सहारनपुरः जिले में एनजीटी के नियमों को हवा में उड़ाया जा रहा है. जिले के कई ईंट भट्ठों पर प्रतिबंधित टायरों का कार्बन भारी मात्रा में जलाया जा रहा है. वहीं, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी इससे अनजान हैं. आरोप लग रहे हैं कि ईंठ भट्ठा संचालक अफसरों के साथ सांठगांठ कर ऐसा कर रहे हैं.
जनपद के थाना बड़गांव इलाके में एक ईंट भट्ठे में यह प्रतिबंधित कार्बन का ईंधन इस्तेमाल किया जा रहा है. यह ईंट भट्ठा एक भाजपा नेता का बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इसी वजह से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी हाथ डालने से बच रहे हैं. बताया जा रहा है कि ईंटों को कम समय में पकाने की जल्दबाजी में ईंट भट्ठा संचालक रबड़, टायर और जहरीले कार्बन जैसे ईंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनके धुएं से पशु-पक्षियों और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है. साथ ही इसका धुआं इंसानों के लिए भी बेहद घातक हैं और उन्हें बीमार बना सकता है.
जानकारों के मुताबिक़ ईंट भट्ठों की चिमनियों के नीचे पानी का एक टैंक बनाने का प्रावधान होता है. इसके जरिये ईंट भट्ठे से निकलने वाले हानिकारक धुएं को कम किया जा सकता है. साधारण भट्ठे तो दूर आधुनिक भट्ठों पर भी पानी के टैंक नहीं बनाये गए हैं. इसके अलावा भट्ठों पर बनाई जाने वाली चिमनियों की डिजायन एवं ऊंचाई भी निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं है. ज्यादातर चिमिनियां मानक के विपरीत बनी हुई हैं. इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है.
इस बारे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक दिनेश पांडेय का कहना है कि जनपद में किसी भी भट्ठे पर प्रतिबंधित ईंधन नहीं जलाया जा रहा है. अगर कोई चोरी छिपे जला रहा है तो शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. ईंट भट्ठों के आधुनिकीकरण की मुहिम शुरू की गई है. एनजीटी ( NATIONAL GREEN TRIBUNAL ) के आदेश पर ईंट भट्ठों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए बाकायदा ईंट भट्ठों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी किए गए निर्देशों में साफ़ कहा गया है कि सभी ईंट-भट्ठा संचालक अपने भट्ठों को नेचुरल ड्राट से इन्डयूज्ड ड्राट क्लीन में बदल लें. ईंट-भट्ठों को जिगजैग विधि में बदलने के लिए कहा गया है ताकि प्रदूषण पर अंकुश लग सके.
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