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निजी स्कूलों की फीस और अध्यापकों की तनख्वाह अदा करे सरकार: बसपा सांसद

कोरोना की मार की चपेट में देश की लगभग हर एक गृहस्थी आ गई है. इससे अभिभावकों का निजी विद्यालयों की फीस देना मुश्किल हो गई है. ऐसे में सहारनपुर के बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में केंद्र सरकार से निजी स्कूलों के बच्चों की फीस व अध्यापकों की तनख्वाह अदा करने की मांग की है.

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बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
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Published : Aug 29, 2020, 4:45 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: कोरोना वायरस के खौफ के चलते 22 मार्च से देश भर के सभी स्कूल कॉलेज बंद चल रहे हैं. फीस वसूली के लिए निजी स्कूल न सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस चला रहे हैं, वहीं अभिभावकों पर फीस जमा कराने का दबाव बना रहे हैं. सहारनपुर के बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान स्कूली छात्रों के अभिभावक होने का दावा करते हुए इसके विरोध में उतर आए हैं. उन्होंने 'नो स्कूल, नो फीस' धरने का समर्थन किया. स्थानीय सांसद ने कोरोना वायरस पर कंट्रोल नहीं कर पाने के कारण केंद्र सरकार को नाकाम बताया है. उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की फीस और अध्यापकों के वेतन के लिए एक लाख करोड़ पैकेज की मांग की है. ये परिवार कोरोना काल में अपने बच्चों को खाना नहीं खिला पा रहे हैं, वे स्कूल की फीस कहां से जमा करा पाएंगे.

बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
स्थानीय बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में सबसे पहले अभिभावकों की आवाज उठाने के लिए ईटीवी भारत का धन्यावाद किया. उन्होंने बताया कि जिस तरह पूरी दुनिया में कोरोना महामारी चल रही है. इसका असर हमारे हिंदुस्तान में भी है. हिंदुस्तान में कोरोना का असर इस कदर है कि देश की जीडीपी आठ प्रतिशत से घटकर इस वक्त दो प्रतिशत रह गई है. देश की जीडीपी का घटने से कारोबार पूरी तरह खत्म हो चुके हैं. बड़े कारखानों से लेकर छोटे दुकानदारों तक सबका कारोबार खत्म हो गया है. इसके चलते लोगों एवं अभिभावकों के खर्चे पूरे नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में अभिभावक बच्चों की फीस कहां से जमा कर पाएंगे.

एक लाख करोड़ का फीस माफी पैकेज जारी करे सरकार

सांसद की मांग है कि सरकार इस तरफ ध्यान दे और सरकार आगे आकर निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की फीस जमा करा दे. इससे सभी स्कूल बेफिक्र हो जाएं और अभिभावकों पर जबरन फीस जमा कराने का दबाव न बनायें. उन्होंने कहा कि जब सरकार 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे सकती है, तो पैसे कहां गये. अगर 20 लाख करोड़ खत्म हो गया तो, उसके बाद एक लाख करोड़ स्कूलों की फीस के लिए भी जारी करना चाहिए. आम जनता को इससे मदद होगी. जब सरकार कोरोना काल में देश की जनता और गरीब लोगों को खाना खिला सकती है, तो इनके बच्चों की फीस भी जमा करा सकती है.

ऑनलाइन शिक्षा गरीब बच्चों की पहुंच से बाहर

ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत गरीब छात्रों के लिए 25 प्रतिशत कोटा दिया जाता है. वहीं कोरोना की वजह से 25 परसेंट को भूल कर 100 प्रतिशत इस पोजीशन में आ गए हैं. आने वाले लोकसभा सत्र में फीस माफी के मुद्दे को उठाने का काम करेंगे. ऑनलाइन शिक्षा के सवाल पर उन्होंने बताया कि ये सबसे बड़ा ड्रॉ बैक है. बहुत से हाई-फाई स्कूलों में तो ऑनलाइन क्लासेस का फंडा चल सकता है, क्योंकि उन स्कूलों में बड़े घर के बच्चे पढ़ते हैं. उनकी फैमिली का कल्चर ऐसा है, कि वे बच्चे ऑनलाइन शिक्षा को बेहतर तरीके से कर सकते हैं. वहीं आम लोगों के पास यह सब सुविधा नहीं है और न ही परिवार का ऐसा माहौल है, जहां बच्चे स्कूलों से ऑनलाइन एजुकेशन हासिल कर सकें.

सरकार कोरोना के रोकथाम में नाकाम

बसपा सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि बच्चों को फीस के साथ निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों का वेतन भी अदा करना चाहिए. सांसद फजलुर्रहमान ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना वायरस को रोकने में सरकार नाकाम रही है. नए सिरे से कोरोना संक्रमण को रोकने की योजना बनानी चाहिए. शुरुआती दिनों में सरकार ने धूम धड़ाके के साथ लॉकडाउन लागू किया था, लेकिन 2 महीने तो दूर, पांच महीनों में भी संक्रमण पर अकुंश नहीं लगा पाई.

