रामपुरः नए कृषि कानूनों को लेकर किसान दिल्ली बॉर्डर पर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी के विपरीत जैविक खेती में पद्मश्री पाने वाल भारत भूषण त्यागी कृषि कानूनों का स्वागत कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों के लिए उन्होंने 20 वर्ष तक संघर्ष किया है.
कर्जदार हो रहे किसान
त्यागी के मुताबिक बाजारवाद के बीच घिर चुकी खेती न केवल जमीन को बंजर कर रही है बल्कि किसानों को कर्जदार भी बना रही है. उन्होंने कहा कि किसान इन कानूनों पर संवाद करें विवाद नहीं क्योंकि विवाद से किसी समस्या का हल नहीं होता आपसी संवाद से होता है.
त्यागी से किए कृषि कानून पर सवाल
भारत भूषण त्यागी से तीनों कृषि कानूनों पर सवाल किया गया. सवालों के जवाब में पद्मश्री त्यागी ने कहा कि कानून से पहले हमें खेती की दिशा और दशा को समझने की जरूरत है. खेती कितना गंभीर विषय है. ऐसे में पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है.
सरकार के फैसले का करते हैं स्वागत
भारत भूषण त्यागी ने कहा कि वह भारत सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि कानून बदलने से ज्यादा हमें अपनी सोच में परिवर्तन करने की जरूरत है. संशोधन की दिशा से सरकार जिस पर सहमत हुई है उस पर बैठकर अच्छे से हल निकाला जाए.
मंडी के समानंतर खुल रहे विकल्प
कई साल से यह मांग उठ रही थी किस प्रकार से खेती में परिवर्तन किया जाए तो किसानों की आय बढ़ाई जाए. मंडी बंद नहीं की जा रही हैं. मंडी के समानांतर विकल्प खोले जा रहे हैं. किसानों के शिक्षित बेटे अब अपनी कंपनी भी बना सकते हैं.