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अंतिम सांस ले रहे रामपुर के उद्योग, सिर्फ लकड़ी के कारोबार पर निर्भर हैं करीब 2 लाख लोग

उत्तर प्रदेश के रामपुर में प्लाईवुड फैक्ट्री, फिलिंग फैक्टरी और आरा मशीन यह एक रोजगार का जरिया है. करीब 100 फिलिंग मशीनें रामपुर में हैं. 30 से 35 प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं. इसके अलावा करीब 300 के करीब आरा मशीनें रामपुर में स्थापित हैं. प्लाईवुड कंपनी के मालिक ने बताया कि यहां कई ऐसी बड़ी फैक्ट्रियां थीं, जिसमें हजारों लोग काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह फैक्ट्रियां सियासत की भेंट चढ़ गईं और बंद होती चली गईं.

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उद्योग-धंधों की हालत बेकार.
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Published : Mar 1, 2020, 12:30 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 2:35 PM IST

रामपुर: मौजूदा हालात में जिले में रामपुर डिस्टलरी नाम से फैक्ट्री है, जहां पर शराब बनती है और यहां की शराब दूर-दूर तक एक्सपोर्ट की जाती है. इस कंपनी में लगभग 550 कर्मचारी है जो काम करते हैं. उसके बाद दूसरा यहां सबसे बड़ा लकड़ी का काम है. यहां पर प्लाईवुड की कई फैक्ट्रियां हैं, आरा मशीन हैं. लगभग 10 हजार आदमी इस काम से जुड़े हुए हैं. तीसरा यहां बड़ा काम यहां मेंथा का है. अभी भी यहां पर मेंथा की कई बड़ी इकाइयां हैं, जहां पर हजारों की तादाद में लोग नौकरी कर रहे हैं.

उद्योग-धंधों की हालत बेकार.

बेरोजगारों को दे रहे रोजगार

ईटीवी भारत ने जब श्रम अधिकारी अभिषेक गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि रामपुर में मुख्य तौर पर कई इकाइयां हैं, यहां बड़ी इकाई प्लाईवुड उद्योग है, इसके बाद रामपुर डिस्टलरी, मेंथा उद्योग है. इन उद्योगों में 20 से 25 हजार श्रमिक काम कर रहे हैं. श्रम अधिकारी बताते हैं कि वह श्रमिकों का पंजीयन करके उनको रोजगार देने की कोशिश करते हैं.

लकड़ी के काम से मुनाफा कमा रहे किसान

प्लाईवुड कंपनी के मालिक फैसल खान लाला से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि रामपुर में एकमात्र लकड़ी का ही एक ऐसा कारोबार है, जिसपर लगभग 2 लाख लोग निर्भर हैं. उन्होंने बताया कि कई किसान लकड़ी के काम से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. किसान धान, गेहूं की फसल को छोड़कर अपने खेत में पापुलर और युकेल्प्टिस के पेड़ लगाकर अच्छे पैसे कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पॉपुलर और यूकेलिप्टस में टैक्स फ्री है, इस वजह से किसानों को अच्छा दाम मिलता है और मुनाफा भी अच्छा होता है.

रामपुर में प्लाईवुड फैक्ट्री, फिलिंग फैक्टरी और आरा मशीन यह एक रोजगार का जरिया है. फैसल खान लाला ने बताया कि करीब 100 फिलिंग मशीनें रामपुर में हैं. 30 से 35 प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं. इसके अलावा करीब 300 के करीब आरा मशीनें रामपुर में स्थापित हैं. उन्होंने बताया कि यहां कई ऐसी बड़ी फैक्ट्रियां थीं, जिसमें हजारों लोग काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह फैक्ट्रियां सियासत की भेंट चढ़ गईं और बंद होती चली गईं.

फिल्मों में रह गया है चाकू का नाम

ईटीवी भारत ने जब चाकू बनाने का व्यवसाय करने वाले मोहम्मद अली से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले यहां चाकू का काफी काम था और अब रामपुरी चाकू का नाम केवल फिल्मों ही रह गया है. उन्होंने बताया कि सरकार से उन्हें अब इस काम के लिए कोई मदद नहीं मिलती है, इसीलिए लोग चाकू का काम छोड़कर दूसरी मेहनत मजदूरी में लग गए हैं.

रामपुर: मौजूदा हालात में जिले में रामपुर डिस्टलरी नाम से फैक्ट्री है, जहां पर शराब बनती है और यहां की शराब दूर-दूर तक एक्सपोर्ट की जाती है. इस कंपनी में लगभग 550 कर्मचारी है जो काम करते हैं. उसके बाद दूसरा यहां सबसे बड़ा लकड़ी का काम है. यहां पर प्लाईवुड की कई फैक्ट्रियां हैं, आरा मशीन हैं. लगभग 10 हजार आदमी इस काम से जुड़े हुए हैं. तीसरा यहां बड़ा काम यहां मेंथा का है. अभी भी यहां पर मेंथा की कई बड़ी इकाइयां हैं, जहां पर हजारों की तादाद में लोग नौकरी कर रहे हैं.

उद्योग-धंधों की हालत बेकार.

बेरोजगारों को दे रहे रोजगार

ईटीवी भारत ने जब श्रम अधिकारी अभिषेक गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि रामपुर में मुख्य तौर पर कई इकाइयां हैं, यहां बड़ी इकाई प्लाईवुड उद्योग है, इसके बाद रामपुर डिस्टलरी, मेंथा उद्योग है. इन उद्योगों में 20 से 25 हजार श्रमिक काम कर रहे हैं. श्रम अधिकारी बताते हैं कि वह श्रमिकों का पंजीयन करके उनको रोजगार देने की कोशिश करते हैं.

लकड़ी के काम से मुनाफा कमा रहे किसान

प्लाईवुड कंपनी के मालिक फैसल खान लाला से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि रामपुर में एकमात्र लकड़ी का ही एक ऐसा कारोबार है, जिसपर लगभग 2 लाख लोग निर्भर हैं. उन्होंने बताया कि कई किसान लकड़ी के काम से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. किसान धान, गेहूं की फसल को छोड़कर अपने खेत में पापुलर और युकेल्प्टिस के पेड़ लगाकर अच्छे पैसे कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पॉपुलर और यूकेलिप्टस में टैक्स फ्री है, इस वजह से किसानों को अच्छा दाम मिलता है और मुनाफा भी अच्छा होता है.

रामपुर में प्लाईवुड फैक्ट्री, फिलिंग फैक्टरी और आरा मशीन यह एक रोजगार का जरिया है. फैसल खान लाला ने बताया कि करीब 100 फिलिंग मशीनें रामपुर में हैं. 30 से 35 प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं. इसके अलावा करीब 300 के करीब आरा मशीनें रामपुर में स्थापित हैं. उन्होंने बताया कि यहां कई ऐसी बड़ी फैक्ट्रियां थीं, जिसमें हजारों लोग काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह फैक्ट्रियां सियासत की भेंट चढ़ गईं और बंद होती चली गईं.

फिल्मों में रह गया है चाकू का नाम

ईटीवी भारत ने जब चाकू बनाने का व्यवसाय करने वाले मोहम्मद अली से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले यहां चाकू का काफी काम था और अब रामपुरी चाकू का नाम केवल फिल्मों ही रह गया है. उन्होंने बताया कि सरकार से उन्हें अब इस काम के लिए कोई मदद नहीं मिलती है, इसीलिए लोग चाकू का काम छोड़कर दूसरी मेहनत मजदूरी में लग गए हैं.

Last Updated : Mar 1, 2020, 2:35 PM IST
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