रामपुर: जिले में सरकारी जमीन की हेराफेरी के मामले में नौ चकबंदी अधिकारियों पर कोतवाली सिविल लाइंस में रिपोर्ट दर्ज की गई है. मामला लगभग 20 साल से ज्यादा पुराना है, जब गांव में चकबंदी के दौरान चकबंदी अधिकारियों और लेखपालों ने मिलकर सरकारी जमीन की हेराफेरी की थी जिसकी जांच चल रही थी. अब जांच पूरी होने के बाद बंदोबस्त अधिकारी की ओर से नौ चकबंदी अधिकारियों और कर्मचारियों जिसमें लेखपाल भी शामिल हैं, उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
मामला जिले के बिलासपुर तहसील क्षेत्र के गांव गुलड़िया ट्यूला का है. गांव में वर्ष 1997 में चकबंदी की गई थी. उस समय चकबंदी विभाग के अफसरों ने मनमानी कर नॉन जेड-ए जमीन का विनिमय अनुपात में हेराफेरी की थी. चकबंदी के बाद इसकी शिकायत हुई और तब से विभाग इसकी जांच पड़ताल में लगा था. अब जाकर जांच पूरी हुई तो इस गड़बड़ी में कई बंदोबस्त अधिकारी, चकबंदी अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी और लेखपाल फंस गए हैं. इस मामले में अब कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
सरकारी जमीन की हेराफेरी करने में बंदोबस्त अधिकारी जर्नादन प्रसाद ने सिविल लाइंस कोतवाली में तहरीर दी है, जिस पर पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है. इन सभी नौ अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने उनकी तलाश शुरू कर दी है. पुलिस अब इस जांच में लगी हुई है कि 9 अधिकारियों, कर्मचारियों में से कितने रिटायर हुए हैं और जो रिटायर नहीं हुए, उनकी इस समय पोस्टिंग कहां पर है.
9 आरोपी अधिकारियों के नाम-
1. तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी जमील अहमद
2. तत्कालीन चकबंदी अधिकारी हरेन्द्र सिंह नेगी
3. तत्कालीन चकबंदी अधिकारी शकूर अहमद
4. तत्कालीन सहायक चकबंदी अधिकारी आरडी महावर
5. तत्कालीन सहायक चकबंदी अधिकारी देवलाल सिंह
6. तत्कालीन सहायक चकबंदी अधिकारी दिनेश बिहारी माथुर
7. तत्कालीन चकबंदी लेखपाल महावीर सिंह
8. तत्कालीन चकबंदी अधिकारी कृष्ण मुरारी
9. तत्कालीन चकबंदी अधिकारी नंद नंदन प्रसाद
जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि समीक्षा के दौरान तहसील बिलासपुर के गुलड़िया का मामला सामने आया था. जब इस मामले की जांच की गई तो तो उसमें यह सामने आया कि 4:30 हेक्टेयर से ज्यादा सरकारी भूमि सार्वजनिक उपयोग की जमीन का चकबंदी के अधिकारियों द्वारा आवंटन कर दिया गया. यह बहुत ही गंभीर मामला था. इसमें अनियमितता के साथ-साथ धांधली की गई है. इसलिए इसमें कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए. एडीएम फाइनेंस ने इसकी पूरी जांच की. इस पर कार्रवाई की गई और इसमें 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें तत्कालीन एसओसी से लेकर चकबंदी के लेखपाल तक शामिल हैं. अभी बहुत सारे मामलों में जांच चल रही है.