ETV Bharat / state

सहसवान घराने से था उस्ताद राशिद खान का ताल्लुक, नाना से सीखा शास्त्रीय संगीत - Sahaswan Gharana

उस्ताद राशिद खान के निधन से संगीत जगत में शोक की लहर है. राशिद खान को संगीत शिक्षा अपने चाचा और नाना से मिली. वे बदायूं के सहसवान घराने से ताल्लुक रखते थे.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 10, 2024, 5:17 PM IST

उस्ताद राशिद की संगीत यात्रा पर जानकारी देते शखावत हुसैन.

रामपुर : शास्त्रीय संगीत के उस्ताद राशिद खान के निधन से संगीत जगत में शोक का माहौल है. कोलकाता के अस्पताल में उस्ताद राशिद खान ने अंतिम सांस ली. राशिद खान को ब्लड कैंसर था और पिछले एक महीने से उनका उपचार चल रहा था. उस्ताद राशिद खान का ताल्लुक सहसवान घराने से था. उनको पद्मश्री और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था. संगीत की उनकी यात्रा और योगदान पर भतीजे शखावत हुसैन सिलसिलेवार जानकारी साझा की.

भतीजे गजल गायक उस्ताद शखावत हुसैन ने उस्ताद राशिद खान की संगीत यात्रा पर जानकारी साझा की. बताया कि उस्ताद राशिद खान का जन्म बदायूं में हुआ था. उनकी संगीत प्रतिभा को सबसे पहले उनके चाचा गुलाम मुस्तफा ने पहचाना. जिन्होंने मुंबई में प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया. इसके बाद राशिद खान ने 11 साल की उम्र में अपना पहला संगीत कार्यक्रम किया था.

उस्ताद शखावत हुसैन ने बताया कि उनके चाचा राशिद खान रामपुर के सहसवान घराने से ताल्लुक रखते थे. उन्होंने अपने नाना निसार हुसैन से शास्त्रीय संगीत सीखा और नाना को ही अपना उस्ताद बनाया. इसके बाद उन्होंने कई बड़े कार्यक्रम किए. उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से नवाजा गया. फिल्म जब वी मेट में उनका गाया 'आओगे जब तुम सजना' काफी लोकप्रिय हुआ था.

बदायूं लाया जाएगा पार्थिव शरीर

कोलकाता से बुधवार को उस्ताद राशिद खान का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया जाएगा. फिर यहां से जन्म स्थल बदायूं में श्रद्धांजलि देने के लिए रखा जाएगा. 11 जनवरी को बदायूं में ही दफन किया जाएगा. उनके निधन से संगीत जगत और उनके चाहने वालों में शोक की लहर है. उनका मानना है कि उस्ताद राशिद खान का जाना संगीत जगत के साथ ही देश के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है.

यह भी पढ़ें : अंतिम विदाई पर आंखें हुई नम, संगीत के सम्राट उस्ताद राशिद खान को लोगों ने दी श्रद्धांजलि

यह भी पढ़ें : राजकीय सम्मान के साथ उस्ताद राशिद खान का होगा अंतिम संस्कार

उस्ताद राशिद की संगीत यात्रा पर जानकारी देते शखावत हुसैन.

रामपुर : शास्त्रीय संगीत के उस्ताद राशिद खान के निधन से संगीत जगत में शोक का माहौल है. कोलकाता के अस्पताल में उस्ताद राशिद खान ने अंतिम सांस ली. राशिद खान को ब्लड कैंसर था और पिछले एक महीने से उनका उपचार चल रहा था. उस्ताद राशिद खान का ताल्लुक सहसवान घराने से था. उनको पद्मश्री और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था. संगीत की उनकी यात्रा और योगदान पर भतीजे शखावत हुसैन सिलसिलेवार जानकारी साझा की.

भतीजे गजल गायक उस्ताद शखावत हुसैन ने उस्ताद राशिद खान की संगीत यात्रा पर जानकारी साझा की. बताया कि उस्ताद राशिद खान का जन्म बदायूं में हुआ था. उनकी संगीत प्रतिभा को सबसे पहले उनके चाचा गुलाम मुस्तफा ने पहचाना. जिन्होंने मुंबई में प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया. इसके बाद राशिद खान ने 11 साल की उम्र में अपना पहला संगीत कार्यक्रम किया था.

उस्ताद शखावत हुसैन ने बताया कि उनके चाचा राशिद खान रामपुर के सहसवान घराने से ताल्लुक रखते थे. उन्होंने अपने नाना निसार हुसैन से शास्त्रीय संगीत सीखा और नाना को ही अपना उस्ताद बनाया. इसके बाद उन्होंने कई बड़े कार्यक्रम किए. उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से नवाजा गया. फिल्म जब वी मेट में उनका गाया 'आओगे जब तुम सजना' काफी लोकप्रिय हुआ था.

बदायूं लाया जाएगा पार्थिव शरीर

कोलकाता से बुधवार को उस्ताद राशिद खान का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया जाएगा. फिर यहां से जन्म स्थल बदायूं में श्रद्धांजलि देने के लिए रखा जाएगा. 11 जनवरी को बदायूं में ही दफन किया जाएगा. उनके निधन से संगीत जगत और उनके चाहने वालों में शोक की लहर है. उनका मानना है कि उस्ताद राशिद खान का जाना संगीत जगत के साथ ही देश के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है.

यह भी पढ़ें : अंतिम विदाई पर आंखें हुई नम, संगीत के सम्राट उस्ताद राशिद खान को लोगों ने दी श्रद्धांजलि

यह भी पढ़ें : राजकीय सम्मान के साथ उस्ताद राशिद खान का होगा अंतिम संस्कार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.