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स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर अर्जुन सिंह ने तुड़वाया था नमक कानून, जानें पूरी कहानी

आजादी के दीवाने स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर अर्जुन सिंह देश के आजादी के लिए कई आंदोलनों ने हिस्सा लिया. इसके उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. स्वतंत्रता दिवस के अवसर ठाकुर अर्जुन सिंह को याद किए बिना स्वतंत्रता संग्राम की बात करना बेमानी होगा.

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स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर अर्जुन सिंह
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Published : Aug 15, 2022, 5:48 AM IST

सहारनपुर: पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ धूम धाम से मना रहा है. पूरा देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है. 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था. आजादी की लड़ाई में हजारों लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान देकर देश को आजाद कराया था. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जब शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है, तो सहारनपुर के स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर अर्जुन सिंह का जिक्र जरूर होता है.

नरोत्तम सिंह

सहारनपुर की भूमि ने एक से बढ़कर एक स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत की यातनाओं को हंसी खुशी सहा, बल्कि कई बार जेल भी गए. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भावसी रायपुर निवासी ठाकुर अर्जुन सिंह याद किए बिना स्वतंत्रता संग्राम की बात करना बेमानी होगा. ठाकुर अर्जुन सिंह के ही आह्वान पर नमक कानून तोड़ा गया और अंग्रेजी कपड़ों की होली भी जलाई गई थी. आजादी के लिए लड़ते हुए जब उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजने की खबर लगी, तो रुड़की, शामली, सरसावा, देवबंद समेत कई शहरों में सभाएं शुरू हो गईं थी.

बता दें, कि ठाकुर अर्जुन सिंह का जन्म सन 1892 में भावसी रायपुर गांव के जमींदार परिवार में हुआ था. वह बाल्य अवस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. वे स्वतंत्रता के हर आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे. एक के बाद एक कई बड़े आंदोलनों में उनकी सहभागिता रही, जिसके चलते अंग्रेजी अफसर उनकी हर गतिविधि पर नजर रखने लगे थे.

ग्रामीणों एवं परिजनों के मुताबिक, ठाकुर अर्जुन सिंह को अंग्रेजी हुकूमत ने कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा. उन्होंने आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत की यातनाएं सहीं, लेकिन वे अपने उद्देश्य से टस से मस नहीं हुए. जानकारों के मुताबिक 8 मार्च 1930 को मोरा गांव में कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें ठाकुर अर्जुन सिंह के आह्वान पर लोगों ने नमक कानून तोड़ा था.

इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत द्वारा राजद्रोह का आरोप लगाते हुए जिले में पहली गिरफ्तारी की गई. उनकी गिरफ्तारी की खबर लगते ही देवबंद, रुड़की, नानौता और सरसावा आदि स्थानों पर सभाएं होनी शुरू हो गईं, जिनमें लोगों द्वारा कौमी सप्ताह मनाते हुए विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी. अंग्रेजी हुकूमत इतनी डर गई थी कि ठाकुर अर्जुन सिंह के मुकदमे की सुनवाई जेल में ही कर उन्हें एक वर्ष की कठोर सजा सुना दी गई.

पढ़ेंः तिरंगा यात्रा में राष्ट्रगान के दौरान दूसरा गाना बजने से नाराज मौनी महाराज धरने पर बैठे, गिरफ्तारी की मांग

4 मार्च 1931 को गांधी-इरविन समझौते के तहत उनकी रिहाई हो पाई. 1932 में आंदोलन दोबारा शुरू होने पर अंग्रेजों ने उन्हें फिर से छह माह के लिए जेल में डाल दिया. इसके बाद उन्होंने अनेक आन्दोलनों का नेतृत्व किया और जेल जाते रहे. ठाकुर अर्जुन सिंह आजाद भारत के जिला पंचायत के प्रथम बोर्ड के अध्यक्ष बने और लगातार दस वर्षों तक अध्यक्ष रहे. उनके स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया और नानौता ब्लॉक कार्यालय में लगी शिलापट्ट पर नाम अंकित किया गया था.

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सहारनपुर: पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ धूम धाम से मना रहा है. पूरा देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है. 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था. आजादी की लड़ाई में हजारों लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान देकर देश को आजाद कराया था. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जब शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है, तो सहारनपुर के स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर अर्जुन सिंह का जिक्र जरूर होता है.

नरोत्तम सिंह

सहारनपुर की भूमि ने एक से बढ़कर एक स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत की यातनाओं को हंसी खुशी सहा, बल्कि कई बार जेल भी गए. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भावसी रायपुर निवासी ठाकुर अर्जुन सिंह याद किए बिना स्वतंत्रता संग्राम की बात करना बेमानी होगा. ठाकुर अर्जुन सिंह के ही आह्वान पर नमक कानून तोड़ा गया और अंग्रेजी कपड़ों की होली भी जलाई गई थी. आजादी के लिए लड़ते हुए जब उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजने की खबर लगी, तो रुड़की, शामली, सरसावा, देवबंद समेत कई शहरों में सभाएं शुरू हो गईं थी.

बता दें, कि ठाकुर अर्जुन सिंह का जन्म सन 1892 में भावसी रायपुर गांव के जमींदार परिवार में हुआ था. वह बाल्य अवस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. वे स्वतंत्रता के हर आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे. एक के बाद एक कई बड़े आंदोलनों में उनकी सहभागिता रही, जिसके चलते अंग्रेजी अफसर उनकी हर गतिविधि पर नजर रखने लगे थे.

ग्रामीणों एवं परिजनों के मुताबिक, ठाकुर अर्जुन सिंह को अंग्रेजी हुकूमत ने कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा. उन्होंने आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत की यातनाएं सहीं, लेकिन वे अपने उद्देश्य से टस से मस नहीं हुए. जानकारों के मुताबिक 8 मार्च 1930 को मोरा गांव में कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें ठाकुर अर्जुन सिंह के आह्वान पर लोगों ने नमक कानून तोड़ा था.

इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत द्वारा राजद्रोह का आरोप लगाते हुए जिले में पहली गिरफ्तारी की गई. उनकी गिरफ्तारी की खबर लगते ही देवबंद, रुड़की, नानौता और सरसावा आदि स्थानों पर सभाएं होनी शुरू हो गईं, जिनमें लोगों द्वारा कौमी सप्ताह मनाते हुए विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी. अंग्रेजी हुकूमत इतनी डर गई थी कि ठाकुर अर्जुन सिंह के मुकदमे की सुनवाई जेल में ही कर उन्हें एक वर्ष की कठोर सजा सुना दी गई.

पढ़ेंः तिरंगा यात्रा में राष्ट्रगान के दौरान दूसरा गाना बजने से नाराज मौनी महाराज धरने पर बैठे, गिरफ्तारी की मांग

4 मार्च 1931 को गांधी-इरविन समझौते के तहत उनकी रिहाई हो पाई. 1932 में आंदोलन दोबारा शुरू होने पर अंग्रेजों ने उन्हें फिर से छह माह के लिए जेल में डाल दिया. इसके बाद उन्होंने अनेक आन्दोलनों का नेतृत्व किया और जेल जाते रहे. ठाकुर अर्जुन सिंह आजाद भारत के जिला पंचायत के प्रथम बोर्ड के अध्यक्ष बने और लगातार दस वर्षों तक अध्यक्ष रहे. उनके स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया और नानौता ब्लॉक कार्यालय में लगी शिलापट्ट पर नाम अंकित किया गया था.

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