रामपुर : रविवार को शबनम से मिलने शबनम का बेटा ताज और उसको गोद लेने वाले उस्मान जिला कारागार पहुंचे. शबनम से मिलकर जेल से बाहर आने के बाद उस्मान ने शबनम से हुई बातचित के बारे में मीडिया को बताया. उन्होंने कहा कि ताज को उनके साथ रहते हुए 5 साल 6 महीने से ज्यादा हो गए. इन 5 सालों में पहली बार उन्होंने शबनम से पूछा कि तुम्हें जो सजा मिली है अखबारों में और टीवी पर देखा जा रहा है. उस्मान ने कहा कि तुम्हें फांसी होने वाली है, तो क्या यह सही है. तुमने ये गुनाह किया है ? जिस पर शबनम ने कहा उसने ऐसा कोई गुनाह किया ही नहीं है. उसे फंसाया जा रहा है. उसका कहना था कि कोर्ट में भी पहले वो सीबीआई जांच की मांग करती रही है. शायद उसकी बात सुनी ही नहीं गई.
'शबनम को मीडिया से बात करने की मिले इजाजत'
उस्मान का कहना था कि इतनी बड़ी न्याय व्यवस्था पर सवाल उठना बहुत बड़ी बात है. या तो शबनम को मीडिया से बात करने की इजाजत दी जाए. शबनम बाहर आए और मीडिया से बात करे, या फिर इसकी जांच सही तरीके से की जाए. ताज को लेकर उस्मान ने कहा कि ताज बुलंदशहर के एक अच्छे स्कूल में पढ़ रहा है और जो भी बेहतर से बेहतर शिक्षा है उसे दी जा रही है. शबनम के बच्चे की पहचान उजागर होने पर उस्मान ने कहा यह तो मीडिया का काम है कि जो बच्चे की फोटो है उसको ब्लर्र कर देना चाहिए. क्योंकि जब वह स्कूल जाएगा तो पड़ोस में बैठा हुआ बच्चा उसे ये न कहे कि यह शबनम का बेटा है. उस्मान का कहना था कि इन 5 सालों में अभी तक किसी को नहीं पता चला कि मोहम्मद ताज कौन है. अब तीन दिनों में ही पता चल गया कि ताज कौन है.
'ताज को पता है कि उसके मां को फांसी होने वाली है'
जब उस्मान से सवाल किया गया कि ताज को अपनी मां की फांसी के बारे में पता है. इस पर उस्मान ने कहा कि ताज 6 साल 7 महीने 21 दिन जेल में ही रहा है. आजकल की जनरेशन पहले जैसी नहीं है. उसे सब कुछ पता है. मीडिया ने सवाल किया कि इतने साल बाद शबनम ने अपने आप को बेगुनाह क्यों बताया, पहले क्यों नहीं कहा. इस पर उस्मान ने कहा कि जब वो शबनम से फर्स्ट टाइम मिले थे तो उन्होंने भी उससे यही सवाल किया था कि आपने अपने घर वालों को क्यों मारा. जिस पर शबनम ने उनसे कहा था कि उसे मेरे से बात ही नहीं करनी है और बात भी नहीं की. आज जब लग रहा है उसकी फांसी बहुत नजदीक है तो आज भी वह सवाल खड़ा है. उस्मान का कहना था कि अगर शबनम ने गुनाह किया है तो वो भी नहीं चाहेंगे कि शबनम बचे, वो भी यही चाहेंगे कि शबनम को फांसी हो.
परिवार के 7 लोगों की हत्या
झकझोर देने वाली कहानी की किरदार 'शबनम' यह ऐसा नाम है, जिसको सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. 2008 में जनपद अमरोहा के बावनखेड़ी में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के खातिर अपने परिवार के 7 लोगों की निर्मम हत्या की थी. इस मामले में शबनम 'बावनखेड़ी हत्याकांड' के नाम से जानी जाती हैं और तभी से कैद में है. शबनम को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वह रामपुर जिला कारागार के महिला बैरक में बंद है.
शबनम को फांसी की सजा
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किये जाने के बाद अब कभी भी शबनम को फांसी हो सकती है. शबनम इस वक्त रामपुर के जिला कारागार में बंद है और डेथ वारंट मिलते ही कभी भी वह मथुरा के लिए रवाना हो सकती है. यह रामपुर जिला जेल की महिला बैरक नंबर 14 में है. इसका व्यवहार सामान्य है और कोऑपरेटिव है. महिला बंदियों के साथ में जेल प्रशासन के साथ में हंसना बोलना बात करना उसमें कोई भी असामान्य गतिविधि नहीं है.
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शबनम ने अपने परिवार के 7 लोगों की हत्या को अंजाम देने के बाद लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. जिला सेशन अदालत से फांसी की सजा हुई. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा. 2008 से चल रही इस लंबी कानूनी लड़ाई के बीच शबनम ने अपने उस प्रेमी सलीम से शादी भी कर ली थी और उसका एक बेटा 'ताज' भी पैदा हुआ था. दोनों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद शबनम की एक मित्र ने उसके बेटे ताज को गोद ले लिया था. गोद लेने वाले मां-बाप रविवार को ताज को लेकर उसकी मां शबनम से मिलवाने रामपुर जेल पहुंचे.