद साहब की शान में गुस्ताखी किए जाने और फ्रांसीसी राष्ट्रपति द्वारा आरोपी का समर्थन किए जाने पर एतराज जताया है. उन्होंने आरोपी के खिलाफ कार्यवाई की मांग की है. प्रेस नोट जारी कर उन्होंने कहा कि यह आजादी-ए-राय नहीं है, बल्कि इस्लाम से दुश्मनी की निशानी है. इसलिए ओआईसी को इस सम्बंध में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.

प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने दी जानकारी.

दारुल उलूम देवबंद के प्रेस प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने बताया कि मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम ने लिखित बयान जारी कर कहा है कि आलम-ए-इस्लाम के रहनुमाओं और मुस्लिम हुकमरानों की यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसी नाकाबिले बरदाश्त गुस्ताखी के खिलाफ एकजुट होकर ठोस रणनीति बनाएं. अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मसले को उठाएं. अरब लीग, ओआईसी और अन्य मुस्लिम देशों को चाहिए कि वह फ्रांस सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करें और राजनयिक व व्यापारिक स्तर पर अपना मजबूत विरोध दर्ज कराएं.

उन्होंने कहा कि नामूसे रिसालत की हिफाजत तमाम मुसलमानों का मजहबी फरीजा है और मुस्लिम देश व उनके बादशाह इसके लिए खास तौर पर अल्लाह की बारगाह में जवाबदेह होंगे. मुफ्ती अबुल कासिम ने कहा कि हमारा हिंदुस्तान विभिन्नता में एकता कि मिसाल है और मजहबी रहनुमाओं का एहतेराम यहां की सभ्यता है. इसलिए भारत सरकार को भी चाहिए कि वह इस मसले में यहां रहने वाले करोड़ों मुसलमानों के जजबात का ख्याल रखते हुए अपनी आवाज बुलंद करें और यूएन में धार्मिक भावनाएं आहत करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनवाने की मजबूत कोशिश करें.

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