सहारनपुर: एक ओर जहां नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लोग सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहा है. वहीं 40 साल से सहारनपुर में रह रहे अफगानिस्तानी नागरिक को भारतीय नागरिकता मिलने जा रही है. अफगानी जमाल खान न सिर्फ पिछले 40 सालों से जिले में रह रहे हैं बल्कि 20 साल से नागरिकता के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे.
जमाल खान के मुताबिक 10 महीने पहले उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिख कर नागरिकता की मांग की तो गृह मंत्रालय ने संज्ञान लेकर ऑनलाइन अप्लाई करने की सलाह दी. इसके बाद जमाल खान की सीआईडी, एलआईयू, पुलिस ने सभी कागजातों की जांच पड़ताल की गई. जांच पड़ताल में सभी तथ्य सही पाए गए. इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने जमाल खान को जल्द नागरिकता दिलाने का भरोसा दिया है.
मोहल्ला मेंहदी सराय में रहता है परिवार
ईटीवी भारत की टीम ने सहारनपुर के मोहल्ला मेंहदी सराय में जमाल खान के घर पहुंच कर बातचीत की. जमाल खान ने बताया कि करीब 65 साल पहले उनके पिता फजल खान अफगानिस्तान से पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में आए थे. यहां फजल खान ने एक महिला से निकाह कर लिया और जमाल खान का जन्म हुआ. हालांकि जमाल खान के जन्म के कुछ सालों बाद ही बीमारी के चलते उसके पिता का इंतकाल हो गया. युवा अवस्था में आने पर जमाल खान ने कलकत्ता में कारोबार करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. इसके बाद 18 साल की उम्र में वह सहारनपुर आकर रहने लगा.
विवाह के बाद भी नहीं मिल पाई नागरिकता
सहारनपुर में आकर जमाल खान को यहां भी कारोबार करने और मकान खरीदने में परेशानी का सामना करना पड़ा. जमाल खान न तो भारतीय राशनकार्ड बनवा पाए और न ही अपना वोटर कार्ड. हालांकि रुड़की की एक महिला अख्तरी बेगम से उनका निकाह हो गया. जमाल खान ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि करीब 20 साल पहले उन्होंने नागरिकता के लिए आवेदन किया था. आवेदन के बाद दिल्ली से लेकर लखनऊ तक सभी औपचारिकताएं पूरी की गई, लेकिन सरकारी नुमाइंदों की अनदेखी के चलते उन्हें निराशा ही हाथ लगी.
पीएम को लिखा खत
19 साल सरकारी दफ्तरों और मंत्रालयों के चक्कर काट कर थक चुके जमाल खान ने आखिरकार एक पत्र पीएम मोदी को लिखा. इसके बाद गृह मंत्रालय ने जमाल के आवेदन का संज्ञान लिया और 2 दिन बाद ही जमाल को फोन करके ऑनलाइन आवेदन करने की सलाह दी. जमाल खान ने अधिकारियों की सलाह पर ऑनलाइन आवेदन किया तो जांच पड़ताल शुरू हो गई. पिछले 10 महीनों में नागरिकता संबंधी सभी विभागों ने जांच की. नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद जमाल खान की चिंता बढ़ने लगी लेकिन अधिकारियों ने उन्हें बुलाकर आखिरी दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
'जन्म हिन्दुस्तान में हुआ और दफन भी हिन्दुस्तान में होंगे'
जमाल खान का कहना है कि अफगानिस्तान के बारे में वह कुछ नहीं जानते. उनका जन्म हिंदुस्तान में हुआ है और हिंदुस्तान की सरजमीं पर ही मरना चाहते हैं. जमाल बताते हैं कि वह हज यात्रा पर जाना चाहते हैं. जमाल खान के मुताबिक वह बिना नागरिकता के कोई कारोबार नहीं कर पा रहे हैं. साइकिल और बाइक पर फेरी लगाकर पुराने कपड़े बेचकर अपनी बीवी, बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं. जमाल खान पीएम मोदी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.