सहारनपुर: जिले के शर्किट हाउस में विधान परिषदीय समिति की बैठक आयोजित की गई, लेकिन स्थानीय अधिकारियों की लेट लतीफी और प्रोटोकॉल का उल्लंघन के कारण बैठक को स्थगित कर दिया गया. इस बैठक में प्रदेश के 11 विधान परिषद सदस्य पहुंचे थे. बैठक स्थगित किये जाने के बाद समिति के सभापति साहब सिंह सैनी प्रेस वार्ता की. प्रेस वार्ता में उन्होंने समिति के उद्देश्य बताए और साथ ही मिलावट खोरों के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही.
मिलावटी खाद्य पदार्थो से पैदा हो रही है गंभीर बीमारी
साहब सिंह सैनी ने बताया कि विधान परिषद समिति का मुख्य उद्देश्य खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के परीक्षण में पूरी तरह से रोक लगाना है. मिलावटी खाद्य पदार्थो से गंभीर बीमारी पैदा हो रही है. मजदूर व्यापारी और गरीब तबके के अलावा समाज के कई वर्ग मिलावट की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं. समाज को मिलावट रहित और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन सरकार पूरी तरह से फेल हो रही है.
200 बीमारियों का मिलावट बन गया है मूल कारण
साहब सिंह सैनी का कहना है कि 2014-15 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी. उस दौरान मिलावट खोरी 38 प्रतिशत था, जो 2017-18 में बढ़कर प्रतिशत हो गया. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन की उदासीनता के कारण मिलावट का प्रतिशत दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार 200 बीमारियों में मिलावट मूल कारण बन गया है.
मिलावट की वजह से एड्स, टीबी जैसी भयंकर बीमारियां पनप रही हैं. मिलावट की प्रभावी रोकथाम के लिए उचित कार्रवाई नहीं हुई तो 2025 तक भारत के 87% जनता एड्स और कैंसर से पीड़ित हो जाएगी. दिन प्रतिदिन मिलावट खोरी का धंधा बढ़ता जा रहा है हालांकि उच्चतम न्यायालय ने भी खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर प्रभावी रोकथाम करने के निर्देश दिए हैं.
मिलावट करने वाले लोग आने वाली पीढ़ी को कर रहे हैं बर्बाद
विधान परिषद समिति के सभापति एवं सपा एमएलसी साहब सिंह सैनी ने योगी सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि दूध, घी, मावा एवं खाद्य पदार्थ सामग्री के साथ दवाइयों में सबसे ज्यादा मिलावट उत्तर प्रदेश में हो रही है. मिलावट करने वाले लोग आने वाली पीढ़ी को बर्बाद करने का काम कर रहे हैं. उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
उनका कहना है कि मिलावट खोरी करने वाली जिन प्रतिष्ठानों के नमूने फेल हो रहे हैं. ऐसे प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद हो जाने चाहिए. साथ ही सरकार से ऐसे प्रतिष्ठानों को बंद करने के लिए एक कानून बनाने की भी मांग की है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिन प्रतिष्ठानों के नमूने फेल हो जाते हैं. उनके परिवार के सदस्यों के नाम से भी कोई प्रतिष्ठान खुलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.