सहारनपुर: कोरोना वायरस के खौफ के चलते 22 मार्च से देश भर के सभी स्कूल कॉलेज बंद चल रहे हैं. फीस वसूली के लिए निजी स्कूल न सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस चला रहे हैं, वहीं अभिभावकों पर फीस जमा कराने का दबाव बना रहे हैं. सहारनपुर के बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान स्कूली छात्रों के अभिभावक होने का दावा करते हुए इसके विरोध में उतर आए हैं. उन्होंने 'नो स्कूल, नो फीस' धरने का समर्थन किया. स्थानीय सांसद ने कोरोना वायरस पर कंट्रोल नहीं कर पाने के कारण केंद्र सरकार को नाकाम बताया है. उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की फीस और अध्यापकों के वेतन के लिए एक लाख करोड़ पैकेज की मांग की है. ये परिवार कोरोना काल में अपने बच्चों को खाना नहीं खिला पा रहे हैं, वे स्कूल की फीस कहां से जमा करा पाएंगे.

बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
स्थानीय बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में सबसे पहले अभिभावकों की आवाज उठाने के लिए ईटीवी भारत का धन्यावाद किया. उन्होंने बताया कि जिस तरह पूरी दुनिया में कोरोना महामारी चल रही है. इसका असर हमारे हिंदुस्तान में भी है. हिंदुस्तान में कोरोना का असर इस कदर है कि देश की जीडीपी आठ प्रतिशत से घटकर इस वक्त दो प्रतिशत रह गई है. देश की जीडीपी का घटने से कारोबार पूरी तरह खत्म हो चुके हैं. बड़े कारखानों से लेकर छोटे दुकानदारों तक सबका कारोबार खत्म हो गया है. इसके चलते लोगों एवं अभिभावकों के खर्चे पूरे नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में अभिभावक बच्चों की फीस कहां से जमा कर पाएंगे.

एक लाख करोड़ का फीस माफी पैकेज जारी करे सरकार

सांसद की मांग है कि सरकार इस तरफ ध्यान दे और सरकार आगे आकर निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की फीस जमा करा दे. इससे सभी स्कूल बेफिक्र हो जाएं और अभिभावकों पर जबरन फीस जमा कराने का दबाव न बनायें. उन्होंने कहा कि जब सरकार 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे सकती है, तो पैसे कहां गये. अगर 20 लाख करोड़ खत्म हो गया तो, उसके बाद एक लाख करोड़ स्कूलों की फीस के लिए भी जारी करना चाहिए. आम जनता को इससे मदद होगी. जब सरकार कोरोना काल में देश की जनता और गरीब लोगों को खाना खिला सकती है, तो इनके बच्चों की फीस भी जमा करा सकती है.

ऑनलाइन शिक्षा गरीब बच्चों की पहुंच से बाहर

ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत गरीब छात्रों के लिए 25 प्रतिशत कोटा दिया जाता है. वहीं कोरोना की वजह से 25 परसेंट को भूल कर 100 प्रतिशत इस पोजीशन में आ गए हैं. आने वाले लोकसभा सत्र में फीस माफी के मुद्दे को उठाने का काम करेंगे. ऑनलाइन शिक्षा के सवाल पर उन्होंने बताया कि ये सबसे बड़ा ड्रॉ बैक है. बहुत से हाई-फाई स्कूलों में तो ऑनलाइन क्लासेस का फंडा चल सकता है, क्योंकि उन स्कूलों में बड़े घर के बच्चे पढ़ते हैं. उनकी फैमिली का कल्चर ऐसा है, कि वे बच्चे ऑनलाइन शिक्षा को बेहतर तरीके से कर सकते हैं. वहीं आम लोगों के पास यह सब सुविधा नहीं है और न ही परिवार का ऐसा माहौल है, जहां बच्चे स्कूलों से ऑनलाइन एजुकेशन हासिल कर सकें.

सरकार कोरोना के रोकथाम में नाकाम

बसपा सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि बच्चों को फीस के साथ निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों का वेतन भी अदा करना चाहिए. सांसद फजलुर्रहमान ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना वायरस को रोकने में सरकार नाकाम रही है. नए सिरे से कोरोना संक्रमण को रोकने की योजना बनानी चाहिए. शुरुआती दिनों में सरकार ने धूम धड़ाके के साथ लॉकडाउन लागू किया था, लेकिन 2 महीने तो दूर, पांच महीनों में भी संक्रमण पर अकुंश नहीं लगा पाई.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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