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भाजपा प्रत्याशी नरेश सैनी ने बताया जीत का मंत्र, जानिए क्यों छोड़ी कांग्रेस - उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव

सियासी पारा लगातार बढ़ता जा रहा है. कोहरे और ठंड के बीच राजनीतिक गलियारों में गर्मी देखी जा रही है. सहारनपुर जिले की बात करें तो यहां सातों सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. प्रदेश की नंबर 01 सीट की बात करें तो यहां भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए विधायक नरेश सैनी को प्रत्याशी बनाया है.

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Published : Jan 18, 2022, 11:24 AM IST

सहारनपुर: सियासी पारा लगातार बढ़ता जा रहा है. कोहरे और ठंड के बीच राजनीतिक गलियारों में गर्मी देखी जा रही है. सहारनपुर जिले की बात करें तो यहां सातों सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. प्रदेश की नंबर 01 सीट की बात करें तो यहां भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए विधायक नरेश सैनी को प्रत्याशी बनाया है. दरअसल, कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अपने सियासी सफर को शुरू करने वाले नरेश सैनी काजी परिवार और इमरान मसूद के नजदीकी रहे हैं. हालांकि इस बार नरेश सैनी ने इमरान मसूद का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. वहीं, भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ETV भारत ने नरेश सैनी से खास बातचीत की और उनकी सियासी रणनीतियों के बारे में जानने की कोशिश की.

ETV भारत से बातचीत में नरेश सैनी ने न सिर्फ अपनी उपलब्धियां गिनाई, बल्कि भाजपा में आस्था भी जताई. उन्होंने कहा कि बेहट क्षेत्र में जितना विकास उनके कार्यकाल में हुआ है, आज तक किसी विधायक ने नहीं किया था. बता दें सहारनपुर की बेहट विधानसभा उत्तर प्रदेश की नम्बर 01 सीट है. यही से विधानसभा सीटों की गिनती शुरू होती है. बेहट विधानसभा सीट से नरेश सैनी विधायक है, जो 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. नरेश सैनी इमरान मसूद के नजदीकी रहे हैं. हालांकि अब नरेश सैनी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. भाजपा ने उनको बेहट से प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है.

इसे भी पढ़ें - 'मोदी को मार सकता हूं, गाली दे सकता हूं ' पर बवाल हुआ तो नाना पटोले ने दी सफाई

भाजपा प्रत्याशी नरेश सैनी ने बताया जीत का मंत्र

नरेश सैनी का राजनीतिक सफरनामा

नरेश सैनी करीब 25 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं. सैनी शिक्षित परिवार से आते हैं. किसानी के साथ-साथ उनका ईंट भट्ठों का कारोबार भी है. नरेश सैनी जिला पंचायत सदस्य का पहला चुनाव लड़े थे. इसके बाद उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए दावेदारी की थी. लेकिन उस दौरान सत्तारूढ़ बसपा प्रत्याशी बाजी मार गए थे. इसके बाद 2012 में बेहट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उस चुनाव में बसपा के महावीर राणा से हार गए थे. 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा टिकट दिया तो नरेश सैनी सबसे ज्यादा वोट लेकर विधायक चुने गए. उन्होंने बसपा के हाजी इकबाल को 25000 मतों से मात दी थी.

राष्ट्रीयता के नाम पर मिलेगा वोट

ETV भारत से बातचीत में भाजपा प्रत्याशी नरेश सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर भाजपा का दामन थामा. मुलिस्म नेता का साथ छूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा का वोट न सिर्फ पीएम मोदी और योगी जी के नाम पर मिलता है, बल्कि राष्ट्रीयता के नाम पर भी एक मुश्त वोट पड़ते हैं.

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सहारनपुर: सियासी पारा लगातार बढ़ता जा रहा है. कोहरे और ठंड के बीच राजनीतिक गलियारों में गर्मी देखी जा रही है. सहारनपुर जिले की बात करें तो यहां सातों सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. प्रदेश की नंबर 01 सीट की बात करें तो यहां भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए विधायक नरेश सैनी को प्रत्याशी बनाया है. दरअसल, कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अपने सियासी सफर को शुरू करने वाले नरेश सैनी काजी परिवार और इमरान मसूद के नजदीकी रहे हैं. हालांकि इस बार नरेश सैनी ने इमरान मसूद का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. वहीं, भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ETV भारत ने नरेश सैनी से खास बातचीत की और उनकी सियासी रणनीतियों के बारे में जानने की कोशिश की.

ETV भारत से बातचीत में नरेश सैनी ने न सिर्फ अपनी उपलब्धियां गिनाई, बल्कि भाजपा में आस्था भी जताई. उन्होंने कहा कि बेहट क्षेत्र में जितना विकास उनके कार्यकाल में हुआ है, आज तक किसी विधायक ने नहीं किया था. बता दें सहारनपुर की बेहट विधानसभा उत्तर प्रदेश की नम्बर 01 सीट है. यही से विधानसभा सीटों की गिनती शुरू होती है. बेहट विधानसभा सीट से नरेश सैनी विधायक है, जो 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. नरेश सैनी इमरान मसूद के नजदीकी रहे हैं. हालांकि अब नरेश सैनी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. भाजपा ने उनको बेहट से प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है.

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भाजपा प्रत्याशी नरेश सैनी ने बताया जीत का मंत्र

नरेश सैनी का राजनीतिक सफरनामा

नरेश सैनी करीब 25 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं. सैनी शिक्षित परिवार से आते हैं. किसानी के साथ-साथ उनका ईंट भट्ठों का कारोबार भी है. नरेश सैनी जिला पंचायत सदस्य का पहला चुनाव लड़े थे. इसके बाद उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए दावेदारी की थी. लेकिन उस दौरान सत्तारूढ़ बसपा प्रत्याशी बाजी मार गए थे. इसके बाद 2012 में बेहट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उस चुनाव में बसपा के महावीर राणा से हार गए थे. 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा टिकट दिया तो नरेश सैनी सबसे ज्यादा वोट लेकर विधायक चुने गए. उन्होंने बसपा के हाजी इकबाल को 25000 मतों से मात दी थी.

राष्ट्रीयता के नाम पर मिलेगा वोट

ETV भारत से बातचीत में भाजपा प्रत्याशी नरेश सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर भाजपा का दामन थामा. मुलिस्म नेता का साथ छूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा का वोट न सिर्फ पीएम मोदी और योगी जी के नाम पर मिलता है, बल्कि राष्ट्रीयता के नाम पर भी एक मुश्त वोट पड़ते हैं.

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