रामपुर : उत्तर प्रदेश के रामपुर (Rampur) पहुंचे केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Union Cabinet Minister Mukhtar Abbas Naqvi) ने शनिवार को दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय पोषण अभियान (National nutrition campaign) की शुरुआत की. वहीं, बताया गया कि राष्ट्रीय पोषण अभियान पूरे सितंबर माह तक चलेगा. इस दौरान गर्भवती महिलाएं और कुपोषित बच्चों के खानपान और स्वास्थ्य को लेकर पूरे महीने अभियान चलाया जाएगा. इस कार्यक्रम में जल संचय राज्य मंत्री बलदेव सिंह ओलख (Minister of State for Water Conservation Baldev Singh Olakh) सहित जिले के तमाम आला अधिकारी मौजूद थे. वहीं, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि ईवीएम विलाप मंडली में चुनाव की घोषणा से पहले ही हार की हाहाकार मची हुई है.
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दरअसल, रामपुर में शनिवार को राष्ट्रीय पोषण अभियान की शुरुआत हुई और यह अभियान पूरे सितंबर माह तक पूरे देश में चलेगा. वहीं, रामपुर के भारत गार्डन में कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किए और इस दौरान उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर अभियान की शुरुआत की. इस दौरान जिले के तमाम भाजपा पदाधिकारी व जिले के आला अधिकारी मौजूद रहे. वहीं, मौके पर कैबिनेट मंत्री के साथ ही जल संचय राज्य मंत्री बलदेव सिंह समेत पार्टी के अन्य कई वरिष्ठ नेताजन भी उपस्थित रहे. इस दौरान कैबिनेट मंत्री ने गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की और कुछ कुपोषित बच्चों को पोषण आहार भी बांटे. साथ ही कुछ गरीब बेघर परिवारों को आवास आवंटन के प्रमाणपत्र भी दिए.
इस बीच सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उस बयान पर उन्होंने पलटवार किया, जिसमें अखिलेश यादव ने कहा था कि 2022 के चुनाव में ईवीएम और डीएम से बच के रहना. कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उनके बयान पर पलटवार करते हुए कहा चुनाव की घोषणा से पहले ही ईवीएम विलाप मंडली अपनी हार का डिक्लेरेशन करने लगी है. इस बात की भूमिका बनाने लगी है चुनाव के बाद जो इनका का हश्र होगा उसके लिए ठीकरा किसके सिर फोड़ेंगे. इसलिए अभी से ही इस तरह की भूमिका बन रही है. आगे उन्होंने कहा कि मुझे अभी तक याद नहीं है कि कुपोषण के खिलाफ व पोषण के लिए जागरूकता पैदा करने को ऐसा कोई कार्यक्रम 2018 से पहले कभी हुआ हो. पहले दीवारों पर कुपोषण को मिटाने के लिए नारे लिख दिए जाते थे तो कुछ जगहों अखबारों में दे दिए जाते थे.